"........मैं ईंट गारे वाले घर का तलबगार नहीं,
तू मेरे नाम मुहब्बत का एक घर कर दे !.................."
कन्हैया लाल नंदन ने यह शेर जिस भी परिस्थिति में लिखा हो....मगर "सिंह सदन" के लिए यह मुकम्मल शेर है. रिश्ते सिर्फ संबोधन के लिए ही नहीं होते.....वे दरअसल जीने के लिए होते है......हर आदमी कभी किसी देहलीज़ पर भाई है तो किसी दर पर पति....हर औरत कहीं बहन है तो कहीं माँ......इन्ही रिश्तों में रची बसी कायनात को एक छत के अन्दर जिए जाने की कवायद ही है घर......."सिंह सदन" भी इसी कवायद का एक हिस्सा है........."सिंह सदन " से जुड़े हर एक शख्स और हर एक गतिविधि से परिचय करने के लिए ही ब्लॉग का सहारा लिया गया है ताकि जो भी लिखा जाए वो दिल से लिखा जाये.....और दिल से ही पढ़ा भी जाए.......!
पेंटिंग.. आर्ट... चित्रकारी मेरे बचपन से ही ''पैशन'' रहे हैं ! समय के साथ इस पर कम ध्यान दे पाया... पर श्यामू जो मुझे बिलकुल अपने ''क्लोन'' जैसे दीखते हैं... उन्होंने मेरे हर शौक और अंदाज़ को अपनाया है ! उन्हें देखकर मैं एक दशक पहले के ''खुद'' को पाता हूँ !
श्यामू एक लाज़वाब ''आर्टिस्ट'' हैं ! मानव आकृतियों को उकेरने वाला ऐसा कलाकार... ऐसा चितेरा ... इस प्रथ्वी पर कोई दूसरा नहीं है ! श्यामू के एक - एक हुनर पर मेरी ज़िन्दगी कुर्बान... ! !
बहुत ही शानदार चित्रकारी .............. आपके आगे मैं अपनी कला को बहुत कमजोर मानती हूँ ....... पेन से हूबहू शक्ल बनाना किसी और बस की बात नहीं है ............
श्यामू, क्या बेहतरीन स्केच ब्लॉग पर डाले हैं......तीनों ही तस्वीरें सजीव जन पड़ती हैं. हाव भाव ऐसे कि लगता है कि तस्वीरें अभी बोल पड़ेंगी. तुम्हारी और पंकज की आर्ट और स्केचिंग तो बहुत ही अच्छी है.....यह ऎसी विधा है जहाँ मेरा दखल "जीरो" के बराबर है.....सिर्फ देख कर तारीफ कर सकता हूँ.....फिर चला इन तस्वीरों को देखने के लिए.
5 comments:
shyamu
yar bahut sundar art
mai to bachpan se ap ki art prasanshk raha hun ..........
abhar
पेंटिंग.. आर्ट... चित्रकारी मेरे बचपन से ही ''पैशन'' रहे हैं ! समय के साथ इस पर कम ध्यान दे पाया... पर श्यामू जो मुझे बिलकुल अपने ''क्लोन'' जैसे दीखते हैं... उन्होंने मेरे हर शौक और अंदाज़ को अपनाया है ! उन्हें देखकर मैं एक दशक पहले के ''खुद'' को पाता हूँ !
श्यामू एक लाज़वाब ''आर्टिस्ट'' हैं ! मानव आकृतियों को उकेरने वाला ऐसा कलाकार... ऐसा चितेरा ... इस प्रथ्वी पर कोई दूसरा नहीं है ! श्यामू के एक - एक हुनर पर मेरी ज़िन्दगी कुर्बान... ! !
सुन्दर...अतिसुन्दर...
hirdesh
बहुत ही शानदार चित्रकारी ..............
आपके आगे मैं अपनी कला को बहुत कमजोर मानती हूँ .......
पेन से हूबहू शक्ल बनाना किसी और बस की बात नहीं है ............
श्यामू,
क्या बेहतरीन स्केच ब्लॉग पर डाले हैं......तीनों ही तस्वीरें सजीव जन पड़ती हैं. हाव भाव ऐसे कि लगता है कि तस्वीरें अभी बोल पड़ेंगी.
तुम्हारी और पंकज की आर्ट और स्केचिंग तो बहुत ही अच्छी है.....यह ऎसी विधा है जहाँ मेरा दखल "जीरो" के बराबर है.....सिर्फ देख कर तारीफ कर सकता हूँ.....फिर चला इन तस्वीरों को देखने के लिए.
*****PK
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