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Monday, May 3, 2010

सिंह सदन के अनमोल गौहर पंकज....!


'' सिंह सदन '' के अनमोल गौहर ... पंकज के बारे में यूँ तो एक लेख दो दिन पहले प्यारे पिंटू ने लिखा था (अजीमो शान शहंशाह ................सलामत रहें ...... ).........वो लेख अपने आप में मुकम्मल था .... मगर पंकज के बारे में खुद को लिख पाने से रोक नहीं पा रहा हूँ , पिंटू के उसी लेख को और आगे बढा रहा हूँ........पंकज की शख्सियत ऐसी है .... कि उसे छुपाया नहीं जा सकता.......कहते हैं कि लाख दरवाजे-खिड़कियाँ बंद कर लो मगर '' सूरज '' अगर निकला है .... तो बंद कमरे में भी उसके '' नूर '' का अहसास हो ही जाता है.........कुछ ऐसा ही पंकज का व्यक्तित्व है!

बचपन से ही पंकज तीक्ष्ण बुद्धि वाले विद्यार्थी रहे हैं ........ '' बिंदास '' जीवन शैली उनका पहला परिचय है........बहादुरी-जीवटता उनके जीवन का वो पहलू है जिसे उनसे अलग कर के नहीं देखा जा सकता......... इधर '' अध्यात्म-साहित्य '' पढने का शौक उन्हें लगा है.

'' सिंह सदन '' की मान मर्यादा को ऊंचाई को '' शिखर '' पर पहुँचाने में पंकज का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है........! चूँकि ऎसी परंपरा है हम सब भी आपस में एक दूसरे की '' गरिमा '' को पर्याप्त महत्त्व देंने के बावजूद रिश्ते '' दोस्ताना '' रखते हैं..........पंकज छोटे भाईयों में अपने हंसमुख स्वभाव के लिए बहुत '' लोकप्रिय '' रहे हैं.......यह अलग बात है छोटे भाईयों में वे '' खौफनाक '' भी काफी हैं.


जीवन शैली में नए प्रयोगों के वे बेहद '' शौकीन '' हैं........ '' स्टाइल आइकोन '' चुनने की बात हो......या अपने परिधानों की....... '' नयी जीवन शैली '' के उदाहरण आपको उनके '' स्टाईल '' में मिल ही जायेंगे. बचपन में पढ़ने की ललक......साथ में '' क्रिकेट '' में नाम कमाने की चाहत......फिर अचानक '' मीडिया '' से जुड़ने की जिजीविषा.....और अब प्रशासन में ! '' समाज सेवा '' और '' राजनीति '' में आगे बढ़ने की अभिलाषा अभी उनके मन में कहीं दबी हुयी है.........बहरहाल ये बदलाव उनके जीवन का अटूट हिस्से हैं.......बहुत देर टिक कर एक ही काम करने से शायद उन्हें ऊब होने लगती है.......!


पिंटू ने साल दर साल ..... उने जीवन का खाका खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ी ...... सो उस बात को दोहराने का कोई फायदा यहाँ नहीं........एक निहायत "इन्ट्रोवर्ट पर्सनालिटी " से एक दम "एक्स्ट्रोवर्ट पर्सनालिटी " में तब्दील होना भी पंकज के .... '' परिवर्तन गामी व्यक्तित्व '' का ही हिस्सा है. मैनपुरी- गाजियाबाद, आई आई एम सी दिल्ली, दैनिक जागरण सिटी रिपोर्टर, स्टार न्यूज, ट्रेड टैक्स विभाग .........हर पल कुछ '' नया '' कर गुजरने कि चाहत ............वे कहीं भी रहे, चमकते हुए '' सितारे '' की तरह रहे. गुमनामी में '' दब्बू '' बन कर काम करना......उनकी फितरत में नहीं है.


पंकज की एक पहचान और भी है कि वे क्रिकेट के तो जानकार हैं हीं....... '' हिंदी सिनेमा '' के बारे में भी उनकी पकड़ बहुत जबरदस्त है......संगीत से लेकर हीरो-हीरोइन -चरित्र अभिनेताओं तक के बारे में उनकी जानकारी बेजोड़ है.....! मगर यहाँ भी उनकी पसंद ज़रा ...... '' लीक से हटकर '' है.......जैसे क्रिकेट में वे इमरान खान, हेडली के प्रशंसक हैं.......फिल्मों में भी वे ...... देवानंद , फ़िरोज़ खान , विनोद खन्ना , गीताबाली , किशोर कुमार , मदन मोहन , गुरु दत्त , आमिर खान जैसे प्रयोग धर्मी कलाकारों के बड़े प्रशंसक हैं.


गाँव में जाकर ... '' गाँव की जीवन शैली '' में एन्जॉय करना हम सब भाइयों का '' शगल '' रहा है ........पंकज भी इससे अछूते नहीं हैं......खेत में बैठकर तरबूज खाने का आनंद रहा हो ...या उपले-कंडे कि आग में आलू भून कर खाने का अनुभव रहा हो ....... साथ ही ताश खेलने के दौरान '' बेईमानी '' करना ..... और छोटे बच्चों के साथ हंसी- ठिठोली करना, ........सब जगह ... पंकज की उपस्थिति पूरे मनोबल के साथ रहती है......!


अब और क्या लिखूं अपने जिगर के टुकड़े के बारे में.................. इन सब के बाद भी पंकज के एक हिस्से को रीता देखता हूँ तो दिल को बहुत कष्ट होता है मगर "कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कभी ज़मीं तो कभी आसमाँ नहीं मिलता...." जैसी पंक्तियों से न चाहते हुए भी इत्तिफाक रखते हुए मैं ईश्वर से कामना करता हूँ की मेरे हिस्से की सारी खुशियाँ .... पंकज के गले का हार बन जाएँ.....आमीन !


*****तार्रुफ़ के लिए पकु3

2 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

भैया बहुत ही सुन्दर लिखा आपने
जो कमी हम से रह गयीं थी वे अप ने पूरी करदी
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा |
पंकज भैया बाकई अदभुत इन्सान है
गुरुर इस बात का है -कि वे हमारे भाई है |
में उन्हें नमन करता हूँ |

VOICE OF MAINPURI said...

भैया आपने एकदम सही लिखा है.पंकज भइया जितने बहार से सख्त है दिल उतने ही नरम और संजीदा इंसान है.घर. परिवार.दोस्त और गरीबों के लिए उनका दिल बहुत बड़ा है.इसमें कोई दो राय नहीं है वे सिंह सदन के नायाब नगीने हैं.हम सब उनको अपने बीच पाकर सोभाग्यशाली महसूस करते हैं.इश्वर भैया की हर ख्वाइश पूरी करे.....