उस रात रात को मैं कभी नही भूल सकता क्योंकि उस रात ने हमसे क्या कुछ नही कराया ।मुझे कभी भूत- प्रेत का डर नही लगा पर उस काली रात ने हमे उस डर से भी नही बख्शा .................
जब श्याम कान्त की आई.ए.एस. की प्रारंभिक परीक्षा अलीगढ मे थी , उनके पेपर के बाद मुझे अपने दोस्त की शादी मे जलेसर के पास एक गाँव में जाना था। हालाकि शादी मे जाने का प्रोग्राम मैंने अकेले ही तय किया था। पर थोड़ी बहुत नाराजगी के बाद सभी लोग तैयार हो गये ।
शाम के ५:३० बजे हम चारों वहां से रवाना हुए ( मैं,श्यामू, सुभाष, और जोनी ) । करीब सवा छः बजे हाथरस पार करते ही हमारी समस्यायों का दौर शुरू हो गया । रास्ते पर १० कि .मी. तक पत्थर पड़े हुए थे, जिसमे कुछ दूरी पैदल चल कर तय करनी पड़ी और कहीं कहीं गाडी में धक्का भी लगाना पड़ा । १५ कि.मी. की दूरी हम करीब ७:३० बजे तक पूरी कर सके । फिर गलत मार्गदर्शन की वजह से हम सही लोकेशन से १० कि.मी. आगे निकल गये । उबड़ खाबड़ सडको पर चलकर जैसे तैसे 9 बजे हम लोग दोस्त के घर पहुचे ,वो लोग हमारा ही इंतजार कर रहे थे । फिर क्या था शादी के खुशनुमा माहौल में हम बारात के साथ वहां से निकल पड़े। हमारी मंजिल 12 कि.मी. दूर थी। जब हम ५०० मीटर दूर रह गये तभी बदकिस्मती से एक बड़े पत्थर ने हमारी गाडी के डीजल टैंक को फाड़ दिया। और हमें गाडी वही रोकनी पड़ी। डीज़ल लगातार निकलता जा रहा था और आग भी लग सकती थी। अंततः ३७ लीटर मे से मात्र ९ लीटर डीज़ल हम बचा सके। रात के करीब साढ़े ग्यारह हो चुके थे। हमने शादी में जाने का प्रोग्राम स्थगित कर दिया और वापसी की चिंता करने लगे।
अब जो भी करना था हम चारो को ही करना था । गाडी के पास जोनी, सुभाष को छोडकर मैं और श्यामू पूरे गाँव की दुकानों में एम् सील खोज रहे थे। काफी मशक्कत करने के बाद एक दुकान से हमें एक एम् सील और दो डॉक्टर साबुन मिल गये पर हम इसे प्रयोग में कैसे लायें यह समस्या सामने थी । तभी हमें वहाँ एक आदमी मिला जो अपने आप को बड़ा बुद्धिमान समझता था, उसके आत्मविश्वास को देखकर हमने ये काम उसे सौंप दिया लेकिन परिस्थितियाँ एकदम प्रतिकूल हो रही थी । उस अव्वल दर्जे के मूर्ख ने एम् सील को जहां लगाना था वहाँ नहीं लगाया और बर्बाद कर दिया । हम सभी एक दूसरे को असहाय सा देख रहे थे, फिर सोचा क्यूँ ना टाटा हेल्पलाइन पर फ़ोन किया जाए । उनसे भी निराशा ही हाथ लगी वो सुबह ही सर्विस दे सकते थे । उस वीराने में हम चारों अकेले थे ..................
फिर हमने साबुन का पेस्ट बनाया और गाडी के टेंक पर लगाया. और गाडी स्टार्ट की . हमने फिर से अपने सफ़र की शुरुआत की ही थी कि पता चला कि गाडी की हेडलाईट टूटी हुई है. ये अविश्वसनीय था पर सच था.
जहाँ तक नजर जा रही थी सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा था. घडी की सुइयां एक से ज्यादा बजा रही थीं. पर सुबह हमसे काफी दूर थी. ऐसे में किसी भी अनहोनी की आशंका को साथ लेकर हमने आगे चलते रहने का फैसला लिया. हमने सारी खिडकियों को बंद कर लिया और गाने सुनकर मन बहलाने लगे. करीब आधे घंटे बाद एक बार फिर गाडी बंद हो गयी. श्यामू और मैंने उतर कर देखा कि डीजल ख़त्म हो गया था. सुभाष बाबू तपाक से बोले "जहाँ जाये भूखा तहां पड़े सूखा !"जहाँ हम रुके सिर्फ पेड़ ही पेड़ थे. तभी जोनी ने बताया की हमारे पास एक बोतल में डीजल है. मैं डीजल डालने लगा. तभी पेड़ो की सरसराहट अचानक से बढ़ गयी. हमने पीछे नजर डाली एक बूढ़ा आदमी हमारी ओर आ रहा था. चारो तरफ अँधेरा, पेड़ों के डरावने स्वर, और अब ये बूढ़ा आदमी इतनी रात को .............
हम हैरान थे ऐसा लग रहा था की जैसे हम किसी भूतिया फिल्म की कहानी पर अभिनय कर रहे हैं. जोनी ने हनुमान चालीसा पढना शुरू किया और सुभाष गाडी में दुबक गए.
वो हमसे बोला की रात में यहाँ से कोई नहीं निकलता. तुम सबने इतना बड़ा खतरा क्यों उठाया !
तब तक मैं गाडी में डीजल डाल चुका था.और श्यामू ने ड्राइविंग की जिम्मेदारी सम्हाल ली. हमने पीछे मुडके देखा तो वो आदमी वहां से नदारद था.
पर हमारी मुश्किलें अभी कम नहीं हुई थीं. इस रात के दो दिन बाद हम घर पहुंचे !
दो दिन तक हम कहाँ रहे ?
वो बूढ़ा आदमी कौन था ?
पेड़ों की सरसराहट में क्या छिपा था ?
हमारी गाडी की हेडलाईट कैसे टूट गयी थी ?
हम सकुशल घर कैसे पहुचे ?
जानने के लिए इन्तजार करिए अगले अंक का..........
******CHINTOO *******
3 comments:
bachhon se bol do ki raat main is post ka naa padhen....bhut darawani hai...hirdesh
हाथरस की इस रात की यह कहानी रहस्य और रोमांच के उस सिरे पर है जहाँ मैं इस बात का इन्तिज़ार कर रहा हूँ कि दो दिन तक तुम लोग कहाँ रहे , वो बूढ़ा आदमी कौन था ,पेड़ों की सरसराहट में क्या छिपा था ,तुम लोगों कि गाडी की हेडलाईट कैसे टूट गयी थी और फिर तुम लोग सकुशल घर कैसे पहुचे ? और सबसे बड़ी जिज्ञासा तो यह है कि सुभाष ने उस रात क्या मनोरंजन किया.......?
******PK
adarniy bhaiya
mujhe to agli post ka besabri se intjar rahega
pintu
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