Total Pageviews

Saturday, April 28, 2012

राग दरबार – vol-8


भोले भाले लोग यहाँ के
भोली इनकी भाषा है
सात समंदर पी लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |

हाथों में है चार किताबें
क़दमों में दुनियादारी
पत्थर से टकरा जाने की
छोटी सी अभिलाषा है |

चले जा रहे अपनी धुन में
आँखों में तूफान लिए
चाँद सितारे छू लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |

सीने है फौलाद हमारे
बातों में दीवानापन
नील गगन में उड़ जाने की
छोटी सी अभिलाषा है |


*Pushpendra  “Pushp”
 

3 comments:

Amrita Tanmay said...

बहुत सुंदर

Anonymous said...

पिंटू
सात समंदर पी लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |

क्या उन्वान है गीत का...... एक दम लयबद्ध और एकदम कथ्य में स्पष्ट !!!!! तुम ऐसे ही लिखते रहो , इच्छित सफलता अवश्य मिलेगी.

PK

Anonymous said...

tum bahut achhe lekhak ho beta, tum bahut bade lekhak bno beta, aur bhi achha likhte raho tum ye meri abhilasha hai,


buaa ji