"........मैं ईंट गारे वाले घर का तलबगार नहीं,
तू मेरे नाम मुहब्बत का एक घर कर दे !.................."
कन्हैया लाल नंदन ने यह शेर जिस भी परिस्थिति में लिखा हो....मगर "सिंह सदन" के लिए यह मुकम्मल शेर है. रिश्ते सिर्फ संबोधन के लिए ही नहीं होते.....वे दरअसल जीने के लिए होते है......हर आदमी कभी किसी देहलीज़ पर भाई है तो किसी दर पर पति....हर औरत कहीं बहन है तो कहीं माँ......इन्ही रिश्तों में रची बसी कायनात को एक छत के अन्दर जिए जाने की कवायद ही है घर......."सिंह सदन" भी इसी कवायद का एक हिस्सा है........."सिंह सदन " से जुड़े हर एक शख्स और हर एक गतिविधि से परिचय करने के लिए ही ब्लॉग का सहारा लिया गया है ताकि जो भी लिखा जाए वो दिल से लिखा जाये.....और दिल से ही पढ़ा भी जाए.......!
5 comments:
dear bitiya ...
great paintings.. outstanding talent you have...now i am your fan.
बिटिया बहुत सुन्दर पेंटिग
ईश्वर तुम्हें और कला से नवाज़े
Dear Neha
बहुत सुन्दर पेंटिग
*****PK
शानदार...बहुत सुन्दर....लाजबाव.....अमेजिंग...
वाह ! बिटिया शानदार चित्र ..................
ये हमारी खुशनसीबी है की इतनी शानदार चित्रकार से रूबरू होने का मौका मिला !!!
आभार
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