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Saturday, July 24, 2010

आओ सीखें पोस्ट लिखना....

बीते कुछ दिनों में ब्लॉग पर पोस्टों की संख्या में गिरावट देख रहा हूँ...कारण कोई खास नज़र नहीं आया....ब्लॉग पर पुराने ही दिग्गज कलम घिसे जा रहे है....जैसा की आप सभी जानते हैं कि ये ब्लॉग सहकारी प्रयास पर आधारित है....इसलिए इसको मकसद तक ले जाना मेरा प्रथम कर्तव्य है....यानि मुझे आपने हिस्से कम करना है....संसाधनों के अभावों में जो मक़ाम बनाता है इतिहास उसी का लिखा जाता है...इस लिए काम करना है...ब्लॉग पर नये लोग जुड़ने में कम उत्साह दिखा रहे है....नये लोगों के उत्साह को ब्लॉग पर दर्ज़ कराने के लिए नई पहल की शुरुआत कर रहा हूँ....शायद इसके कुछ सार्थक परिणाम ब्लॉग पर जल्द दिखाइए दे....इसी उम्मीद के साथ बिस्मिल्लाह करते है....पोस्ट लिखने के कुछ आसान तरीकों पर......

इस पहल के जरिये हम आपको बताएँगे पोस्ट लिखने के कुछ आसान और असरदार तरीके.....

सबसे पहले समझ लेना चाहिए की विचारो को लिपिवद्ध करना ही लेखन है.दरअसल लेखन एक दर्शन है..यानि जब तक देखा नहीं तब तक लिखा नही.
पोस्ट की भाषा कैसी हो:- पहले ये जान ले की आपका माध्यम कंप्यूटर है...जिसके जरिये आप कम्युनिकेट कर रहे है....इसलिए इसकी भाषा बेहद सरल और विश्लेषणों से मुक्त हो.....ब्लॉग पर लिखी जाने वाली आप की पोस्ट की भाषा हिंदी सिनेमा की तरह होनी चाहिए...ताकि हर किसी को आसानी से समझ में आ सके.ध्यान रहे की ब्लॉग को पड़ने वाले ग्रामीण अंचल में रहने वाले भी है.....और बच्चे भी है इसलिए जरुरी है पोस्ट में आम बोलचाल की भाषा ही प्रयोग में लायें.आपकी भाषा ऐसी होनी चाहिए ताकि पोस्ट हर किसी पर असर डाल सके.....उदाहरण:-
November 19, 2009 बावस्तगी चलती रहे......(नजरिया ब्लॉग में लिखी गयी इस पोस्ट को देखें....)
पता ही नहीं चला कब 10 साल गुजर गए...... मुट्ठी से रेत की तरह.......शायद उससे भी ज्यादा तेज........ऐसे कि पलकें बंद कीं और खोलें तो एक दशक गुज़र जाए...! आज अंजू के साथ 10 साल का सफ़र पूरा हुआ है....1999 में जब हमारी शादी हुयी थी तो हम महज 24 बरस के थे वो उम्र कि जब बच्चे अपने कैरियर को शेप दे रहे होते हैं.....हमने अपना कैरियर बनाया और झट से शादी कर डाली........! मंसूरी से ट्रेनिंग ख़त्म हुयी और उसके तुरंत बाद हम परिणय सूत्र में बंध गए......! इस बीच हमने जिंदगी के तमाम उतार चढ़ाव देखे....कुछेक मुश्किलें जरूर आयीं मगर ईश्वर की कृपा से सब कुछ ठीक ठाक निबट गया...........एक सर्विस से दूसरी और फिर दूसरी से तीसरी........अंतत: देश की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा में ..... दो मासूम बेटियां.........कानपुर- लखनऊ-बरेली-गाज़ियाबाद के बाद अब गोरखपुर प्रवास..............
एक और देखें
http://pkstiger.blogspot.com/2010/04/blog-post.html (पर लिखी गयी पोस्ट को देखें)
गुरुदत्त का नाम जेहन में आते ही एक ऐसे फ़िल्मकार एवं नायब शख्स की तस्वीर उभरती है जिसने वक्त से बहुत आगे जाकर काम किया | गुरुदत्त ने हिंदी सिनेमा को जो फ़िल्में दी हैं विषय वास्तु, तकनीकी, सम्पादन और संगीत एवं अभिनय सभी स्तरों पर वस्तुत: वे अनमाले व् अविस्मरणीय रचनाये हैं | ९ जुलाई १९२५ को मंगलौर में जन्में गुरुदत्त का व्यक्तित्व पर समन्वित संस्कृति का प्रभाव पड़ा |

इस पोस्ट में देखेंगे की पोस्ट को बेहद सरल भाषा में लिखा गया है...पोस्ट में विश्लेषणों का प्रयोग भी नहीं किया गया है..बस अपनी बात को सीधे और सरल भाषा में व्यक्त किया गया है....
पोस्ट को लिखते समय नए लेखकों को पोस्ट में भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए.पोस्ट लिखते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें की पोस्ट महज आपके अनुभव और दिल की बात का एक लिखित दस्तावेज है.
पोस्ट की शुरुआत कैसे करें:-नए लेखकों के साथ पोस्ट की इब्तदा और इन्तहां यानि शुरुआत और आख़िर को लेकर बड़ी दिक्कत रहती है.नए लेखकों से इतना ही कहना चाहूँगा कि इस डर को दिल से निकाल कर बस लिखने बैठ जाना चाहिए....हाँ बस कुछ बातों को जरुर ध्यान में रखना चाहिए.पोस्ट ''5 डब्लू और 1 एच'' पर आधारित होनी चाहिए...यहाँ पर 5 डब्लू और 1 एच'' से मतलब what - क्या.when-कब.where -कहाँ.whom -कौन.why -क्यों और how -कैसे. पोस्ट को लिखते समय इन सवालों का जवाब पाठक मिलना चाहिए.उदाहरण:-
September 13, 2009 बोरलाग का जाना (नजरिया ब्लॉग में लिखी गयी इस पोस्ट को देखें....)
ख़बर मिली कि नॉर्मन बोरलाग नही रहे.....एक टीस सी उठी. बोरलाग वही शख्स थे जिन्होंने 1970 के दशक में भारत और तमाम विकासशील देशों को भोजन उपलब्ध कराने में महती योगदान दिया था। हरित क्रांति के मसीहा के रूप में उन्होंने पिछड़े देशों में खाद्यान्न उपज के प्रति जो आन्दोल चलाया उसका सम्मान उन्हें नोबेल पुरुस्कार के रूप में मिला। ऐसे में डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन का यह कहना बिल्कुल सटीक ही है कि "नॉर्मन बोरलॉग भूख के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वाले महान योद्धा थे. उनका मिशन सिर्फ़ खेतीबाड़ी से पैदावार बढ़ाना ही नहीं था, ल्कि वो ये भी सुनिश्चित करना चाहते थे....

इस
पोस्ट में उपरोक्त विधा का प्रयोग किया गया है.

पोस्ट का फोरमेट:-यूँ तो पोस्ट अधिकतर फीचर विधा में लिखीं देखीं गयीं है...चूँकि पोस्ट में लेखक अपनी भावनाओं और ज़ज्बातों का ही लेखा-जोखा पेश करता है.एक बात ओर लेखक को पोस्ट में मनोवृत्ति से बचाना चाहिए.पोस्ट स्रजनात्मक लेखन की विधा में आता है. पोस्ट लेखन एक अलग विधा के तौर पर नजर आती है.फिर भी इसके लेखन के नियम अलग नहीं है.इसलिए फीचर और पोस्ट में अंतर बेहद कम है.फोरमेट के तौर पर पोस्ट को उल्टा पिरामिड शैली में लिखा जाना चाहिए.मसलन पहले मुख्य बात..फिर उससे कम महत्व की बात और आखिर में बिल्कुल कम महत्व की बात...पोस्ट को तीन भाग में बाँटते है.पहला भाग पोस्ट को मुखड़ा यानि पोस्ट का इंट्रो कहलाता है .मुखड़ा किसी भी पोस्ट की जान होती है..पोस्ट की शुरुआत अगर रोचक है तो पाठक पोस्ट को गम्भीरता से पढ़ेगा..इसलिए इस पर नए लेखकों को अधिक महनत करनी चाहिए.दूसरा भाग को मीडिल कह सकते है.इसकी शुरुआत इंट्रो के अंत से होती है जो बात मुखड़े में कही गयी है उसी को दुसरे भाग में एक्सप्लेन किया जाता है.पोस्ट का तीसरा भाग यानि अंतिम भाग में पोस्ट का कन्क्लूजन लिखा जाता है..इस तरह से पोस्ट तैयार की जाती है.
पोस्ट को कैसे सुंदर बनायें:-पोस्ट को सुंदर बनाने के लिए पोस्ट में भाषा अशुद्धि नहीं होनी चाहिए.साथ ही शब्दों के चयन में खास सावधानी बरतें.वाक्य ज्यादा बड़े न हों.दस शब्दों में आपका एक वाक्य पूरा होना चाहिए.उदहारण:-
Saturday, July 10, 2010 स्पेन या हालैंड.....? (नजरिया ब्लॉग में लिखी गयी इस पोस्ट को देखें....)

फुटबाल के इस सीजन में सिंह सदन क्यों चुपचाप रहे.....स्पेन और हालैंड के बीच होने वाले फुटबाल मैच का मज़ा कल रात में लीजिये, मगर मेरी इच्छा है कि इस मैच को देखने से पूर्व शकीरा का "वाका - वाका" देखें और मैच को देखते हुए मुझे भी याद कर लें.....! शकीरा का "वाका - वाका" कैसा लगा जरूर बताएं.....!
तो ये थे कुछ टिप्स जो पोस्ट लिखने में आपकी मदद करेगें..उम्मीद है नए लेखकों के लिए ये पोस्ट उपयोगी साबित होगी.....
*****हृदेश सिंह**


4 comments:

शिवम् मिश्रा said...

एक बेहद उम्दा पोस्ट .........बस एक जगह 'पढने' को 'पड़ने' लिख गया है !

"ध्यान रहे की ब्लॉग को पड़ने वाले ग्रामीण अंचल में रहने वाले भी है"

शिवम् मिश्रा said...

एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

SINGHSADAN said...

यह हुई आई. आई. एम. सी. के किसी होनहार की पोस्ट.....काफी दिनों बाद धमाकेदार वापसी की........ ब्लॉग से बेरुखी क्यों ? बहरहाल राबता बनाये रखिये......पोस्ट में एक एक बिंदु को जिस तरह समझाया गया है उससे नवोदित ब्लोगर तो लाभान्वित होंगे ही हम जैसों को भी नयी तकनीकें जानने का अवसर मिला...... लेख वाकई बहुत प्रभावशाली है........!
*****PK

SINGHSADAN said...

जोनी बहुत अच्छी जानकारी दी है
यह जरुरी था इससे लोग लिखना सीखेंगे
बहुत मजा आया पोस्ट पढ़ कर
पिंटू