Total Pageviews

Sunday, March 4, 2012

"SINGH SADAN" MADE IT LARGE .....



"वाबस्ता" ही "वाबस्ता ".....
दिग्गज शायर पवन कुमार पाठकों के लिए "वाबस्ता " पर ऑटोग्राफ देते हुए ..   
देश की मशहूर अदबी शख्सियतों ने  "वाबस्ता "  को हाथों हाथ लिया है ..

अंतर राष्ट्रीय पुस्तक मेले में हर तरफ "वाबस्ता" का ही जादू छाया  रहा  

पंकज के. सिंह और प्रकाशक अंतर राष्ट्रीय पुस्तक मेले में "वाबस्ता " के साथ  

ख्वाब गिरते ही टूट जाते हैं , 
कैसी फिसलन है तेरी राहों में !

अंतर राष्ट्रीय पुस्तक मेले में हर तरफ "वाबस्ता" का ही जादू....
                                                                                 देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित अंतर राष्ट्रीय पुस्तक मेले में हर तरफ "वाबस्ता" का ही जादू छाया  रहा !   भैया श्री पवन कुमार की लिखी बेहतरीन गजलों और नज्मों के इस नायाब संग्रह को देश - दुनिया के पाठकों ने हाथों -हाथ लिया है ! देखते ही देखते चंद दिनों में ही  बेहतरीन गजलों और नज्मों के  इस  नायाब संग्रह की कई हज़ार प्रतियां बिक चुकी हैं और इसे इस वर्ष की सार्वाधिक लोकप्रिय मौलिक  साहित्यिक कृति के रूप में देखा जा रहा है ! 
                                                      श्री पवन कुमार की लिखी बेहतरीन गजलों और नज्मों के इस नायाब संग्रह को देश - दुनिया के पाठकों के सामने लाने का कार्य किया है देश के श्रेष्ठतम प्रकाशन " प्रकाशन संस्थान "ने ! कुल जमा 125 प्रष्टों की इस बे इंतहा      खुबसूरत   किताब   का  आवरण  सजाया है देश के जाने माने चित्रकार डॉ. लाल रत्नाकर ने !किताब   का  आवरण इस कदर आकर्षक और खुबसूरत बन पड़ा है की अनायास ही पाठकों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है और जब पाठक इसकी रचनाओं की खामोश    गहराई में उतरता    है तो वह बस इसमें डूबा ही रह जाना चाहता है !
   
 रचनाओं की खामोश गहराई ....                             
                                                                      वास्तव में   "वाबस्ता" की सभी ग़ज़लें और नज्में एक से बढ़कर एक पुरकशिश और दिलकश बन पड़ी  हैं और पूरी इमानदारी से दिल की गहराइयों से शायर द्वारा लिखी गयीं हैं  ! श्री पवन कुमार की लिखी बेहतरीन गजलों और नज्मों के इस नायाब संग्रह"वाबस्ता"  के लिए प्राकथन लिखा है देश के सबसे प्रथम पंक्ति के उत्कृष्ट शायर और अदबी जहां के दिग्गज जनाब शीन काफ़ निजाम साहब ने !
                                                    देश के जाने -माने शायर और "वाबस्ता" के लेखक  श्री पवन कुमार ने "अपनी बात" में जिस शिद्दत और रूह की गहराई से अपने अदबी रुझान के सफ़र को पाठकों से साझा किया है वह वाकई बेहद सच्चा और भावुक है ! गजलों का स्तर इस कदर उंचा है की लेखक की जितनी भी तारीफ की जाए वो कम ही होगी ! पहली ही ग़ज़ल होश उड़ा देने वाली है .. एक नज़र डालिए ...

उतरा है खुद्सरी पे वो कच्चा मकान अब ,
        लाजिम है बारिशों का मियाँ इम्तिहान अब !

हर ग़ज़ल कुछ नया अहसास सा देती है कुछ ताजगी सी देती है ! कुछ शेर आपको झिंझोड़ कर रख देते है .. जैसे इस शेर पर गौर फरमाएं ..

"याद रखेगा ज़हाँ" सिर्फ ख्याल अच्छा है ,
वरना कब लोग गए कल पे नज़र रखते हैं !  
                                  
  उम्मीद है की श्री पवन कुमार की लिखी बेहतरीन गजलों और नज्मों के इस नायाब संग्रह "वाबस्ता" को देश - दुनिया में भारी शोहरत  और मकबूलियत हासिल होगी और हर अदबी शख्स की लायब्रेरी में यह नायाब किताब  पूरी इज्ज़त के साथ शामिल होगी ! इन्ही दुआओं के साथ .....आमीन ....! 

***** PANKAJ K. SINGH 

5 comments:

शिवम् मिश्रा said...

पवन दादा को हम सब की ओर से बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

शिवम् मिश्रा said...

इस पोस्ट रुपी खुशखबरी को फेसबुक और गूगल + पर भी शेयर कर लिया गया है !

sachin singh said...

"याद रखेगा ज़हाँ" सिर्फ ख्याल अच्छा है ,
वरना कब लोग गए कल पे नज़र रखते हैं !

waah kya sacchi baat kahi hai....

poojya chacha ji vawasta ki vawastagi saari duniya par chaye...

bahut-2 badhai....aapko

Pushpendra Singh "Pushp" said...

parm sradhey bhaiya
varshon ka khwab ab jake pura hua dil ko pur sukun mila aur kushiyon se man jhoom utha mai khushiyan bayan nahi kar sakta .....maine hamesh ap me "gulzar" ko dekha hai.
badhai babasat
aap ko sat sat naman

Anonymous said...

sbse phle badhai or dheron shubhkamnayen...mujge besbri se babsta ka intzaar hai.photo main ek jhalak dekhene se hai bas ab ise padhne ka man kar raha hai..
hirdesh