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Monday, December 26, 2011

हमने ख़ामोशी को भी शोर बना रखा है.....

जब से इस दिल में कोई शख्स छिपा रखा है
धडकनों तुमने बहुत शोर मचा रखा है,

हर बुरे वक़्त में देती है दिलासे आकर
तेरी यादो ने बड़ा क़र्ज़ चढ़ा रखा है ,

इस अमावस को बिछाता भी वही है
जिसने रात के बाद सूरज उगा रखा है ,

तितलियों तुमको कहाँ फूल मयस्सर होंगे
सारा गुलशन तो मंदिर में चढ़ा रखा है, 

आके चहरे से पढ़ न ले कही दिल की हालत
एहितिहातन ही हमने घर को सजा रखा है ,

हमसे तकदीर के नुस्खे नहीं समझे जाते
किसकी  हसरत थी किसको अपना बना रखा है,

सिर्फ आवाज से चहरे नहीं बोला करते
हमने ख़ामोशी को भी शोर बना रखा है .....

-सचिन सिंह





5 comments:

Anonymous said...

ग़ज़ल का सही रुख पकड़ा है तुमने..... पिंटू के बाद तुम भी नए उदीयमान रचनाकारों में स्थान बना सकते हो. हैरान हूँ की ग़ज़ल को कैसे लिख लिया.

इस अमावस को बिछाता भी वही है
जिसने रात के बाद सूरज उगा रखा है ,

तितलियों तुमको कहाँ फूल मयस्सर होंगे
सारा गुलशन तो मंदिर में चढ़ा रखा है,

ये दो शेर इस ग़ज़ल के नगीने शेर हैं.


PK

Pushpendra Singh "Pushp" said...

प्रिय सचिन
अच्छी ग़ज़ल मतला भी अच्छा है
बाकि बड़े भइया ने जो कहा में उस से पूर्ण
सहमत हूँ
अच्छी शरुआत के लिए बधाई

VOICE OF MAINPURI said...

sahi kaha bhaiya ne...sachin main hai dam..

Anonymous said...

acchi gazal likhi hai..... !

anju singh

SACHIN SINGH said...

पूज्य चाचा जी यह गजल आपके मार्गदर्शन का नतीजा है......
आपके आशीर्वाद से यह सिर्फ शुरुआत है..... अभी बहुत लम्बा सफ़र तय
करना है.......लगातार कठिन परिश्रम करना है......

आपका प्यार और आशीर्वाद खुदा की रहमत के जैसा है,
चरण स्पर्श स्वीकार कीजिये ......!!!!

सचिन सिंह