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Wednesday, June 23, 2010

''सिंह सदन'' की रजनीगन्धा...







जिधर देखूं ..तेरी तस्वीर नज़र आती है... !



वक़्त वाकई रेत की तरह बड़ी तेज़ी से हमारी मुट्ठी से सरक जाता है ! ''सिंह सदन'' रुपी गुलशन के छोटे- छोटे पौधे... कब बड़े हो गए .... कब उनमे सुन्दर फूल आ गए ... पता ही नहीं चला ! एहसास तो तब जाकर हुआ... जब इनकी खुशबू से सारा वातावरण ही महक उठा !

.....''सिंह सदन'' की ऐसी ही एक सुन्दर... पुष्पित ...हरी - भरी ...रजनीगंधा जैसी बेल का नाम है... नेहा सिंह... जिसे पूरा ''सिंह सदन'' प्यार से ''बिटिया'' कहता है !

..... अभी कल की ही तो बात लगती है.... जब दो फीट की बिटिया हमारी गोद में खेला करती थी ! हमारी आँखों के ठीक सामने ही तो वो बड़ी हुयी है ! १९९१ में ''सिंह सदन'' की आधारशिला रखे जाने से लेकर आज तक वो हमारी आँखों के सामने ही तो रही है ! इसे भी संयोग कह सकते हैं कि ''सिंह सदन हेड क्वार्टर'' और बिटिया की उम्र बराबर है ... और दोनों ही हमारी आँख के तारे हैं !

१९९७ के बाद हम दोनों भाई तो प्रशासनिक जिम्मेदारियों में उलझते गए.... और ''सिंह सदन'' के नन्हे - नन्हे पौधे जैसे ....श्यामू ...जोनी ...पिंटू ... बिट्टू ...संदीप ... दिलीप ... टिंकू ... चिंटू ... निक्की आदि अपनी रंगत पकड़ते गए... महक बिखेरते गए !

बिटिया में कुछ गुण श्यामू के आये हैं ! वह भी बेहतरीन पेंटर... संवेदनशील लेखक... कवियत्री .... कुशल वक्ता ... दूरदर्शी और आकर्षक व्यक्तित्व की मल्लिका हैं ! उनका व्यक्तित्व ग्रेसफुल है और ''सेन्स ऑफ़ ह्यूमर'' बेहतरीन है ! वे समझदारी से बातें करती हैं ! मैं एक व्यक्तित्व में जिन तत्वों का सार्वाधिक प्रशंसक हूँ... वे दोनों गुण यानि गरिमा और सहजता बिटिया में स्वाभाविक रूप से मौजूद हैं ! मैं बिटिया को इसलिए भी पसंद करता हूँ क्योंकि उनके अन्दर बनावट और हल्कापन कतई नहीं है !

... हाल में मैंने जाना है कि वे खुद की गलतियों का भी हिसाब रखती हैं ....और उनकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए भी दृढ संकल्प रहती हैं ! मानव रूप में जीवन लेने की सार्थकता भी इसी में है ! कम उम्र होते हुए भी मैं इन गुणों के कारण बिटिया को बेहद ''मैच्यौर'' रूप में पाता हूँ !

बिटिया मेधावी छात्रा हैं और फिलहाल मैनपुरी के सार्वाधिक लोकप्रिय न्यूज़ चैनल SATYAM NEWS की लीड एंकर हैं ! मैनपुरी जैसे छोटे से शहर में पढने - बढ़ने के बावजूद बिटिया ने अपने व्यक्तित्व को परिष्कृत करने में इस वातावरण को बाधा बनने नहीं दिया है ! '' स्वाध्याय '' और '' स्म्रतिवान '' होने के मार्ग पर चलते हुए बिटिया ने तमाम अवरोधों पर विजय प्राप्त कर ली है ! किसी भी स्तर के मंच पर बिटिया की उपस्थिति आत्मविश्वास से परिपूर्ण होती है !

बिटिया के अन्दर सुघड़ता रची बसी है ! ''सलीका'' और ''नफासत'' का दूसरा नाम बिटिया है ! हाल ही में बिटिया ने अपने पिता... और हमारे प्रिय अंकल जी पर क्या ही शानदार ... दिल को स्पंदित करने वाला लेख लिखा ! वास्तव में ये शब्द मात्र न थे .... ये तो बिटिया की नेकदिली.... भावुकता थी... जो शब्द बन कर बाहर आ गयी थी ! ये मेरे जीवन की कुछ सबसे अच्छी पढ़ी गयी रचनाओं में से एक थी !

बिटिया जीवन में अपनी सभी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय कर पा रही हैं ! एक बहन और बेटी की भूमिका में वे नज़ीर बन गयी हैं ! समय आने पर वे एक स्त्री की अन्य सभी भूमिकाओं में भी बहुत सफल रहेंगी ....इसे लेकर मेरे मन में लेश मात्र भी संशय नहीं है ! मुझे बिटिया की पर्सनालिटी में साठ के दशक की अभिनेत्रियों ''तनूजा'' और ''आशा पारीख'' वाला आकर्षण और सेंसिबिलिटी दिखती है !

बिटिया की ख़ूबसूरती ... हुनर... और नेकदिली से ''सिंह सदन'' सदैव महकता रहे.... ''सिंह सदन'' की हर दीवार बिटिया की तस्वीरों से नुमाया हो ...यह मेरी ज़िन्दगी की एक अहम् ख्वाहिश है !

* * * * * PANKAJ K. SINGH

7 comments:

Anonymous said...

पंकज बेटा! आपने बहुत अच्छा लिखा ............
आज जोनी ने पहली बार हमें ब्लॉग पढने का मौका दिया .............
आपके इतने अच्छे लेख के लिए मेरी तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद ............

your's aunty

Neha (Bitiya) said...

धन्यवाद भैया.......
मैं आज जो कुछ भी हूँ वो सिर्फ आप सभी की वजह से हूँ.......
ये ईश्वर की मुझ पर असीम अनुकम्पा है कि मुझे आपसे सीखने को मिला है .......
इतने प्यार के लिए मैं आपकी आभारी हूँ ........
धन्यवाद .......

VOICE OF MAINPURI said...

बिटिया....रजनीगन्धा.पान पराग.पान पसंद. पान मसाला....तो है ही साथ में वो सिंह सदन की गुलकंद भी है....खूब लिखा भैया आपने

ShyamKant said...

बहुत उम्दा लिखा ;;;;;;;;;;
क्या शानदार प्रस्तुति ;;;;;;;;;;;;;;;;;;
कमाल का लिखा

bittoo said...

सुन्दर लिखा आपने....................
मेरी दीदी बहुत प्यारी हैं
bittoo

sapna said...

प्यारा लिखा भैया ..............
दीदी पे मज़ा आ गया ...........

SINGHSADAN said...

बिटिया के बारे में पंकज ने बहुत ही सही लिखा है.....इसके अलावा भी बिटिया में बहुत कुछ है...गुणों की खान है बिटिया...."रजनीगंधा" के बारे में जोनी का कमेन्ट दिल चुरा ले गया....! वैसे रजनी गंधा तो सिर्फ रात में महकती है मगर अपनी बिटिया तो 24 * 7 महकती है.....!
आनंद बख्शी की कुछ पंक्तियाँ ध्यान में आ गयी दोहराने का मन किया है...
"मेरी छोटी सी बगिया की नन्ही कली, मेरा जीवन है तेरा हसीं लाडली
तू जो हँस दे तो सारा जहाँ हँस दे , ये ज़मीं हँस दे आसमाँ हँस दे ...".
बिटिया पर दिलो जान से कुर्बान हैं हम.....और ऐसा लेख लिखने पर प्यारे पंकज पर भी दिल कुर्बान !

*****PK