सुनो ! सुनो ! सुनो !
मैं... श्यामकांत लाया हूँ .... आपके लिए एक प्लेटिनम अवसर .............
दिखाइए अपनी बौद्धिक क्षमता का जौहर और जीतिए एक शानदार गिफ्ट हैम्पर
अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्षमता दिखानी कहाँ है ?
तो ध्यान से समझिये .......................
मै आपके सामने एक अनोखी प्रतिस्पर्धा लाया हूँ, जिसके तहत आपको एक तस्वीर दिखाई जाएगी जिससे जुड़ा एक प्रश्न आपसे पूछा जायेगा ।
यदि आपका उत्तर सर्वाधिक रोचक और आकर्षक होगा तो आप चुने जायेंगे विजेता ।
तो तैयार हैं न आप ।
तो लीजिये ये बोलती तस्वीर .......................
प्रश्न : इस तस्वीर के तहत आपको बताना है, गुरु के चेहरे पर सहजता के भाव क्यों... और उनके यह दोनों शिष्य उनसे किस मंशा से मिलने आये ????????????
मैं... श्यामकांत लाया हूँ .... आपके लिए एक प्लेटिनम अवसर .............
दिखाइए अपनी बौद्धिक क्षमता का जौहर और जीतिए एक शानदार गिफ्ट हैम्पर
अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्षमता दिखानी कहाँ है ?
तो ध्यान से समझिये .......................
मै आपके सामने एक अनोखी प्रतिस्पर्धा लाया हूँ, जिसके तहत आपको एक तस्वीर दिखाई जाएगी जिससे जुड़ा एक प्रश्न आपसे पूछा जायेगा ।
''समस्या हल'' ... साहित्य की अति प्राचीन लोकप्रिय विधा तो है ही ...साथ ही बेहद मनोरंजक भी ! इस बार पहेली में एक ऐसी ही समस्या हल हेतु पेशे- खिदमत है ...अवश्य ही इसमें आपको आनंद आएगा.. !
तो तैयार हैं न आप ।
तो लीजिये ये बोलती तस्वीर .......................
प्रश्न : इस तस्वीर के तहत आपको बताना है, गुरु के चेहरे पर सहजता के भाव क्यों... और उनके यह दोनों शिष्य उनसे किस मंशा से मिलने आये ????????????
(तस्वीर के तहत गुरु एवं शिष्य की आँखों के भावों को वरीयता दी जाएगी )
आपके जवाब शुक्रवार रात 11:59 तक मिल जाने चाहिए
***श्यामकांत (अधिकार सुरक्षित )***
'' समस्या हल '' पद्य , कविता , छंद के रूप में हो तो क्या कहने ... तो दिमाग के घोड़े दौड़ाइए..
***श्यामकांत (अधिकार सुरक्षित )***
6 comments:
गुरु की सेवा कर थके , मांगें शिष्य वरदान !
ठीक परीक्षा हुयी नहीं , अब आप बचाएं प्राण ! !
घन घनोर घन घत घनघोरा
गुरु के आगे झुकत है सिर मोरा!!
गुरु का कुरता लाल.
बिगड़ जाए तो उड़ जाएँ सिर के बाल !!
रुतबा देख झुक जाएँ हर माई के लाल
जो पावें शरण तेहरी माल उड़ावें पूरी साल!!
ये दोनों शिया गुरु से कुछ मदत मांगने आये
और साथ में ये यह भी जानते है की गुरु कही रुष्ट न हो जाएँ वर्ना आशीर्वाद
के लिए उठा हाथ हथोडा न बन जाये ..............
और ये दोनों जानते है की मिलना कुछ नहीं .....है
"हाथ जोड़ कर शिष्य दोउ करते है प्रणाम
मंशा है कछु पान की देउ हमें वरदान
जानत है दोनों यहाँ नहीं मिलन की आस
वक़्त ख़राब न करो कोरा है विश्वास"
सेवा करि करि गुरु की हाथ में परिगाई ठेट
हम तो जित थे उत रहे गुरु तो बनिगये सेठ
पूरी साल है करी घुमाई
गुरु जी अब जान पे बनि आई
अपनी बुद्धि पर नहीं तुम पर है विश्वास
बिगरि गए पेपर मेरे करवाई देवो पास
शांत चित्त गरुदेव दिख रहे, चेले हैं बेचैन
दोनों की बेचैनी जाहिर करते उनके नैन !!
गुरु तो पहने धोती-कुरता दीखते कोई "सिद्ध",
लेकिन चेलों की नज़रें यूँ जैसे शातिर "गिद्ध" !
*****pk
गुरु- वत्स तुम दोनों आज वेस्टर्न आउट फिट में क्यों विचरण कर रहे हो ?
चेले- क्षमा करें गुरुवर, आज तनिक किसी पार्टी में जाना था सो यह वसन धारण किये हैं, कल से हम भी आपकी तरह ही वेशभूषा धारण करेंगे.
(अंजू)
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