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Friday, June 25, 2010

मेरे प्रिय देवर....श्यामू !








सिंह सदन के हर एक सदस्य से मुझे बेहद प्यार है......यूँ तो सभी में कुछ न कुछ खास है मगर इस ब्लॉग पर मैं आज अपने प्रिय देवर श्यामू के विषय में लिखना चाहती हूँ.... !
श्यामू से मेरी पहली मुलाकात नवम्बर 1999 में लखनऊ में ही हुयी थी जब मेरी सगाई कार्यक्रम में वे आये थे. हम लोग बाज़ार गए थे....लौट के मैं और श्यामू एक ही रिक्शा में आये थे. श्यामू उस समय बिलकुल अबोध बालक की तरह थे. श्यामू का यही भोलापन मुझे अच्छा लगता था.....है......और रहेगा भी. उस रिक्शे में वैसे जोनी भी थे मगर मेरी पूरी बात श्यामू से ही होती रही....मैं तब महज 22 -23 साल की थी.....! श्यामू में तब से लेकर अब तक बहुत परिवर्तन हए हैं.....लेकिन सच यह है की वे आंतरिक रूप से इतने निश्चल हैं जैसे कि गोमुख से निकली पानी की अविरल धारा और बाहर से वे पहाड़ों की तरह कठोर भी हैं.......जी-जान लगाकर काम करना मेहनत करना उनकी पहचान है....! उनकी एक बड़ी पहचान यह भी है की उन्होंने इन दोनों गुणों के साथ खुद को दुनियादारी की कृत्रिमता और बनावट से बचाकर अपनी स्वाभाविकता को अपने अन्दर संजोये रखा है.
श्यामू में मैं अपना बचपन देखती हूँ....बचपन में मैं बहुत कुछ श्यामू जैसी ही थी......निश्चल, स्वाभाविक, खुद को खुद में समेटे हुए व्यक्तित्व को विस्तार देने की ललक....ऐसा ही कुछ! शादी के बाद श्यामू हमारे साथ कानपुर रहे.....उस दौरान हम लोग ताश, शतरंज , क्रिकेट.....अदि खेल खेला करते थे....होली की शैतानियाँ अभी तक दिमाग में जस की तस बनी हुयी हैं. श्यामू और पिंटू के साथ वे दिन बहुत ही रोमांचक थे....! श्यामू को अच्छे खाने का भी काफी शौक है....जब मैं कानपुर में थी तो श्यामू के लिए कई बार कुकिंग में नए प्रयोग किये......हम लोग नियमित तौर पर रैना मार्केट जाया करते थे......एच बी टी आई के पीछे नवाबगंज जाकर जाकर आलू की टिक्की तो रोज का नियम जैसा था. श्यामू के साथ पिक्चर देखने का मज़ा भी मैं बयान्न नहीं कर सकती .....दुल्हन हम ले जायेंगे,फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी.....जैसी फ़िल्में मैंने और श्यामू ने साथ साथ देखी हैं.
अभी फरबरी में जब मेरे बड़े देवर जोनी की शादी थी तो मैं शादी एक हफ्ते पहले ही मैनपुरी पहुँच गयी थी.....हर रात हम लोग डांस - सिंगिंग का कार्यक्रम करते थे. 'शराबी' पिक्चर के ' मुझे नौलखा माँगा दे रे, ओ सैयां दीवाने' पर हम दोनों ने खूब डांस किया और हमारी जुगलबंदी ने खूब धमाल मचाया.
श्यामू की एक बात मुझे बहुत प्रभावित करती है कि वे स्ट्रेट फॉरवर्ड हैं...जो मन में आया कह दिया. दिल के बहुत साफ़ और बहुत कोमल हैं. उनके दोस्त चुनने का अंदाज़ भी बहुत खूब है.....गरीबी -अमीरी के दायरे से बहुत ऊपर उठकर वे अपने दोस्त तैयार करते हैं.....क्रिकेट-पेंटिंग-स्केचिंग के मर्मज्ञ हैं वे.....! किसी भी आदमी की मिमक्री बनाने में तो उन्हें जैसे महारत हासिल है....जब मैं और श्यामू मिल बैठते हैं तो घर के हरेक सदस्य की मिमक्री करते हैं.....!
फिलहाल मैं यहीं इस पोस्ट को बंद कर रही हूँ......बस ईश्वर से यही दुआ करती हूँ की हमारा यह रिश्ता ताउम्र यूँ ही महकता रहे....!

*****(ANJU )

6 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

भाभी
बहुत ही सुन्दर लिखा
इतने सुन्दर मन से आप ही लिख सकती है - मेरा प्रणाम स्वीकारें.............

ShyamKant said...

चरणस्पर्श भाभी .........
मैं यही सोच रहा था की मेरे और आपके बारे में आप लिखेंगी या मैं
बेहतर हुआ की आपने लिखा
पढने में बहुत अच्छा लगा ..............
मैं तो वैसे ही आपको बहुत पसंद करता हूँ ..........
इस लेख के बाद मैंने सोचा की आपको और पसंद करूँ
कोशिश भी की पर ज्ञात हुआ कि आपको पसंद करने का स्तर पूर्व में ही अपेक्स पर था जिसमे तनिक भी वृद्धि संभव नहीं .................
इसी तरह ब्लॉग पर उपस्थिति बनायें रखें
धन्यवाद !

VOICE OF MAINPURI said...

बहुत खूब लिखा भाभी....श्यामू घर में सबसे तेज़ है...देखना एक दिन वो हुकूमत करेगा

SINGHSADAN said...

यह देवर भाभी का प्यार हम जैसों को औकात दिखाता रहता है....इस जुगलबंदी का सबसे बड़ा शिकार तो मैं ही हूँ. जब भी दोनों मिलते हैं तो "बाल की खाल में भी अगर कोई बाल होता हो उसकी भी ये दोनों खाल निकल लेते हैं'. बहरहाल अच्छा लेख, श्यामू की पर्सनालिटी का सुन्दर विश्लेषण किया है इस आलेख में.....
देवर की तरफ से हमही कहे देते हैं.....तुम्ही हो भौजी न.1

*****PK

Neha (Bitiya) said...

बहुत बढ़िया लिखा भाभी आपने............
आपके शब्दों में आपका प्यार छुपा था ...........
पहले मुझे आप अच्छी लगती थीं .................
अब आपके साथ साथ आपकी लेखनी भी मुझ प्रिय है.........
आपकी बिटिया

pankaj said...

प्रिय भाभी...
आप दोनों का प्रेम और स्नेह ''सिंह सदन'' की अनमोल पूँजी है ... श्यामू नि:संदेह सुयोग्य हैं ...और मर्यादा... मानवता... और नैतिकता के ''प्रतीक'' बन गए हैं ! वे अनेक योग्यताओं में हम से बहुत बढ़कर हैं ! श्यामू सदैव हमारे ह्रदय में बसते हैं ! मुझे उनसे बेपनाह मोहब्बत है ! एक दिलकश रचना के लिए भाभी के लिए तालियाँ ... !