संबंधों को अलग कर दें तो बहुत कम लोग है जो मुझे दिल से पसंद है....हाथ मिले और दिल भी मिले इस दर्शन पर मेने हमेशा यकीन किया है।ज़बान और बयान में अंतर मुझे अखरता है. ताराचंद मेरी उस फेहरिस्त में जगह पाते है जो मुझे दिल से पसंद है॥मेरा उनसे खास रिश्ता है...लेकिन महज इस रिश्ते से ही में उन्हें पसंद नहीं करता...दरअसल उनकी कई खूबियाँ है जिस कारण उनको पसंद करना मेरी मजबूरी बन गयी है।
ताराचंद जी से मेरी पहली मुलाकात कुछ मिनट की थी..लेकिन उनके मिलने का सलीका पहली ही मुलाकात में मुझे पंसद आ गया.इसके बाद कुल 30 - 40 मिनट की उनसे मेरी तीन ओर मुलाकातें हुयीं...इन मुलाकातों का नतीजा ये रहा कि मैं उनका दामाद और ताराचंद जी मेरे स्वसुर बन गए।भगवान ने उनको कई खूबियों से नवाज़ा है॥उन्हें देख कर लगता है कि भगवान उनके और वे भगवान के बेहद करीब है...हर कोई उनकी साफगोई की तारीफ करता है. मैं खुद भी इसमें शामिल हूँ.सच्चाई.भलाई.नेकदिली और दरियादिली इनकी खूबियाँ हैं.इन खूबियों के साथ उनको हमेशा देखा जा सकता है.
परेशानियां और आभावों मैं उनका धेर्य मेरे लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहा है.बचपन और ज़वानी आभावों में कटी तो जिन्दगी के बाकी दिनों की शुरुआत परिवारिक बीमारियों और दिक्कतों से शुरू हुयी.छोटी सी नौकरी और बड़ा परिवार...लेकिन हर जिम्मेदारी पर खरे उतरना जैसे उनकी फ़ितरत है.मैनपुरी जिला प्रशासन उनकी काबलियत पर फक्र करता है तो हर नया कर्मचारी और अधिकारी उनसे सरकारी काम सीखना चाहता है.मैनपुरी प्रशासन के वे बेहद काबिल और सीनियर स्टेनो हैं.लोग उन्हें ''स्टेनो साहब'' भी बुलाते हैं. पहली मुलाकात में ही वो किसी को भी आकर्षित करने का दम रखते है.यही वजह रही कि इंतनी पुरानी नोकरी होने पर भी उनका कभी विवादों से नाता नहीं रहा.काम के प्रति लगन और जिम्मेदारी का अहसास उनमें हमेशा बरक़रार है.कर्मचारिओं से उनका स्नेह।जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी... उन्हें सफल बनाने के लिए काफी है.
इससब के बाद कुछ और भी जिम्मेदारी है जिन्हें निभाने में उन्हें महारत हासिल हैं।मसलन वे एक अच्छे पिता....पति...दोस्त और रिश्तेदार है.एक खूबी और भी है...उनमें गज़ब का धेर्य है.हर माहोल में वे शांत नजर आते है.उताबलापन उनसे कोसों दूर है.मैंने महसूस किया है कि उनको झूठ बोलना नहीं आता.इसलिए उनको कई बार दिक्कत भी आई.दिक्कत बर्दास्त है लेकिन झूठ मंज़ूर नहीं किया है.आज के दौर में ऐसा मुश्किल है लेकिन फिर भी वो आसानी से ऐसा कर लेते है.उनकी सीधाई का कई लोगों ने फायदा भी उठाया....फायदा उठाने वाले वहीं के वहीं रह गए.लेकिन वे आबाद रहे.
मैंने उन्हें आराम करते हुए बहुत काम देखा है.दिन भर दफ्तर का काम करने के बाद शाम को बच्चों को बाज़ार ले जाकर उनकी फरमाइशें पुरा करना,लौट कर पत्नी को दवा देना.रिश्तेदारों और परिचितों की सिफारसें सुनना.यानि काम और बस काम.... बावजूद थकान और टेंशन उनपर कभी हावी नहीं देखी.ये उनकी एक्स्ट्रा खूबी मान सकते है.बच्चों के साथ शरारत करने में उनको मजा आता है.प्रिया के साथ मिल्क पावडर चुरा कर खाने पर प्रिया के साथ उन्हें भी कई बार डांट भी खानी पड़ी.भजन और गाना में साथ देना उनको बेहद पसंद है.देर रात तक देवी जागरण सुनने का जबरदस्त शौक है.इतनी व्यस्तता के बाद भी वो भले ही अपने लिए वक़्त ना निकल पाते हों लेकिन सब की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी तलाश करना कोई उनसे सीखे.....
***हृदेश सिंह ***
5 comments:
प्रिय जोनी ...
तुमने एक अच्छे व्यक्तित्व पर रौशनी डाली है .. ताराचंद जी हमारे अति प्रिय और ''सिंह सदन'' के अति विश्वासपात्र हैं ... ''सिंह सदन'' की मजबूती में अभी उन्हें बहुत बड़ा योगदान देना है .. हम उन्हें अवकाश न लेने देंगे .. !
joni
bahut acchi post acche vykti par
unke bare me jankar accha laga
me unke bare me jyada nahin janta
tha ..........
abhar...............
अंकल जी के बारे में बहुत अच्छा लिखा मन कर रहा है अभी गाडी उठा के उनसे मिलने निकल पडू और उन्हें ये पोस्ट दिखाऊं ........
आभार ...........
An excellent article on Tarachand Uncle.....Really his personality is worth valueble.Even i had some idea about his personality but it was very much confined and it was just about his official life. After this article i came to know about his childish activity like, stolen milk powder with Priya and chorus with religious music night.
.......Welldone jony to write on a nice personality.
Shyamu....plz pic a vehicle and go to uncle's house and show him this article.
*****PK
बहुत बढ़िया लिखा भैया आपने..............
काफी समय बाद आपका लेख पड़ने को मिला...........
ये सौभाग्य जल्दी जल्दी दिया करिए.............
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