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Thursday, March 1, 2012

 देख बहारें होली की......

होली दुनिया का सबसे क्रिएटिव पर्व हैं.जितनी विविधता मेरी नज़र में होली में है उतनी  किसी और  पर्व मैं नज़र आती है.होली के रंग में कई रंग है.होली का एक अपना दर्शन है.इसमें खुशी है .....मोहब्बत हैं....... शरारत है.....और तो और इसमें अध्यात्म भी है.यही कारण है कि होली के रंगों पर बहुत कुछ लिखा गया.मथुरा से लेकर मुल्तान तक होली के रंग दिखाई देते हैं.मैनपुरी चूँकि ब्रज प्रान्त का ही एक हिस्सा है.इस कारण होली यहाँ का बेहद खास पर्व माना जाता है.मैनपुरी की सीमा से लगे एटा जनपद में हज़रत अमीर खुसरो का जन्म हुआ था.होली को नया रंगों देने मैं इनका खास योगदान है.होली को सूफियाना रंगों मैं रगने का काम खुसरो ने ही किया.......
मोहे अपने ही रंग मैं रंग दे
तू तो साहिब मेरा महबूब ऐ इलाही
हमारी चुनरिया पिया की पयरिया वो तो दोनों बसंती रंग दे
जो तो मांगे रंग की रंगाई मोरा जोबन गिरबी रख ले
आन परी दरवार तिहारे
मोरी लाज शर्म सब ले
मोहे अपने ही रंग मैं रंग दे


उनहोंने होली को परमात्मा से जोड़ दिया .खुसरो यहाँ अपने मुर्शिद यानि खुदा से कह रहे है कि मुझे अपने ही रंग में रंग दो..होली की खासियत ये है की दुनिया का ये सबसे सस्ता पर्व है,इस पर्व को मनाने के लिए दिल मैं प्यार होना चाहिए.सब्र और तमन्ना इस पर्व को मानाने के लिया दो एहम चीजें हैं.मैनपुरी में होली सभी धर्मों के लोग दिल से मानते हुए देख जा सकतें है.होली पर नजीर अकबराबादी ने भी खूब लिखा है और क्या खूब लिखा है.गोर फरमाएं ...

परियों के रंगों दमकते हों
खूं शीशे जाम छलकते हों
महबूब नशे मैं छकते हों
जब फागन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की।

 एक और दखें - 

तुम रंग इधर लाओ और हम भी इधर आवें
कर ऐश की तेयारी धुन होली की बर लावें 
और रंग की बूंदों की आपस मैं जो ठहराबें 
जब खेल चुकें होली फ़िर सिने से लग जावें ।


होली का यही एक रंग नही है.होली के रंग में डूबने के लिए होली के दर्शन को समझना होगा.इसके मायने जानने होंगें...होली हमारी संस्कृति की श्रेष्ठता को दर्शाती है.....होली हमारी पुरातन बोधिक क्षमता के विकसित होने का प्रमाण देती है...कोई शक नही है की  साम्प्रदायिकता के इस माहोल में होली ही ऐसा पर्व है जो हर दुरी को कम कर सकती है...हर दीवार को गिराने का दम रखती है.......तो देख बहारें होली की.........

HIRDESH

4 comments:

SINGHSADAN said...

DEAR HRIDESH
...very research based and so interesting write up. very good effort... enjoy the HOLI.

*** PANKAJ K. SINGH

Anonymous said...

Blogger Pushpendra Singh "Pushp" said...

bahut khub dear
ab aya maza holi ka

March 1, 2012 5:38 PM

Anonymous said...

Bahut hi gyanbardhak lekh likha bhaiya, maine bina writer ka naam dekhe pahchan liya tha ki ye aapne likha hai.ab holi par maja aayega. Happy holi......

BITIYA

sachin singh said...

lajaab post.....
holi ke rang mein rangi huyee !!