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Wednesday, December 28, 2011

कौन कहता है ख़ुशी में है खलल- सी लड़की ......

वो जफ़र मीर ओ ग़ालिब की गजल- सी लड़की
चांदनी रात में इक ताजमहल-सी लड़की

जिन्दा रहने को ज़माने से लड़ेंगी कब तक
झील के पानी में शफ्फाक कँवल-सी लड़की

कोंख को बना डाला कब्र किसी औरत ने
कट गयी पकने से पहले ही फसल-सी लड़की

नर्म हाथो पे नसीहत के धरे अंगारे
चाँद छूने को गयी जब भी मचल-सी लड़की

बेटियां बहुत दुआओ से मिला करती है
कौन कहता है, ख़ुशी में है खलल-सी लड़की 

अर्ज इतना है आज के माँ-बाप से "सचिन"
बोझ समझो न है अल्लाह के फजल-सी लड़की
 
-सचिन सिंह

5 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

good.....
accha likha
dadhai......

SINGHSADAN said...

प्रिय सचिन ...
जय राम जी की ...
तुम्हारी शायरी में है दम, कहीं से अंदाज़ भी नहीं कम !
भा गयी है हमको तुम्हारी पेश, ये नज़्म भड़की भड़की !!

शुक्रिया गोसाईं ...बेर-बेर लिखते रहो !

***** PANKAJ K. SINGH

Anonymous said...

सचिन.....
क्या बात है . फिर नयी पेशकस. अभी तो पिछली का ही खुमार नहीं उतरा था तिस पर नयी ताज़ा तरीन ग़ज़ल.....! 'लड़की' .... अच्छा ख्याल है.... अंदाज़ भी पुरकशिश है. ख्याल में ताजगी के साथ रवानगी भी है....!
पंकज ने दुरुस्त फ़रमाया है..... !!!!!!
ये शेर हालत पर माकूल हैं.... ज़दीदी शायरी में ये उन्वान किसी अलम से कम नहीं.....! दरमियान ग़ज़ल ये दो शेर जेह्नो-दिल पर तारी हैं.... दाद कुबूल फरमाएं.

वो जफ़र मीर ओ ग़ालिब की गजल- सी लड़की
चांदनी रात में इक ताजमहल-सी लड़की
अर्ज इतना है आज के माँ-बाप से "सचिन"
बोझ समझो न है अल्लाह के फजल-सी लड़की

PK

Hirdesh said...

क्या खूब लिखा है ........
अब तो तुम्हारे पीछे भागेगी लड़की

SIDDHANT SINGH said...

BAHUT HI ACCHA LIKHA HAI ........
JINDGI KA SACH HAI YE ....
KEEP IT UP DEAR...