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Friday, June 25, 2010

''सिंह सदन'' की ''अन्नपूर्णा''...










एक ''पारिवारिक स्त्री'' के बेमिसाल ज़ज्बे को सलाम...

...एक स्त्री की सभी भूमिकाओं में उन्होंने ऐसे ''प्रतिमान'' गढ़ दिए हैं.... जो किसी के लिए भी चुनौती हो सकते हैं ...एक तरफ वे अगर मूल्यों और मर्यादा की साक्षात प्रतीक... धर्मनिष्ठ पत्नी ... वात्सल्य पूर्ण माँ .... और आदर्श बहू हैं .... तो दूसरी तरफ वे किसी अत्याधुनिक स्त्री की भांति जिज्ञासु .... स्वाध्यायी ... और कर्मठ भी हैं !

....ये सर्वगुण संपन्न स्त्री हमारी सबसे बड़ी भाभी श्रीमती सुमन प्रमोद रत्ना हैं !

...बात १९९६ की शरद ऋतु की है ... उनके पिता पिलखुआ निवासी श्री बारे लाल उनके लिए ''विवाह प्रस्ताव'' लेकर प्रमोद भैया को देखने आये थे ! उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी... परन्तु जिस प्रकार से वे बेहद साफ़ - सुथरे परंपरागत परिधान धोती - कुरता और बंडी पहन कर आये थे... और जिस मधुर ढंग से उन्होंने बातचीत की उसने मेदेपुर में उस समय उपस्थित पिता श्री ...बड़े मामा ... और मुझे काफी प्रभावित किया था ! बाद में मैं ही उन्हें यानि भाभी को देखने पिलखुआ गया था !

... साधारण से घर में भाभी के सौम्य व्यवहार ने मेरे दिल पर ऐसी अमिट छाप छोड़ी ... जो आज तक बरहरात कायम है ! पिछले डेढ़ दशकों में उन्होंने मानो अपना सर्वस्व ''सिंह सदन'' पर न्यौछावर कर दिया है ...और अपने सारे सपनों और अपनी सारी खुशियों को ''सिंह सदन'' के सदस्यों के साथ जोड़ लिया है !

मैं उन्हें जब भी देखता हूँ.... तो वाकई मेरी आँखें भर आती हैं ! मुझे तो वे सदैव ''माँ'' जैसी ही लगी हैं ! उनके हमारे लिए स्नेह और प्रेम का मानो कोई अंत ही नहीं है ! वे अम्मा ... जिया .... और माताश्री का बेहतरीन ''कोकटेल'' बन कर उभरी हैं !

''सिंह सदन'' की खूबसूरती में उन्होंने चार चाँद लगा दिए हैं ! शादी के समय वे एक साधारण से गाँव की बहुत कम पढ़ी- लिखी ज़हीन सी लड़की थीं... परन्तु ''सिंह सदन'' में आने के बाद उन्होंने पीछे मुड कर नहीं देखा ! हर चीज़ को जाना ..... और हर काम को सीखा !

...आज वे एक बेहतरीन ''कुक'' हैं.... घर को चमका कर रखने वाली सुघड़ ....सलीकेदार स्त्री हैं ...बच्चों को खुद पढ़ा देने वाली अच्छी शिक्षिका भी हैं ! भैया ने प्रोत्साहित किया तो खुद भी पढने से पीछे नहीं हटीं ... हाल ही में उन्होंने प्रथम श्रेणी के अंकों से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण कर सभी को सुखद आश्चर्य में डाल दिया है !

.... निश्चित रूप से वे प्रशंसा और सम्मान की हकदार हैं ! उन्होंने हमारा सर गर्व से ऊंचा कर दिया है ! भैया के आई. ए. एस. परीक्षा में सफलता के बाद अगर किसी नतीजे ने मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी दी है... तो भाभी के ही नतीजे ने !

.. भाभी ... आप अंदाजा भी नहीं लगा सकती ...कि आपने हमें कितना कुछ दिया है ! हम वास्तव में आपके एहसानमंद हैं कि आपने हमे इतना प्यार और स्नेह दिया ! आपके होने से ही ''सिंह सदन'' के तमाम उत्सवों और कार्यक्रमों में रौनक आती है !

* * * * * PANKAJ K. SINGH

6 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...
This comment has been removed by the author.
Pushpendra Singh "Pushp" said...

भइया
बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी आपने भाभी पर
वे पाक कला में तो पारंगत है ही और सभी घरेलु कार्य वे खुद ही करती
है तथा पारिवारिक दाइत्वों को बखूबी निभा रहीं है
आपको व भाभी को मेरा प्रणाम..........

Pushpendra Singh "Pushp" said...

भइया
बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी आपने भाभी पर
वे पाक कला में तो पारंगत है ही और सभी घरेलु कार्य वे खुद ही करती
है तथा पारिवारिक दाइत्वों को बखूबी निभा रहीं है
आपको व भाभी को मेरा प्रणाम..........

VOICE OF MAINPURI said...

खूब लिखा....वाकई में वो ऐसी ही हैं.....

ShyamKant said...

वाकई बहुत सुन्दर पोस्ट..........
उन पर लिखना अति आवश्यक था................
वे घर की अति महत्वपूर्ण सदस्य हैं.............
लज़ीज़ ........ और ज़ुजाजु ..........लिखने के लिए .........
धन्यवाद.........

Neha (Bitiya) said...

भैय्या ,वे वास्तव में बहुत उम्दा हैं............
शानदार हैं .........वे हमेशा सीखने को वरीयता देती हैं ............
मैंने उनसे काफी सीखा है ..........
आपने उनके लिए इतना सुन्दर लिखा इसके लिए .............
धन्यवाद....................