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Saturday, February 18, 2012


राग दरबार – vol-5

ऊँचे ओहदे दुनियां पीछे |
ऑंखें मीचे  आँखे मीचे ||

पैसे में है सारी ताकत ||
कौन है ऊपर कौन है नीचे ||

फर्क अमीरी और गरीबी |
एक चांदनी एक गलीचे ||

फूटी कौड़ी पास नहीं है |
जीवन काटा मुटठी भीचे ||

अपनी किस्मत में है बंजर |
तुम्हे मुबारक बाग बगीचे ||

4 comments:

Anonymous said...

PANKTIIYAN BAHUT SUNDAR HAI MAMA JI, ACHHE SABD HII EK VAAKYAANS KO ACHHA BANATE HAI,BAHUT ACHHI POST HAI,

*** DILIP

Anonymous said...

अद्भुत रचना एक बार फिर से भैया ......
आपका काव्य सृजन बहुत ही परिष्कृत है
बेहद कम शब्दों में संसार का यथार्थ.......
मुझे आपसे बहुत सीखना है ....


बिटिया

SINGHSADAN said...

out standing... awesome... incredible thoughts.. & depth

**** PANKAJ K. SINGH

Anonymous said...

dear pintoo
राग दरबार में बेहतरीन ग़ज़ल पढने को मिली....... शुक्रिया!

ऊँचे ओहदे दुनियां पीछे |
ऑंखें मीचे आँखे मीचे ||
क्या सच्चा शेर कहा है पिंटू........
फर्क अमीरी और गरीबी |
एक चांदनी एक गलीचे ||
नायब शेर है ..........
अपनी किस्मत में है बंजर |
तुम्हे मुबारक बाग बगीचे ||
ये ग़ज़ल का नगीना शेर है....... मुबारक

PK