यूँ तो ह्रदेश किसी परिचय के मुहताज नहीं है और उन पर बहुत सारी पोस्ट भी लिखी जा चुकी है
मगर एसा लगता है कि उन पर लिखी हर पोस्ट अधूरी सी है वे ऐसी उभरती शख्शियत है जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता जोनी और में लगभग हम उम्र है और बचपन कि उन शरारतों से लेकर
आज जिंदगी के अहम् फैसले तक बगैर एक दुसरे कि राय के बिना नहीं करते जोनी के साथ हमारे दो रिश्ते है हम भाई होने के साथ साथ अच्छे दोस्त भी है
जोनी वचपन से ही बहुत शरारती रहा है .............
बचपन की बो शरारत मुझे बखूबी याद है गर्मियों के दिन थे और जोनी के ताऊ भूरे लाल आए थे
यूंतो वे अक्सर आया करते थे और जोनी को कराहल बसड्डे तक साईकिल से छोड़ने के लिए कहते थे
इतनी तपती धुप में जोनी को ना चाहकर भी जाना पड़ता था ...
उसदिन भी ऐसाही कुछ हुआ जोनी स्कूल से आया हुआ था और उन्हों ने जोनी से छोड़ने के लिए कहा
जोनी को बहुत गुस्सा आया लेकिन जाना पड़ा ...........
जोनी के दिमाग में शरारत सूझी उसने सडक पर लगे हुए सब्जी के ठेले से सटा कर साईकिल निकाली........तो ताऊ के घुटने छिल गये और गली देना शुरू कर दिए ..........
जोनी ने सिकल फिर सटा कर निकाली वे दर्द से चिल्ला उठे और उतर कर पैदल ही भाग पड़े ..........
उस दिन से आज दिन तक शयद ही वे कभी जोनी की साईकल पर बैठे हों ..........मजे की बात यह है कि वे हमेशा जोनी को जोंजी कहते है जोनी की बचपन की हर शरारत अनूठी थी वो किसी से भी मजाक करसकता है और हमेशा खुश रहता है आप जोनी के साथ कभी बोरियत महसूस नहीं कर सकते
इन शरारतों में बचपन कब गुजर गया पता ही नहीं चला मुझे हमेशा से जोनी की क़ाबलियत पर भरोसा रहा है और आज जोनी ने सिंह सदन के इस भरोसे को मजबूत आधार देदिया है
आज ह्रादेश सिंह मैनपुरी की महान हस्तियों में से एक है......... और वे नहीं उनके काम बोलते
है कि "ह्रदेश सिंह तुमसा कोई और नहीं" ह्रदेश जी ने समाचार पत्रों में काम कर के ये पाया
शहर में पित पत्रकारिता हो रही है भाई भतीजा वाद है किसी भी नए आदमी को नहीं ठहरने
दिया जारहा है इन सारी कुरीतियों को समाप्त करने की उन्होंने ठान ली और अपने कैरियर
के बारे में ना सोच कर जिले के विकास और कुरीतियों को मिटाने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता
के रूप में मैदान में उतरे और अपना खुद का न्यूज चैनल स्थापित किया और जनता की आवाज को
और जिले की समस्याओं को प्रशासन तक पहुँचाया
जिले के युवाओ को रोजगार दिया तथा उन्हें मजबूती प्रदान की
आज ह्रदेश जी हर मजलूम की आवाज बन गए है ...............
मिडिया के सरताज बनगए है .................
सुबह से शाम तक पता नहीं कितने लोग अपनी अपनी समस्याएं लेकर आते है और संतुष्ट होकर उनकी जय जय कार करते हुए नहीं थकते ह्रदेश जी बहुत ही न्याय पसंद इन्सान है वे हर आदमी को इंसाफ दिलाने की पूरी कोशिश करते है
एक तरफ जहाँ वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां निभा रहे है वाही पारिवारिक जिम्मेदारियों को
भी बखूबी निभा रहे है वे परिवार के बेहद चाहिते है
और सभी बच्चों के फेवरेट चाचा है .........................मिस्टर अक्षत जोनी चाचा के बहुत बड़े फैन है
आज पूरा सिंह सदन ही नहीं पूरा जिला उन पर गर्व करता है
Psingh
मगर एसा लगता है कि उन पर लिखी हर पोस्ट अधूरी सी है वे ऐसी उभरती शख्शियत है जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता जोनी और में लगभग हम उम्र है और बचपन कि उन शरारतों से लेकर
आज जिंदगी के अहम् फैसले तक बगैर एक दुसरे कि राय के बिना नहीं करते जोनी के साथ हमारे दो रिश्ते है हम भाई होने के साथ साथ अच्छे दोस्त भी है
जोनी वचपन से ही बहुत शरारती रहा है .............
बचपन की बो शरारत मुझे बखूबी याद है गर्मियों के दिन थे और जोनी के ताऊ भूरे लाल आए थे
यूंतो वे अक्सर आया करते थे और जोनी को कराहल बसड्डे तक साईकिल से छोड़ने के लिए कहते थे
इतनी तपती धुप में जोनी को ना चाहकर भी जाना पड़ता था ...
उसदिन भी ऐसाही कुछ हुआ जोनी स्कूल से आया हुआ था और उन्हों ने जोनी से छोड़ने के लिए कहा
जोनी को बहुत गुस्सा आया लेकिन जाना पड़ा ...........
जोनी के दिमाग में शरारत सूझी उसने सडक पर लगे हुए सब्जी के ठेले से सटा कर साईकिल निकाली........तो ताऊ के घुटने छिल गये और गली देना शुरू कर दिए ..........
जोनी ने सिकल फिर सटा कर निकाली वे दर्द से चिल्ला उठे और उतर कर पैदल ही भाग पड़े ..........
उस दिन से आज दिन तक शयद ही वे कभी जोनी की साईकल पर बैठे हों ..........मजे की बात यह है कि वे हमेशा जोनी को जोंजी कहते है जोनी की बचपन की हर शरारत अनूठी थी वो किसी से भी मजाक करसकता है और हमेशा खुश रहता है आप जोनी के साथ कभी बोरियत महसूस नहीं कर सकते
इन शरारतों में बचपन कब गुजर गया पता ही नहीं चला मुझे हमेशा से जोनी की क़ाबलियत पर भरोसा रहा है और आज जोनी ने सिंह सदन के इस भरोसे को मजबूत आधार देदिया है
आज ह्रादेश सिंह मैनपुरी की महान हस्तियों में से एक है......... और वे नहीं उनके काम बोलते
है कि "ह्रदेश सिंह तुमसा कोई और नहीं" ह्रदेश जी ने समाचार पत्रों में काम कर के ये पाया
शहर में पित पत्रकारिता हो रही है भाई भतीजा वाद है किसी भी नए आदमी को नहीं ठहरने
दिया जारहा है इन सारी कुरीतियों को समाप्त करने की उन्होंने ठान ली और अपने कैरियर
के बारे में ना सोच कर जिले के विकास और कुरीतियों को मिटाने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता
के रूप में मैदान में उतरे और अपना खुद का न्यूज चैनल स्थापित किया और जनता की आवाज को
और जिले की समस्याओं को प्रशासन तक पहुँचाया
जिले के युवाओ को रोजगार दिया तथा उन्हें मजबूती प्रदान की
आज ह्रदेश जी हर मजलूम की आवाज बन गए है ...............
मिडिया के सरताज बनगए है .................
सुबह से शाम तक पता नहीं कितने लोग अपनी अपनी समस्याएं लेकर आते है और संतुष्ट होकर उनकी जय जय कार करते हुए नहीं थकते ह्रदेश जी बहुत ही न्याय पसंद इन्सान है वे हर आदमी को इंसाफ दिलाने की पूरी कोशिश करते है
एक तरफ जहाँ वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां निभा रहे है वाही पारिवारिक जिम्मेदारियों को
भी बखूबी निभा रहे है वे परिवार के बेहद चाहिते है
और सभी बच्चों के फेवरेट चाचा है .........................मिस्टर अक्षत जोनी चाचा के बहुत बड़े फैन है
आज पूरा सिंह सदन ही नहीं पूरा जिला उन पर गर्व करता है
Psingh
5 comments:
well done pintu ..
splendid piece of writing . yery joyfull post .
बहुत बढ़िया लिखा सिंह साहब !
लगभग एक साल पहले मैंने भी एक लेख लिखा था हिर्देश पर सो यहाँ लिंक दे रहा हूँ आप सब के अवलोकन हेतु :- http://burabhala.blogspot.com/2009/05/blog-post_10.html
हिर्देश के बारे में कुछ कहने के लिए मेरी समझ से इतना कहना फिलहाल काफी होगा कि उसके रहते मुझे कभी एक दोस्त या भाई कि कमी महसूस नहीं होती ! यही दुआ है वह इसी तरह सब का प्यार पाता रहे और दिनोदिन तरक्की करता रहे !
पिंटू......सही कहा जोनी की शख्सियत को दो-चार पोस्टों में नहीं बंधा जा सकता...... उन्हें अगर 'रमता जोगी' कहा जाए तो गलत नहीं होगा......मेले में अकेले और अकेले में मेले के एहसास का नाम ही है जोनी.....!
बच्चों की शरारतों को अंजाम तक पहुँचाने में जोनी की भूमिका हमेशा " प्रेरक " की रहती है.....चाहे वो अक्षत हो या इशी....!
अम्मा के वे दुलारे हैं तो हम सब की आँख के तारे.....!
गाँव में मजलूमों की आवाज़ बन कर उभर रहे हैं आज कल.....ठीक ही तो है !
आलू के शौकीन.....गफलत के महारथी......साथ बैठ जाएँ तो जाड़े की लम्बी रात भी चाँद लम्हों में सिकुड़ कर रह जाए .....
एक अद्भुत अल्हड .....जोनी के ऊपर लिखी मजेदार पोस्ट.....!
PK
भाई क्या लिख दिया....आपके मेरे लिए इस तरह के जज़्बात...मेरे ऊपर एहसान से कम नहीं है.सिंह सदन का हर शख्स मुस्करा रहा है...तरक्की कर रहा है..जहां एक साथ इतनी खुशियाँ हों वहाँ..... हंसी और शरारत भला कैसे नदारत रह सकती है. फिर सिंह सदन का असली सरमाया तो यही हैं.....शुक्रिया पिंटू.
क्या बात है यार ....................
किसी की नजर न लग जाये ..........यारा
Post a Comment