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Friday, June 4, 2010

गुल्लू .. नहीं है उल्लू......!




तीश ..उर्फ़ तीस चालीस... या फिर गुल्लू....सतीश हमारे ताऊ भूरेलाल का सबसे कमेरा लड़का है .हम लोग सतीश को प्यार से गुल्लू या फिर "गुल्लुडा" कह कर बुलाते हैं.सतीश को गुल्लू नाम मेरे पापा का दिया हुआ है...पापा को गुल्लू काबलियत को लेकर हमेशा शक रहा है.इस लिए वे कभी सतीश को ऊंट और बैल कह कर भी सम्बोधित कर देते हैं.हालाकिं गुल्लू ने कई बार अपनी काबलियत को दिखाने की कोशिश की लेकिन पापा की नजरों में गुल्लू की छवि बदल सकी.गुल्लू आज भी हमलोगों के लिए मनोरंजन का साधन है.

श्यामू और पिंटू तो गुल्लू की एक एकअदा पर फ़िदा है.बात प्रमोद भैया की शादी की है....बारात इटावा के पिलखुवां गावं में पहुंची तो हमसब लोग एक बम्बे के किनारे बस का इंतजार कर रहे थे.तभी बम्बे के उस पर से ट्रेक्टर की आवाज़ सुनते ही गुल्लू चिल्ला पड़ा''टेटरआये गओं''गुल्लू का इतना कहना था की पापा को गुस्सा आगया..पापा ने गाली देते हुए गुल्लू के इस उत्साह को वहीँ दबा दिया.इसके बाद पापा ने गुल्लू को कई लेक्चर पिलाये.पापा ने कहा''तुने सब डीग्रियों की......इसके आगे पापा कुछ कहते उस पहले ही बड़े मामा ने उन्हें रोक दिया.

जब हम सब लोग लखीमपुर से मैनपुरी आये और राजा का बाग में किराये के मकान में रह रहने लगे तो पापा ने सत्यनारयण कथा का पाठ कराया...इस कथा के दौरान ही हम सब लोगों की गुल्लू से मुलाकात हुई.आगरा विश्वविद्यालय से गुल्लू एम पास हैं. लेकिन गावं की आवो हवा गुल्लू के नस नस में ऐसी भरी कि वो आज तक निकल ना सकी.गुल्लू हाथ के अच्छे दस्तकार भी है.कोल्ड स्टोरेज का प्लांट लगाना उनके लिए कोई बड़ा काम नहीं है.मास्टर डिग्री से ज्यादा गुल्लू को अपने हाथों पर भरोसा है.गुल्लू को फिल्म देखने का जबरदस्त शौकहै,,,मिथुन,जैकी श्रोफ गुल्लू के पसंदीदा हीरो हैं.दाता और दूध का कर्ज़ मनपसंद फिल्म है.इन फिल्मों की गुल्लू नेनुमाइश में लगने वाले सिनेमा होल में देखा था.

गुल्लू की अपनी लाज़बाव शब्दावली है...मसलन तुरंत को गुल्लू ''गद्दसीना'' बोलते हैं.मोहल्ला को ''टोला पड़ोस''....क्रिकेट खेलना को ''गेंद बजना'' ...जैसे कई लाज़बाव शब्द है जो गुल्लू के मुहसे निकलते ही माहोल में हंसी घोल देते है.गुल्लू बेहद मेहनती इंसान है...बेरोजगारी के दौर में गुल्लू ने हमेशा अपने को व्यस्त रखा.पूरे परिवार को ख्याल रखा.आज भी गुल्लू साईकिल से शहर आता है..दिन भर कम करता है.पर हमेशा हँसता और हसाता रहता है...

*****हृदेश सिंह

3 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

भाई जोनी
निसंदेह सतीश उर्फ़ गुल्लू मेहनतकश इन्सान है
उन्होंने हमेशा मेहनत पर भरोसा किया है
वे आज भी अपने परिवार का साथ निभा रहे है
पर जोनी यार छोले भठूरे वाली बात भी इसमें
मिलाते तो मजा आजाता |
मजा आया .............
jara ek post bhure par bhi ho jaye

pankaj said...

dear jony ..
a memorable jorney of past ... gullu is our childhood favourite . we spent a great time with gullu hazari . he is a character like classic hindi literature's hero created by renu , premchand or mahadevi verma .

Pawan Kumar said...

बेहतरीन पोस्ट ...........गुल्लू का अगर फोटो लगता तो पोस्ट का मज़ा और भी बढ़ जाता......गुल्लू यानी अपना सतीश......वाकई हालत और मजबूरी छोड़ दी जाए तो गुल्लू कमोबेश अच्छा इंसान है....टिपिकल मैनपुरिया स्टाइल में बातचीत करना उनकी पहचान है.....! मुझे गुल्लू बहुत प्रिय है....!