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Monday, January 27, 2014

LAUNCH OF NEW SINGH SADAN CALENDAR FOR 2014

                          वर्ष 2014 की आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएँ

                                     नव वर्ष 2014 के नए सिंह सदन केलेण्डर को आज लॉन्च कर दिया गया है इस नव वर्ष 2014 के नए सिंह सदन केलेण्डर को दिग्गज फोटोग्राफ़र गौरव गंगवार (MINISTRY OF INFORMATION & BROADCASTING ,GOVT. OF INDIA) और डिजाइनर दीपक वर्मा ने तैयार कियाहै ! 

Sunday, January 19, 2014

 सर्वप्रथम ब्लॉग के सभी सदस्य गण या यूं कहें कि सभी दिग्गज लेखकों को मेरा नमस्कार, एवं नववर्ष की हार्दिक सुभकामनाएँ, संसाधनों के अभाव में इतने दिनों बाद ब्लॉग पर मेरी उपस्थिती को क्षमा करें, बेशक इतने दिनों से मैंने ब्लॉग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन में हमेशा इससे जुड़ा रहा , इतने दिनों में अपने परिवार में जो घटनाएं हुई है उन सभी घटनाओं को सदस्यों ने अपने विचारों में इस प्रकार वर्णित किया है जो वाकई काबिले तारीफ़ है, लेकिन जैसा कि में जानता हूँ, सदस्यों की व्यस्तता को देखते हुए वर्तमान में ब्लॉग पर लेखों का सिलसिला थोडा सुस्त हो गया है, अतः कही न कही इसकी प्रासंगिकता खोती सी जा रही है, जैसा कि मेरा विषय है देश दुनिया इसकी सक्रीयता को बनाए रखते हुए, में दिलीप कुमार ब्लॉग पर अपनी उपस्थिती को दर्ज करते हुए, एक बार फिर आप सभी को वर्तमान  में चल रही महत्वपूर्ण घटनाओं से रूबरू कराऊंगा, अतः आगे भी में यह प्रयास  जारी रखूँगा,

                                      में जनता हूँ कि ब्लॉग के सभी दिग्ग्ज लेखकों के सामने  मेरी कलम लड़खड़ा सकती  है इसलीये मेरी त्रुटीयों के लिए मुझे क्षमा न करें बल्कि मुझे उचित सलाह दें,,,                                                                                                       
                       आगामी दिनों में मेरे कुछ लेख इस प्रकार है, 
                                     देवयानी मामला 
                                      बदलती राजनीत,[ आप मुझे अच्छे लगने लगे ]
                                      बांग्लादेश में आवामी लीग का आगमन 
                                      समलैंगिकता                                 

                                                                                      ******dilip kumar 

 विश्व  व्यापार  संगठन  में खाद्य सुरक्षा विधेयक 



                                                             हाल ही में ६ दिस 2013 को  इंडोनेसीया में  विस्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय  बैठक विकासशील तथा विकसित देशों  के बीच कुछ अहम् फैसलों  के बीच संपन्न  हुई ,बैठक के कुछ पहलूओं से जाहिर होता है की हम एक  बार फिर  पूंजी राष्ट्रों  की  कूटनीतिक चालों के सामने झुक गए है इस मंत्री स्तरीय  सम्मेल्लन में एक तरफ जहाँ भारत ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए  कृषि  सब्सिडी जारी  रखने की  बात की, वहीं  विकसित राष्ट्रों  ने इस  सब्सिडी का पुरजोर विरोध किया,और साथ ही वे भारत पर यह समझौता  करने  के  लिए  दबाव बना रहे है,कारण है कि इसके पहले  की  विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय  बैठकें बिना  किसी  समझौते  के  संपन्न होती रही  है,यदि यह  बैठक भी बिना किसी  फैसले के संपन्न होती है तो, वैस्विक  कारोबार में  बर्चस्व रखने वाले इस मंच  के अस्तित्व पर प्रस्नचिन्ह  लगना संभव  है 
 विकसित  राष्ट्रों का  कहना  है कि जैसा की विश्व व्यापार संगठन के नियमानुसार कोई भी सदस्य राष्ट्र कृषि उत्पादों पर 10 फीसदी से ज्यादा सब्सिडी  नही देगा जिससे व्यापार में  संतुलन बना  रहे, लेकिन  भारत सब्सिडी  की सीमा  का उल्लंघन करते हुए अपने  कृषि  उत्पादों  को  कम  कीमत पर जनता को मुहैया करा  रहा  है, जो व्यापार की स्वस्थ  प्रतिस्पर्धा  के  विपरीत  है,अतः विकसित  देशों  का  कहना  है  कि  भारत सरकार कृषि  सब्सिडी  तथा  सस्ता अनाज  देना बंद  करे, जिससे व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े  और  कम्पनीयां  उचित  मुनाफा कमा सकें , 
 ज्ञातव्य  हो कि 1995 में  अमेरिका का व्यापार घाटा 16 अरव डॉलर था. वहीं 2013 में बढ़कर 730 अरब डॉलर  हो गया  है ,कारण है  कि  चीन  एवं अन्य  देशों ने  वैश्विक  व्यापार में अपनी  भूमिका को  सुनिश्चित  किया हैं. अतः इससे  साफ़  जाहिर  है  कि  विकासशील  देशों  के  बाजारों में  पहुंच बनाकर अमेरिका अपने  व्यापार घाटे  को  संतुलित  करने  का  प्रयास कर रहा  है ,
 इसके  अलावा एक तथ्य  यह  और  है कि अमेरिकी जनता भारत की एक चौथाई है , और  वह  45 खरब रूपए  खर्च  कर  अतिरिक्त  पोषण सहायता  कार्यक्रम  चलाकर 470 करोड़  लोगो पर  प्रति  96,280 रूपए  व्यय कर 240 किलो अनाज  मुहैया कराता है, वहीं भारत  77 फीसदी  लोगों को  30 रूपए प्रतिदिन  खर्च  करने  वालों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत  47 करोड़  लोगो पर 1620 रूपए व्यय कर  सालाना  58 किलो सस्ता  अनाज  मुहैया  कराती  हैं, जिससे  विकसित  देशो  को  दिक्कत होना स्वाभाविक है 
,ध्यातव्य हो कि अमेरिका  कृषि पर  सब्सिडी  1995 में 34 अरब  रूपए  थी , वहीं अब बढ़कर  79 अरब रूपए  हो गई  है ,अतः  सभी  देश मिलकर 244 खरब रूपए की  सब्सिडी दे रहे है ,अतः वे चाहते है कि विकासशील  रास्ट्र अपने नागरिकों  को  सब्सिडी  के माध्यम से मदद ना करें , ताकि  विकसित देशों के उत्पादों को विकाशशील देशों में  माकूल वातावरण मिलता  रहे और उनके  बाजारों  पर कब्ज़ा  बना  रहे,

 परिणामतः वार्ता  के अंत में भारत का पक्ष था,  कि हम कृषि उत्पादों में सब्सिडी  ज़ारी  रखेंगे, जबकि  wto  का कहना था,  कि वर्तमान में आप सब्सिडी जारी रखेगे। अतः इससे साफ़ जाहिर है कि भविस्य में  कृषि  सब्सिडी  ख़त्म होने  कि  सम्भावनाओं को  नकारा  नहीं जा सकता ,!



******* ***** DILIP KUMAR 






                                                   HAPPY NEW YEAR  2014
                                 
                                         TO ALL SINGH SADAN FAMILY &FRIENDS

**** PANKAJ K. SINGH