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Monday, February 13, 2012

प्रेम प्रार्थना है ....प्रेम मुक्ति है, बंधन नहीं ...
प्रेम सदा बेशर्त होता है....प्रत्येक चीज़ की
शुरुआत प्रेम से ही होती है....प्रेम ही वह चट्टान है
जिस पर हम जीवन की ईमारत खड़ी कर सकते है ..
जीवन प्रेम की कला सीखने का एक स्कूल है.. .
प्रेम ही वह साधन है जिससे हम परमात्मा के समीप
पहुच सकते है...जब दिल में प्रेम होता है तब आप एक
प्रकाश पुंज बन जाते है जिसकी रोशनी में सभी प्रकार के
अँधेरे मिट जाते है  और प्रेम में न सिर्फ आप दिव्य बन जाते है 
बल्कि  वह भी जिससे आप प्रेम करते है ....!!

प्रेम ही है जिसके कारण माँ के गर्भ में एक नन्ही सी जान
नौ माह तक सलामत रहती है...वर्ना आप यदि एक छोटे से
डिब्बे में भी किसी को  कुछ दिनों के लिए
बंद कर दे तो उसकी जान चली जाती है.... प्रेम में  ही
चमत्कार घटित होते है.... जहाँ प्रेम, वहां  परमात्मा !!

तो सिर्फ किसी खास दिन ही प्रेम क्यों ...??
हर पल एक दूसरे से प्रेम करे और जीवन को
एक उत्सव की तरह जिए...!!

[पूज्य गुरू- पवन चाचा जी के पावन चरणों में  समर्पित ...]

सचिन सिंह

1 comment:

Anonymous said...

good sahi likha
shyamkant