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Tuesday, June 14, 2011

मेरी बदायूँ यात्रा........!!!!





मेरी बदायूँ यात्रा........!!!!

1-दिनाँक 12 जून, 2011 को बदायूँ आगमन. Sunday (सुबह लगभग 10.30 बजे)

2-मेरे बदायूँ आगमन के बाद हम सभी लोगो नेअचानक अलकनंदा रिसोर्ट, बरेली जाने का फैसला किया........हम लोगो का काफिला लगभग 12 .30 दोपहर बरेली के लिए निकल पडा. लगभग एक घण्टे की यात्रा के बाद हम लोग अलकनंदा रिसोर्ट पहुँचे........यहाँ पहुँचते ही हमारे साथ नीरज कौशल भैया,इशिका , लीची, मानसी, ब्रजेश भैया आदि सदस्यों नेइस रिसोर्ट की प्राकृतिक खूबसूरती का जमकर दीदार किया. इस रिसोर्ट में बने बेहतरीन पूल के स्वच्छ पानी में नहाकर सब लोगों ने एक दूसरे को आनन्द से सराबोर कर लिया. यहाँ प्रिंसी भी असीम आनन्द महसूस कर इधर-उधर दौड रही थी.

13 जनवरी-
मेरी बदायूँ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण दिन 13 जनवरी था. इस दिन मैने आम-जनता से मिलक बदायूँ शहर में प्रशसनिक कार्यो के बारे में जानकारी लेने का प्रयास किया. मैने सदर बाजार, विभिन्न चैराहों पर जाकर ट्रैफिक व्यवस्था व लोगो की आम समस्याऐं जानने की कोशिश की।
बदायूँ शहर में लोगो से पूछने पर जो एक चीज सबके मुँह से सुनने को मिल रही है.....यहॉ के एसडीएम सदर के कार्यो की प्रशंसा . कुछ लोगो का तो कहना है कि साहब के आने से हमें जाम, भ्रष्टाचार, लूट-पाट, शिक्षा , स्वास्थ्य......सहित सभी क्षेत्रों में अप्रत्याशित प्रगति देखने को मिली है. शहर के निवासी रघुनन्दन जी केशब्दों में कहें तो शहर को नवजीवन प्रदान करने में पवन जी के योगदान को भुलाना मुमकिन नहीं है.
13जनवरी की सुबह 09.50 बजे ऑफिस आने पर मैंने सबसे पहले जिन मानवीय मूल्यों को बहुत ही प्रयोगात्मक रूप से देखा.....धैर्य, कर्तव्य के पति समर्पण, उचित लोगों को न्याय.......साथ ही आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल (e-governance) से जन समस्याओं का हाथों-हाथ निस्तारण.
तहसील में घूमने पर विभिन्न लोगों से बातचीत से पता लगा कि यहाँ पर कोई भी अतिरिक्त पैसा नहीं लिया जाता है एवम् सभी काम समय पर सम्पन्न कराये जाते हैं. लोकवाणी केन्द्र के बाहर खडे युवा वर्ग से जाति प्रमाण-पत्र, मूल निवास, आय प्रमाण-पत्र आदि के बारे में पूछने पर पता लगा कि यहाँ पर साहब के द्वारा हर समस्या का तुरन्त निस्तारण किया जाता है, जिससे हम लोगों का कीमती समय बच जाता है और हम इससे अपने अध्ययन को सुचारू रूप से कम पाते हैं. यहाँ (तहसील) पर जाति प्रमाण-पत्र बनवाने आए राहुल कुमार से बात करनेपर उन्होनें बताया कि साहब हमारे लिए रोल-माँडल की तरह है.
एसडीएम साहब के साथ मान्यवर कांशीराम आवास के निरीक्षण के दौरान मुझे यह देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ कि जन समस्याओं का किस तरह से निस्तारण किया जाता है. प्रत्येक आवास पर खुद जाकर लोगो से पूछना, पानी-बिजली आदि की कोई समस्या तो नहीं............यहाँ के लोगों से बातचीत से मालूम हुआ कि सरकारी योजनाओं का उचित क्रियान्वयन कैसे होता है.
मेरी जिन्दगी के लिए मेरी बदायूँ यात्रा के दौरान गुजारा गया प्रत्येक लम्हा एक खूबसूरत एहसास बन गया.......मुझे बदायूं से क्या कुछ सीखनें को मिला ये शब्दों में बयाँ करना मुमकिन नहीं, लेकिन कुछ ऐसा मिला जो जीवन भर मागदर्शक के रूप में हाथ थामें मेरे साथ चलता रहेगा........


Pawan chacha

A genious saint,

Himself Happy with a bicycle

But A passionate human

Who want every person

Must have a Ferrari------

Thank for your timeless wisdom,


**** सचिन बदायूं से....!!!!