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Tuesday, February 14, 2012

स्ट्रेट ड्राइव !

VOLUME -9 
   
एक दुर्लभ एवं महान युग पुरुष - भीष्म  


                       मेरी सार्वाधिक प्रिय पौराणिक कथा है - महाभारत !   महाभारत से अधिक  दिलचस्प स्क्रिप्ट इस दुनिया में न तो कभी बनी है और संभवतः न ही कभी बन पाए ! ऊँचे जीवन मूल्यों की शिक्षा देने वाली ये अमर कहानी भारत वर्ष की गौरव शाली जीवन पद्यति की अमूल्य धरोहर है !

  न भूतो न भविष्यते....
                           वैसे तो महाभारत युग में एक से एक विलक्षण और महान पात्र हुए हैं परन्तु मेरे सर्वकालिक  प्रिय पौराणिक पात्र तो यक़ीनन देवव्रत ही हैं जो समय के एक ही विलक्षण और अभूतपूर्व न भूतो न भविष्यते क्षण में देखते ही देखते भीष्म बन गए ! क्या मनुष्य रूप में एक व्यक्ति गौरव और महानता के ऐसे दुर्लभ शिखर को भी छू सकता है यह अहसास सम्पूर्ण मानव जाति सदैव आश्चर्य से करती रहेगी !          


देवव्रत .....
                        देवव्रत कुरु सम्राट शांतनु और गंगा के आठवें पुत्र थे ! पूर्व जन्म के श्राप के रूप में देवव्रत ने प्रथ्वी लोक पर जन्म लिया था ! माता गंगा के साथ रहते हुए देवव्रत ने उस युग के सार्वाधिक महान गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की !  देवव्रत ने देवताओं के गुरु ब्रहस्पति से राजनीति शास्त्र ऋषि वशिष्ठ से वेद और वेदांग और गुरु परशुराम से शस्त्र शिक्षा प्राप्त की !

भीष्म प्रतिज्ञा .....
                        इस युग में देवव्रत से अधिक नैतिक और शब्दों का धनी व्यक्ति शायद ही कोई पैदा हुआ हो ! अपने पिता कुरु सम्राट शांतनु  की इच्छाओं और सुखों के लिए उन्होंने आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने की घोषणा की और माता सत्यवती के पिता को संतुष्ट करने के लिए अपना राज सिंहासन भी त्याग दिया !इस भीष्म प्रतिज्ञा के कारण ही उनका नाम भीष्म पड़ गया!


बात को अपनी जान से भी ज्यादा मान दिया....
                                                  बहुत से मोड़ जिंदगी में आये .......जब उन्हें अपनी आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने की भीष्म प्रतिज्ञा को तोड़ने  का  दबाव कभी  माता सत्यवती तो कभी गुरु व्यास की और से.... कभी काशी राजकुमारी अम्बा तो कभी स्वयं गुरु परशुराम ने उन्हें अपनी आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने की भीष्म प्रतिज्ञा को तोड़ने के लिए कहा..... पर अडिग भीष्म ने अपनी बात को अपनी जान से भी ज्यादा मान दिया.... और कह दिया की....... यदि उनकी प्रतिज्ञा टूटी तो साथ में उनकी साँसे भी टूट जायेंगी !
                                                उनकी माता सत्यवती ने भी  भीष्म  के चरण स्पर्श करने चाहे थे जिसे भीष्म  ने प्रेम पूर्ण आग्रह से स्वयं नकारते हुए उन्हें माता कहा था !


 भीष्म प्रतिज्ञा का मान .......
                                                     अपनी आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने की भीष्म प्रतिज्ञा का मान रखने के लिए उन्होंने अपने  गुरु परशुराम से भी युद्ध करना स्वीकार कर लिया ! भीष्म और गुरु परशुराम  के मध्य २३ दिनों तक भीषण युद्ध चला और अंत में गुरु परशुराम ने भी स्वयं उनकी वीरता और आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने की भीष्म प्रतिज्ञा का सम्मान किया !


महान शूरवीर ..... 
                           भीष्म  अपने युग के महान शूरवीर  थे ! ज्ञान ,दर्शन, प्रतिभा ,साहस ,संवेदना, नैतिकता, दूर द्रष्टि, कर्त्तव्य परायणता  और महानता जैसे समस्त दुर्लभ गुणों  के एकलौते संगम थे ! उनके वीरता के कितने ही किस्सों से महाभारत की कथा भरी पड़ी है !ऐसे महान युग पुरुष का जन्म जिस देश की धरती पर हुआ हो वहां जन्म लेना भी किसी गौरव से कम नहीं है !


महान राज भक्त .....
                                         अपने पिता कुरु सम्राट शांतनु से इच्छा म्रत्यु का वरदान पाने के बाद उन्होंने तब तक अपना जीवन नहीं त्यागा जब तक उन्होंने यह नहीं देख लिया की अब उनके राज्य हस्तिनापुर की सीमायें पूरी तरह सुरक्षित हैं ! धन्य हैं ऐसे  दुर्लभ महान युग पुरुष ! 

दुर्लभ - महान युग पुरुष ...
                                         भीष्म  के जीवन ने मुझे सदैव बेहद प्रभावित किया है ! ऐसे दुर्लभ महान युग पुरुष  को मैं सादर प्रणाम करता हूँ .....और उनसे आशीर्वाद मांगता हूँ की मुझ पर अपने आशीष की वर्षा करें ....ताकि हम भी अपने इस तुच्छ जीवन को धन्य कर सकें !

****** PANKAJ K. SINGH          

5 comments:

sandeep singh said...

बहुत अच्छा लिखा हे मामा जी आपने
बाकई में भीष्म पिता माह एक महान युग पुरष थे
आज की हमारी इस नई पीडी को चाहिए की वो हमारे
भारत बर्ष के महान युग पुरुषो के बारे में जाने

Pushpendra Singh "Pushp" said...

Bahut sundar likha bhaiya
ek mahan yug purush ek maahn yodha
aur ek mahayogi aur najane kya kaya sangya unko di ja sakti hai
samay bhi unka intzar karta tah
mai unhe aur ap duno ko sat sat naman karta haun

Anonymous said...

Bhishma was a true Kshatriya as well as a disciplined ascetic - a rare combination.
He was not only a good warrior, but also highly skilled in political science. He tried his best to bring reconciliation between Pandavas and Kauravas to prevent the war.
shyamkant

SINGHSADAN said...

REALLY INCREDIBLE POST...
VERY INSPIRING POST !!

CHARAN SPARSH SWEEKARE....GURU DEV

SACHIN SINGH

Anonymous said...

very beautifuly presented......it was a pleasant and informative reading experience.....language used is very impressive....thanks