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Sunday, February 12, 2012

स्ट्रेट ड्राइव !

VOLUME--8

 मधु मुस्कान ...  

याद न जाए ...बीते दिनों की .. !




                  .......बातें जब मनपसंद चीज़ों की हो रही हो ....तो मेरी फेवरेट लिस्ट में  सबसे ऊपर है -कोमिक्स ! .. बचपन से लेकर अब तक कोमिक्स के खुबसूरत संसार में हम सभी डूबे से रहे हैं !

हसीन यादों के सफ़र पर...
                           मधु मुस्कान एक ऐसी कोमिक मैगजीन रही है जिसके हर अंक के साथ मानो हमारा बचपन और रंगीन होता गया ! मधु मुस्कान की हसीन यादों के सफ़र पर चलने के लिए आज ये दिल एक बार फिर बेज़ार हुआ जा रहा है ... तो आइये मेरे साथ ..

सर्कुलेशन एक लाख पार....
                             मधु मुस्कान का प्रकाशन फिल्म पत्रिका मायापुरी के ही प्रकाशन द्वारा शुरू  किया गया था १९७० के दशक में  मधु मुस्कान का सर्कुलेशन एक लाख को भी पार कर गया था ! इसमें कई पात्रों की चित्रकथाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती थी !

मधु मुस्कान के लोकप्रिय पात्र ...
                                मधु मुस्कान के लोकप्रिय पात्रों में डैडी जी ,डाकू पान सिंह ,बबलू , पोपट -चौपट,सुस्तराम -चुस्तराम ,भूत नाथ और जादुई तूलिका, फ़िल्मी रिपोर्टर कलम दास,चंद्रू , जासूस चक्रम ,मिनी , आकाश पुत्र शक्तिमान ,मंगलू मदारी और बन्दर बिहारी ने सफलता के नए कीर्तिमान रच दिए !

मधु मुस्कान कोमिक मैगजीन से... मधु मुस्कान कोमिक्स.. 
                                  इनकी सफलता से प्रभावित होकर प्रकाशकों ने इन्ही लोकप्रिय पात्रों को लेकर  मधु मुस्कान कोमिक्स शुरू कर दी !इन्ही प्रकाशकों ने बाद में ''त्रिशूल कोमिक्स'' शुरू कर दी !''गोवेर्संस कोमिक्स'' भी इन्ही प्रकाशकों ने बाद में शुरू की जिसने ''एस्टेरिक्स'' ,फेमस फाइव,लकी ल्युक  जैसे मशहूर विदेशी कोमिक पात्रों को हिंदी में पेश किया ! 

तेज़ी से बदल रहा वक्त ...
                                                            बहरहाल वक्त तेज़ी से बदल रहा था और नए जमाने के तेजी से विकसित होते सूचना तकनीक और मनोरंजन के नए नए उपकरणों के आगे कोमिक्स जैसे माध्यम मुकाबला नहीं कर पा रहे थे ! धीरे धीरे यह सभी प्रकाशन वित्तीय घाटों की वज़ह से बंद हो गए पर ये सारे हर दिल अज़ीज़   लोकप्रिय पात्रों ने हमारे दिलों में एक ऐसी जगह बना रखी है जो रहती दुनिया तक कायम रहेगी ! 

काश.. हम कभी बड़े ही न होते...
                                   काश... हम कभी बड़े ही न होते बच्चे ही बने रहते तो शायद कितना अच्छा होता .बस हम होते और हमारी प्यारी कोमिक्सें होतीं .क्या आप भी मुझसे इत्तफाक रखते हैं ..!  

***** PANKAJ K. SINGH  

1 comment:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

bakai bahiya apne bachpan ki yade taza kar di kash ki vo din fir laut kar ajate ham aur apa saikil par dhute aur kaptan ki dukan se tofi khate
aur gana gate
andheri raton me jab koi masiha nikalta hai use log shahanshah kahte hai.....yad hai
paranam swikaren.