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Tuesday, August 20, 2013

मेरे मामा ....

मामा अपने समय से कई गुना आगे थे
वे इतिहास, राजनीति, धर्म, साहित्य, संगीत के जोरदार वक्ता थे.
इन विषयों पर उनकी जानकारी अत्यंत गहरी थी
वे विषयों पर गहन चर्चाएँ करते थे
जिस पक्ष  को वे सकारात्मक तौर पर पेश करते थे
निश्चय ही कई बार उसी का वे पुरजोर विरोध भी प्रस्तुत कर देते थे
वे कभी किसी निश्चित धारणा से नहीं जुड़े
वे कभी तो अज्ञेयवादी  तो कभी छडभंगुरवादी नज़र आये
सच्चाई तो ये है की वे विचारधाराओं के जादूगर थे
जहाँ तक धर्म का प्रश्न है वे महिमा मंडन और खंडन दोनों के पछधर थे
 वे हमारे लिए एक खगोलीय पहेली के समान थे
जिनको  हल करना  शायद हम से परे हो
पर एक बात तय है आप हमारे लिए बापू जी से कम नहीं थे
चरण स्पर्श

श्यामकांत

2 comments:

pankaj k. singh said...

very well said about a real pioneer n truely stalwart of singh sadan . with highly respect ...

**** PANKAJ K. SINGH

SINGHSADAN said...

सही कहा श्यामू .... उनके अंतिम दिनों में तो तुम उनके संपर्क में काफी रहे हो . तुम्ह्ने बुल्कुल सही लिखा कि वे एक खगोलीय पिंड से थे… शायद वे जहाँ से आये थे वहीँ वापस भी चले गए हैं . शत शत नमन इस महात्मा को ...!!!

*****PK