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Monday, June 21, 2010

गाजीपुर दर्शन








''गंगा'' की निर्मल धारा के साथ होता.. ''आध्यात्मिक विस्तार''

''गाजीपुर'' पूर्वी उत्तर प्रदेश का जिला है ! यद्यपि क्षेत्रफल और आबादी के द्रष्टिकोण से यह एक बड़ा जिला है परन्तु आर्थिक रूप से यह जिला काफी पिछड़ा है ! मेरा गाजीपुर जिले में कार्य करने का अनुभव मिला -जुला सा ही रहा है ! यहाँ प्राकृतिक संसाधनों और विकास के अवयवों की काफी कमी है तथापि यहाँ के लोगों में संतुष्टि का भाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है !

...यहाँ पर्यटन के महत्त्व के कुछ बड़े ही सुन्दर स्थल हैं ! अपनी राजकीय व्यस्तताओं के कारण मैं कई महीने तक इन स्थलों को देख न सका ...पर अचानक ही बीते सप्ताह इसका भी संयोग बन ही गया ! शायद हर चीज़ का समय प्रकृति ने तय कर रखा है ....हम सब अदने से मोहरे मात्र हैं !

''वाणिज्य कर'' विभाग के प्रदेश के वरिष्ठतम अधिकारी और ''वाणिज्य कर ट्रिब्यूनल'' में सदस्य तथा इससे भी बढ़कर सरकारी सेवा में मेरे ''गार्जियन'' श्री वी. के. सिंह से एक दिन फोन पर बातचीत हो रही थी.. तो मैंने उन्हें गाजीपुर भ्रमण और डिनर का आमंत्रण दिया ... जिसे उन्होंने सस्नेह तत्काल स्वीकार कर लिया !

वी. के. सिंह साहब चूँकि पर्यटन के भारी शौक़ीन हैं... और वे पहले से ही गाजीपुर के सभी पर्यटन योग्य स्थलों की जानकारी रखते थे.. तो वे स्वयं ही मेरे गाइड बन गए और एक- एक करके उन्होंने मुझे इन सभी स्थलों पर घुमा डाला !

...सबसे पहले हम ''लार्ड कार्नवालिस'' के मकबरे पर गए ! कार्नवालिस ब्रिटिश दौर के बेहतरीन प्रशासक थे ! उनके नेतृत्व में भारत में ''राजस्व तथा न्यायिक सुधार'' हुए ! वे दो बार भारत के ''गवर्नर जनरल'' बने ! पहली बार सितम्बर १७८६ से अक्तूबर १७९३ तक ....तथा दूसरी बार जुलाई १८०५ में ! ५ अक्तूबर १८०५ को ६७ वर्ष की आयु में गाजीपुर में ही उनका निधन हो गया ! उनकी याद में यह स्मारक बनाया गया !

गाजीपुर में कई पवित्र आध्यात्मिक स्थल भी हैं .... यथा - ''पवहारी बाबा'' की तपस्थली ... गुफा एवं आश्रम ! सत्य तो मुझे पता नहीं ... पर कहते हैं कि पवहारी बाबा महीनों गुफा में तपस्यालीन रहते थे.... और किसी से शायद ही कभी मिलते थे ! स्वामी विवेकानंद उनके दर्शन करने के लिए एक माह तक उनकी गुफा के बाहर बैठे रहे पर बाबा से मिल न सके ! इस पावन स्थल पर हमने शीश नवाया ...आशीर्वाद लिया !

गाजीपुर में बिहार की सीमाओं के पास ''माँ कामख्या धाम'' है ...जिसकी बहुत मान्यता है ! श्री गंगा राम दास महाराज का आश्रम भी श्रधालुओं से भरा रहता है .... और फिर गाजीपुर में ''पवित्र गंगा'' की निर्मल धारा तो सदैव बहती ही रहती है !

.... इन पावन स्थलों की यात्रा के बाद किसी को भी सहज ही गाजीपुर से अनुराग हो जायेगा ! इस यात्रा में हमारे साथ वाणिज्य कर अधिकारी संजय आर्य , अधिवक्ता बाबर भाई तथा रमन सिंह भी हमराह बने !

* * * * * PANKAJ K. SINGH

4 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

bahiya gajipur yatra bahut hi khub
rahi -------abhar

Neha (Bitiya) said...

अतुलनीय लेख भैया
गाजीपुर का प्रत्यक्ष सा दर्शन करा दिया.
कामख्या मंदिर के बारे में अभी तक मात्र प्राचीन भारत में ही पढ़ा था ................

ShyamKant said...

सर, आपने कमाल का लेख लिखा ....................................
आध्यात्म से दिनों दिन आपका लगाव बढता जा रहा है ..............
बहुत बहुत धन्यवाद .............

SINGHSADAN said...

''गंगा'' के किनारे बसे गाजीपुर शहर अपने अल्पविकसित स्वरुप के लिए जाना जाता है.....
लार्ड कार्नवालिस के मकबरे तथा ''पवहारी बाबा'' की तपस्थली और गुफा एवं आश्रम के अलावा ''माँ कामख्या धाम'' की इस यात्रा का विवरण बहुत ही सजीव लगा .......इस यात्रा में रमन सिंह भी आपके साथ थे....!बहुत खूब .....!सजीव लेखन के लिए कोटिश: बधाई !

******पकु