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हिंदुस्तान ९० के दशक के बाद तेज़ी से बदला.सिंह सदन की नीव भी इसी दौर में रखी गयी. आर्थिक उदारीकरण की झलक घरों के भीतर दिखाई देने लगी.रहन सहन के साथ लोगों की सोच में भी बदलाव शुरू हुए.सबसे अधिक् तब्दीली कि लोग व्यस्त हो गए.तरक्की कि भूख शुरू हो गयी.लोग दौड़ने लगे.घर दूर होने लगे... अपने भी पास नहीं रहे...लोग वे सुध है....तरक्की अच्छी बात है...लेकिन उसमे नया नजरिया शामिल हो तो क्या बात है...हमारी संस्कृति पक्षिम की तरह व्यक्तिवादी नहीं है हमने सदा ''वासदेव कुटुम्बकम'' की रीति का अनुकरण किया है. ये सोच किसी कोने में दब सी गयी.उसे जगाने की जरुरत है.हम पक्षिम के कपडे तो अपना लेते है लेकिन उनके किसी काम को करने के गंभीरता को नहीं अपनाते हैं.
आज भाषा की गिरावट सबसे बड़ी चिंता होने चाहिए...एस एम एस में भाषा शोर्ट हो रही है.''you '' का काम सिर्फ'' u '' से चल रहा है...नयी पीढ़ी जब बड़ी और समझदार होगी और उसके सामने जब '' you '' आएगा तो उसे वो गलत बताएगा क्योंकि उसने तो you की जगह u ही अधिक पढ़ा है.संस्कृति और सभ्यता को जिंदा रखने में भाषा अहम है.एक बार टर्की की भाषा समाप्त होने लगी.सुल्तान को चिंता हुयी.दरबार में अपने सलाहकार से पूछा की टर्की की मूल भाषा को लागू करने में कितना समय लगेगा.सलाहकार ने बतया की 14 साल.सुल्तान ने फ़ौरन आदेश दिया की पूरे देश में मुनादी करा दी जाये की कल 14 साल पूरे हो रहे हैं.किसी भी चीज़ को अपनाने के लिए इसी तरह का द्रणनिश्चय होना चाहिए.
तरक्की बुरी चीज़ नहीं है...दुनिया में हर अच्छी बुरी चीजों के जानकारी होनी चाहिए लेकिन अच्छी चीज़ का हिस्सा बनाना चाहिए. किसी काम को शुरू करने के लिए कभी वक़्त का इंतजार नहीं करना चाहिए...आत्मबोध होते ही शुरू हो जाना चाहिए.सिंह सदन तेज़ी से बदल रहा...नयी पीढ़ी आगे आ रही है..हम सब की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि उन्हें अपने अच्छे बुरे अनुभवों से रु ब रु कराये... देश के नवनिर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करें..में समझता हूँ की सिंह सदन इसके लिए तैयार है...और आप..
हृदेश
6 comments:
DEAR JONY ,
A TOUCHING ARTICLE. YOU SAID VERY WELL THAT WE ARE JUST FORGETTING OUR RICH VALUES , BUT REMEMBER IT 'S ONLY US WHO HAVE DO TO SOMETHING FOR GETTING ORIGINALITY BACK .
***** PANKAJ K. SINGH
अच्छी चीजों का हिस्सा बनें..... अच्छा आर्टिकिल है.....!!! काफी दिनों बाद तुम्हारा लेख पढने को मिला अच्छा लगा.... !!!
PK
संस्कृति और सभ्यता को जिंदा रखने में भाषा अहम है....तरक्की बुरी चीज़ नहीं है....दुनिया में हर अच्छी बुरी चीजों के जानकारी होनी चाहिए लेकिन अच्छी चीज़ का हिस्सा बनाना चाहिए....!!
KITNE KAM SHABDO MEIN KITNI SACCHI AUR GAHRI BAATEIN AAPNE KITNI AASANI SE KAH DI HAI....WAAH CHACHA JI.
SACH MEIN MUJHE BEHAD ACCHI AUR SACCHI LAGI AAPKI POST !!
निश्चित रूप से आप ने जो लिखा वो उम्दा है
मै आप से पूरी तरह सहमत हूँ
नबस्कार
श्यामकांत
bahut achha likha mamaji bharat ko bharat hii rahne diya jae iske liye sabhyta aur sanskrati kaa hona praval jaroorii hai ,,
*****DILIP
बहुत खूब चाचा जी
बहुत अच्छा लगा आप का ये लेख
पढ़ के
बहुत बहुत बधाई ...........
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