अब तक बड़े भइया और भाभी पर कई पोस्ट आचुके है पर फिर भी भइया के बारे में लिखने को दिल मचल उठता है एसा लगता है की अभी बहुत कुछ लिखने को बाकी है |
तो कीबोर्ड अनायास ही चल उठता है भइया के बारे में जितना लिखा जाये कम है वे सीमाओं से परे और में भी कैसा पागल ठहरा कि एक अवतारी पुरुष को शब्दों की सीमाओं में बाँधने चला था | भइया को समझने का आनंद तो सिर्फ दिल ही ले सकता है अन्दर ही अन्दर उनके प्रेम में डूब जाने का आनंद उन्हें भइया के रूप में पा लेने का आनंद शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता |
वे अविरल भक्ति की ऐसी बहती हुई धारा है जिस में पूरा सिंह सदन अपने आप को शौभाग्य शाली समझ रहा है | भइया को समझना ईश्वर को समझना है |
वे दया और धरम की मूर्ति है |वे जो भी करते है समझो वही समय कि मांग है उनकी सोच दूरगामी है | वे बिलकुल निडर और साहसी इन्सान है |शास्त्रों लेकर शस्त्रों तक का ज्ञान है | वे आज तक कभी भी किसी भी जगह असफल नहीं हुए चाहे वह शिक्षा का मैदान हो या फिर मल्ल युद्द का मैंने उन्हें अपने से ज्यादा मजबूत और भारी भरकम लोगों को पटखनी लागाते देखा है | बड़े बड़े गुंडे माफिये उनके आगे आकर नत मस्तक हो जाते है एसा ही एक वाकया में यहाँ बताने जा रहा हूँ
ये उस समय कि बात है जब भइया इंटर में थे, चूँकि भइया पढने में हमेशा सबसे आगे रहते थे तो लड़कों का जलना तो स्वाभविक था तो एक बदमाश किस्म के लड़के ने भइया के साथ बत्तमीजी
करने कि कोशिश की भइया ने उसको क्या कहा ये तो पता नहीं पर वो लड़का भइया के पैर छू कर गया और एक नेक इन्सान बना और आज जब भी मिलता है तो भइया के पैरों में गिर कर उपकार मानता है | भइया को हर क्षेत्र में महारथ हासिल है वे जो काम कर देते है उसके आगे कुछ करने को नहीं बचता और अगर उनहोंने कुछ कह दिया तो कुछ कहने को नहीं बचता |
वे महा ज्ञानी और योगिराज है युग पुरुष है
वहीँ दूसरी तरफ भाभी जी भी कंही से कम नहीं है हर रिश्ते की वे पर्याय है रिश्ते कैसे चलते है कोई उनसे सीखे वे प्रेम और स्नेह की मूर्ति है और एक प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ साथ
एक अति कुशल गृहणी भी है पाक शास्त्र में वे साक्षत माँ अन्नपूर्णा है | में कानपुर में उनके साथ काफी समय रहा हूँ. वे स्वेम खाना बनाया करतीं थी वो खाने का स्वाद में आज तक नहीं भूला हूँ |और आलस का तो जैसे उनहोंने स्वाद ही न जाना हो आफिस से आने के बाद वे घर का काम भी संभालती है | काम करने में उन्हें मजा आता है और व्यव्हार तो उनका इतना अच्छा है कि दुश्मन भी अपना हो जाये | वे हर क्षेत्र में निपुण एक सम्पूर्ण स्त्री है |भाभी स्थान के अनुसार अपने आप को ढाल लेती है और किसी को कोई शिकायत का मौका नहीं देती | भाभी जितनी अच्छी गृहणी है उतनी ही अच्छी व्यवस्थापक भी है घर में हर एक चीज करीने से लगी हुई मिलेगी आप कोई भी नुक्स नहीं निकाल सकते और सब का ख्याल रखना जैसे उनकी आदत है | गृह कला में वे जितनी निपुण है उससे भी कहीं ज्यादा वे प्रशासन में प्रसिद्द है अपनी ईमानदारी और कुशल प्रशासन के लिए |
में समझता हूँ भइया के लिए वे बिलकुल फिट है | और पूरे सिंह सदन को वे वरदान सवरूप मिलीं है |
Psingh
6 comments:
पिंटू भाई आपकी लेखनी समय के साथ और सशक्त हो रही है ..........
लोगों को पहचानने की क्षमता में तीव्र वृद्धि हुई है .
तुम्हारी इस लेखनी पर मेरी लेखनी कुर्बान !!!!!!!
लगे रहो................
शुक्रिया पिंटू.......,
सम्मान पाना हमेशा अच्छा लगता है....जब अपनों से सम्मान मिलता है तो उसकी कीमत तो और भी बढ़ जाती है....... ! तुमने मुझ पर और अपनी भाभी पर लिखा.......शायद कुछ ज्यादा ही अतिश्योक्ति थी......मगर फिर भी सर झुका के आपके सम्मान करता हूँ....!
धन्यवाद
*****PK
शुक्रिया पिंटू.......,
सम्मान पाना हमेशा अच्छा लगता है....जब अपनों से सम्मान मिलता है तो उसकी कीमत तो और भी बढ़ जाती है....... ! तुमने मुझ पर और अपनी भाभी पर लिखा.......शायद कुछ ज्यादा ही अतिश्योक्ति थी......मगर फिर भी सर झुका के आपके सम्मान करता हूँ....!
धन्यवाद
*****PK
भइया यही आपका बड़प्पन है की आप अपने आप को बड़ा नहीं मानते क्योंकि स्वेम भगवान कृष्ण ने भी कभी यह नहीं कहा कि वे भगवान है |
मगर कुछ ही लोगों ने उन्हें पहचान पाया था कि वे भगवान है |
आप अतिश्योक्ति कह सकते है पर मेरे लिए ये सच्चाई है |
"नहीं चाहिए धन और दौलत न घर ना आवास
करुना बस बरसाते रहना मै इन चरणों का दास "
आपके श्री चरणों मै शत शत नमन...................
प्रिय भैया ..........
आपने जो लिखा था, सही है.......
भैया भाभी को शब्दों में बांधना आसान नहीं है,
पर आपने कामयाब प्रयास किया.
अब में क्या बोलूं...दोनों ही सिंह सदन की किस्मत है...
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