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Sunday, July 25, 2010

RETRO PARADE - 1987



खिलते हैं गुल यहाँ ... !

वर्ष 1987 का प्रारंभ - अचलगंज (उन्नाव)
वर्ष 1987 का समापन - अचलगंज (उन्नाव)

... वर्ष १९८७ भी हमारे बाल्यकाल का एक और सुन्दर वर्ष कहा जा सकता है ! इस वर्ष कुछ ऐसी उपलब्धियां भी भैया और मुझे मिली ....जो उस समय की परिस्थितियों में बहुत ख़ास थीं ...और कदाचित हम दोनों के लिए आज भी स्मरणीय हैं !

इस वर्ष ने कुछ बड़े महत्त्व के मील के पत्थर स्थापित कर दिए .... जिन से कालांतर में सिंह सदन का भविष्य निर्धारित होने में सहायता मिली ! इस वर्ष भैया ने क्लास ८ में ''डिस्ट्रिक्ट बोर्ड'' की परीक्षाओं में जिले में मेरिट में ''टॉप'' कर दिया ....और हमारा घर सभी गुरुओं और छात्रों के लिए सम्मान और स्नेह का केंद्र बन गया !....मैं भी भला कहाँ पीछे रहने वाला था ...क्लास ५ में मैंने भी जिले की मेरिट में टॉप कर पहली बार कुछ सम्मानजनक उपलब्धि हासिल की !

.....इस परीक्षा की एक दिलचस्प कथा है ...मैं एक पेपर में समय से पूर्व ही सारे प्रश्न हल कर बैठा था.... तभी चेकिंग करने अधिकारीयों की टीम आ गयी ! मुझे खाली बैठा देख अधिकारीयों ने मेरी कोपी देखी... उन्हें शक हुआ कि इतनी जल्दी इस छात्र ने कैसे पेपर हल कर लिया ...मुझे दोबारा कोपी दी गयी ...और अधिकारीयों ने सामने बैठाकर मुझसे दोबारा नया पेपर हल कराया ...और संतुष्ट होकर मुझे शाबाशी दी ! इससे मेरे स्कूल के शिक्षक मुझसे बेहद प्रसन्न हुए !

१९८७ के नए सीज़न में एडमिशन के समय हमारे स्कूल ने अपने विज्ञापनों में हम दोनों भाइयों का उल्लेख किया तो अपने शर्मीले स्वभाव के कारण मुझे यह देखकर बड़ी शर्म महसूस होती थी ! एक बार हमारे शिक्षक श्री धरमदास जी ने भरी क्लास के बीच में मुझे अपने पुत्र को अंग्रेजी पढ़ाने को कहा ....तो जैसे मैं शर्म से गढ़ ही गया था ! इससे मैं काफी डर गया ...और मैंने अपने गुरु श्री राम सजीवन जी से यह बात कही... तो उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि उन्होंने( श्री धरमदास जी ) मेरा मज़ाक नहीं उड़ाया है ...वरन वाकई उन्हें अपने पुत्र के लिए टीचर चाहिए है !

गुरु श्री राम सजीवन जी हम दोनों भाइयों के सर्वकालिक आराध्य गुरु रहे हैं ! हम पर उन्होंने बड़ी मेहनत की ! वे हमारे ऐसे पहले गुरु थे ...जिनसे हमारा दिल का रिश्ता स्थापित हो गया था ! उनके बिना हमारा दिन ही नहीं कटता था ! हर दिन वे हमें कुछ न कुछ नया सिखाते !

इस साल ही दूरदर्शन पर रामानंद सागर का मशहूर सीरियल ''रामायण'' प्रसारित होना शुरू हुआ... और काफी जद्दोज़हद और इसके हानि- लाभों पर कई दिनों तक चली विशेषज्ञों की गहन मंत्रणा के बाद... हमारे घर बुश कम्पनी का ''ब्लैक एंड व्हाइट'' टी. वी. आ पाया ! उन दिनों हमारे यहाँ सुविधाओं की बहुत कमी थी... बिजली हमारे यहाँ दिन भर में मुश्किल से ६ से ७ घंटे आती थी ...और उसमे भी इतना लो वोल्टेज ...कि कोई उपकरण चल ही नहीं पाते ! टी. वी. आ तो गया था पर बिजली की वज़ह से कोई कार्यक्रम देख ही नहीं पाते थे ! वैसे भी १९८७ में दूरदर्शन पर गिने चुने कार्यक्रम ही आते थे ...सन्डे को रामायण और फिल्म के अलावा विक्रम बेताल, सिंहासन बत्तीसी, बुनियाद, चित्रहार सभी की पसंद के कार्यक्रम थे.... जिन्हें देखने हमारे घर पर भारी भीड़ लग जाती थी !

इस वर्ष ''रिलायंस वर्ल्ड कप'' हुआ ....और हमारा क्रिकेट प्रेम सारी हदें पार कर गया ! उन दिनों ''बिग फन'' बबलगम कम्पनी ने एक कोंटेस्ट शुरू किया... जिसे जीतने के लिए हमने कई दोस्तों के साथ मिलकर चन्दा जुटाया ....और उससे बबलगम ख़रीदे गए ...जिन्हें खाने में मेरी कोई रूचि न थी... मेरी रूचि मात्र उनमे निकलने वाले स्कोर कार्ड में थी ! बहरहाल हमने पर्याप्त स्कोर इकट्ठा कर खिलाडियों के कई पोस्टर जीते ...और वे पोस्टर लम्बे समय तक हमारे कमरों की दीवारों की शान बने रहे !

इस वर्ष आग ही आग, लोहा, सिंदूर, मिस्टर इंडिया, नगीना, प्रतिघात, प्यार झुकता नहीं, बाबुल, नाम जैसी नयी फिल्मों के गाने सुनने के लिए चित्रहार और चित्रलोक जैसे कार्यक्रमों को हम बड़ी दिलचस्पी से देखते और सुनते थे! वीडिओ पर फिल्म देखना किसी उत्सव की तरह होता ... और बाकायदा कई मित्र चन्दा जोड़ कर यह पुनीत कार्य सम्पादित करते ....हालांकि समाज में हमारे कई शुभ चिन्तक इसे हिकारत की द्रष्टि से देखते !
(TO BE CONTINUED... )


* * * * * PANKAJ K. SINGH

3 comments:

SINGHSADAN said...

ऐसा लग रहा है कि हरेक साल की डायरी खोल कर सामने रख ली हो और धीरे धीरे उन पन्नो को पलट रहे हो.....इस सिरीज की तीनों ही प्रस्तुतियां अनमोल हैं......तस्वीर सामने आ जाती है....अचलगंज के वे दिन जिनमे हमने बचपन बिताया......साफ़ कुछ याद आ गया....अगली प्रस्तुति का बेसब्री से इन्तिज़ार है......

SINGHSADAN said...

एक बार फिर मजा आगया hirdesh

SINGHSADAN said...

आदरणीय भैया
बहुत मजा आया
पोस्ट पढ़ कर लाजबाब पोस्ट लिखी अपने
आपका पिंटू