Total Pageviews

Wednesday, July 7, 2010

SINGH SADAN CONCLAVE - 2010


PRESENTATION PAPER NO. - 1

'' सब पढ़ें ... सब लिखें ''



100 लेखों का यह सफ़र महज 85 दिन में....सहसा मुझे विश्वास नहीं हुआ मगर यह सच है.सभी योगदानकर्ताओं का दिल से आभार.

यह रचनात्मक- आत्मीय आन्दोलन जिस लक्ष्य के साथ शुरू हुआ था उसे पाया तो गया ही , अब उसे सहेजने का प्रयास चल रहा है.....!

इस अवसर पर पंकज सिंह द्वारा प्रस्तावित ''विचार श्रंखला'' ... SINGH SADAN CONCLAVE - 2010 का आयोजन किया जाना उचित ही है.

इससे पहले कि इस कोनक्लेव में अन्य परिजन अपनी लेखनी के परचम फहराएँ......मैं अपनी बात सीधे सपाट अंदाज़ में लिख देता हूँ....!


1. ब्लॉग का अब तक का सफ़र कैसा रहा है ?


@मेरा सपना था सिंह सदन को और आप सबको ब्लॉग पर एक साथ लाने का....पूरा हुआ.




2. आपको इस ब्लॉग से जुड़कर कैसा महसूस हुआ है ?


@गूंगा हूँ मैं .........बस यूँ समझ लीजिये कि गुड़ कि डली जुबां पर रख ली है....स्वाद ले रहा हूँ.....बता नहीं सकता !


3. ब्लॉग ने आपके जीवन दर्शन को किस प्रकार प्रभावित किया है ?


@दूरियां ख़त्म हो गयीं.....सुबह उठकर पहला काम ब्लॉग को देखना ही होता है......अख़बार की आदत पीछे छूट गयी है......ब्लॉग न पढो तो सब कुछ अटपटा सा लगता है.


4. ब्लॉग के किन लेखों और लेखकों को आप सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.. और क्यों ?


@किसी एक को कहना मुश्किल है....पंकज की आत्मीय समीक्षाएं- लेख- बुलेटिन , पिंटू के व्यक्तित्व विश्लेषण, जोनी के घटनापरक आलेख, श्यामू के चुटीले बाण, मम्मी के आशीर्वादी लेख, अंजू और बिटिया की रचना धर्मिता, चिंटू-प्रिया-संदीप-दिलीप की मासूम लेखनी दिल चुरा ले जाती है.


5. ब्लॉग में और क्या रचनात्मक सुधार आप चाहते हैं ?


@इधर ब्लॉग पर वरिष्ठ लोगों की सक्रियता घटी है.....बढ़ाये जाने की आवश्यकता है.


6. ब्लॉग ने आपके आत्मीय संबंधों को किस प्रकार दृढ बनाया है ?


@इसका जवाब पहले ही दे चुका हूँ.....( बिंदु 3)


7. ब्लॉग की सक्रियता में आप की भूमिका कितनी सार्थक रही है ..और क्या आप इससे संतुष्ट हैं ?


@अभी तो बहुत कुछ लिखना छूटा हुआ है.....


8. ब्लॉग की संरचना में आप अपनी पसंद की क्या भूमिका निभाना चाहते हैं ?


@सब पढ़ें.....सब लिखें. यही नारा होना चाहिए अब.


* * * * * PK
(सम्पादन-पंकज सिंह )

1 comment:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

भइया आप ने गूँगा बन कर पूरी बात कह दी प्रणाम स्वीकारें