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Thursday, February 16, 2012

छोटा सा युवराज

एक नन्ही सी जान है तू , 
बहुतों के अरमान है तू , 
ममता की चादर में लिपटा,
सिंह सदन की शान है तू ,
 दुनिया की आपा- धांपी  से 
अभी बिलकुल अनजान है तू ,
आने बाली पीढ़ी की  ,
एक नयी पहचान है तू , 

दादी,बुआ,नाना,नानी
सबका बस अब यही है कहना,
तू  है मेरा  राज  दुलारा  
नित मेरी आँखों में रहना 

उठो युवराज अब आँखें खोलो
एक हमारा हिस्सा है तू     
छोटे से इस प्यारे घर का एक नया मेहमान है तू 

युवराज की आवाज़ से ......


माँ मुझे कपडे पहना दो 
जल्दी मुझे घर जाना है 
कितना सुन्दर है मेरा परिवार
अब मैंने ये जाना है


******दिलीप कुमार   


5 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

bahut khub dileep accha likha
likhate raho

Anonymous said...
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Anonymous said...
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Anonymous said...

marvelous piece of writing .. love & blessings for you bachche ... yuvraj .. & dilip

***** PANKAJ K. SINGH

Anonymous said...

दिलीप यार तुम तो कमाल के कवि हो...... बहुत मासूम रचना.... बहुत बहुत प्यार तुम्हे !!!!!!!

PK