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Monday, August 19, 2013

                              श्रद्धांजलि 
             
                           प्यारे मामा श्री हरी कृष्ण जी...... 
                                 
          एक   विलक्षण निर्दोष दीनबन्धु  की असमय  विदाई  ...         

                                   एक झटके में लगा  मानो  वक्त  रुक गया है.. ..  और जिंदगी का एक खूबसूरत अध्याय समाप्त हो गया है ! ...... "सिंह सदन" के अतिप्रिय और हम भाईओं  के दुलारे हमारे छोटे  मामा  श्री हरी कृष्ण जी हमारे बीच नहीं रहे ! अचानक ही ईश्वर  ने उन्हें अपने पास बुला लिया और एक झटके में हमारे प्यारे मामा हमसे बहुत दूर चले गए !
                                      रह - रह के दिल से एक हूक  सी उठती है कि काश कुछ् वक्त और मिल जाता तो सब कुछ छोड़ - छाड़ के अपने छोटे  मामा , प्यारे मामा श्री हरी कृष्ण जी के साथ एक लम्बी चर्चा में खो जाते और उनके निश्छल और निर्विकार शब्दों को शहद की तरह अपने कानो में पिघल जाने देते  !आज जिंदगी के छोटे होने का फिर अहसास हुआ है .... लग रहा है जैसे हमारा सब कुछ छीन लिया गया है चारों तरफ उदासी है. कुहासा है रुदन और क्रंदन है !  
                                       प्यारे मामा श्री हरी कृष्ण जी एक  नायब प्रतिभाशाली व्यक्ति थे ! उत्तर प्रदेश के  मैनपुरी जिले के एक  छोटे से गाँव मेदेपुर में उनका जन्म १९५३ में हुआ था ! उन्होंने आयुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की और अपने पुरे जीवन को निर्धनों और ग्रामीणों  की सेवा में लगा दिया ! चिकित्सक का जीवन उनके लिए एक मिशन था ना कि  कैरियर !
                                         उन्होंने निर्धनों और ग्रामीणों से इलाज का कभी शुल्क न लिया बीमार और उनके परिजन कई बार स्वयं ही बहुत जोर जबरदस्ती कर उन्हें कुछ सहयोग राशी दे देते थे जिसे वे बड़े संकोच के साथ लेते थे ! मैंने अपने जीवन में ऐसा विलक्षण निर्दोष दीनबन्धु दूसरा नहीं देखा !
                                          छोटे  मामा , प्यारे मामा श्री हरी कृष्ण जी एक निपट कर्मयोगी थे सुबह ब्रह्ममुहूर्त ४ बजे उठने से लेकर रात १०.३० बजे सोने तक वे निरंतर एक कर्मयोगी  की भांति अपने कर्त्तव्य निर्वहन  में रत रहते थे ! उन्हें न ही कोई महत्वाकांक्षा थी और न ही कोई लालच जैसे दुनियावी गन्दगी और क्लेशों ने उनको छुआ तक न था सीमित आवश्यकताओं के साथ उन्होंने बिना किसी को दुःख दिए अपना जीवन संयम और कर्मठता के कड़े अनुशाशन में गुज़ारा !
                                          हम जैसी नयी पीढ़ी के लिए तो वे सदैव एक मार्गदर्शी ही रहे ! भैया और मैं उनके सबसे बड़े फैन थे और हम दोनों ने उनको बचपन से ही अपना बौद्धिक साथी माना था उनसे हमारा वार्तालाप  लम्बा , सुरुचिपूर्ण और गंभीर विषयों पर रहता था ! वे एक गज़ब के वक्ता ,मंच संचालक और  प्रकांड रंगकर्मी थे उन्होंने मेदेपुर  की रामलीला के मंचन को अमर बना डाला चार दशक तक मेदेपुर  की रामलीला रंगकर्म की थाती रही जो आज इतिहास की धरोहर है ! उनका सुरुचिपूर्ण और गंभीर मंच संचालन देखते ही बनता था !
                                          ..... प्यारे मामा श्री हरी कृष्ण जी का  जाना एक अपूर्णीय पारिवारिक ,सामाजिक ,क्षेत्रीय और पौराणिक -साहित्यिक-सांस्कृतिक  क्षति है जिससे हम शायद कभी उबार नहीं पायेंगे... आपके जाने के बाद हम समझ पा रहे हैं छोटे  मामा , प्यारे मामा श्री हरी कृष्ण जी  कि  आप क्या थे.....  हम  आपसे बहुत कुछ् पाने से  रह गए अब कोई नहीं है जिससे हम इतना सारा शास्त्रार्थ कर पायेंगे आप अपने साथ वैचारिकता का एक पूरा युग ले गए हैं !  

*****PANKAJ K. SINGH                                           

2 comments:

Unknown said...


HE IS AN IDEAOLOGY AND AN IDEAOLOGY CAN NOT DEAD.

He was not only a great socialist but also a mixture of traditions and modernity..

Missing YOU...

Sachin singh

Anonymous said...

I am very saddened by your loss...but mamaji is up there and will take care of you .....his ideas his views will always continue to guide you....some people physically leave us but there love and good wishes always surround us and protect us. Sometimes as our inner voices and sometimes as invisible forces guiding and taking care of us...kindly accept my condolences may mamaji RIP