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Wednesday, April 13, 2011

एतिहासिक मुशायरा.............!





एतिहासिक मुशायरा

९अप्रेल को मैनपुरी के श्री देवी मेला में एक एतिहासिक मुशायरे का आयोजन बहुत ही भव्य तरीके से हुआ मैनपुरी जैसे शहर में एक सफल मुशायरे का आयोजन एक बहुत बड़ा काम है|

मुशायरे की शौक़ीन पूरी सिंह सदन फेमिली शुरू से ही रही है लेकिन मुशायरा कराने का निश्चय पिछली साल इसी देवी मेला में जब युवा महोत्सव का सफल आयोजन कराया था

कर लिया गया था माननीय बड़े भैया(पवन जी ) का ये सपना था की वे एसा सफल आयोजन कराएँ और जब उन्होंने ठान लिया तो सफल तो होना ही था ......भइया का फोन मेरे पास होली से पहले आया और उन्हों ने बताया कि इस बार हम लोगों को नुमाइश में मुशायरा कराने को दिया गया है जैसे भी हो इसे सफल बनाना है मैंने कहा भइया दुनिया में एसा कौनसा काम है जो आप के करें और सफल हो ......फिर क्या था मेरी ख़ुशी का ठिकाना था बड़े भैया सारा प्रारूप तैयार कर चुके थे |सिंह सदन ब्रिगेड को अपने अपने काम सोंप दिए गए और सभीने उस काम को अपने खुश किश्मती समझा महज १५ दिनों में हृदेश जी ने पूरी टीम को लगा कर सारी तैयारियां कर डालीं |

हरदेश जी के बारे में जितना भी कहा जाये काम है वे इसे महान इन्सान है जो कुछ भी करने कि हिम्मत रखते है| और एक सफल मुशायरा करा कर उन्हों ने प्रूफ भी कर दिया

इंतजार कि घड़ियाँ ख़त्म हुईं और ९अप्रेल का बो शुभ दिन ही गया जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था बड़े भइया तो की शाम को पहुँच गये थे उनको सारी व्यवस्थाएं देखनीं थी उन्हों ने मैनपुरी पहुंचकर सारी कमान संभाल ली पूरी टीम उनके साथ इसे जुटी कि कुछ वाकी रहा |

भइया ने सभी को जिम्मेदारियां सौंप दीं श्यामू ,टिंकू ,चिंटू , दिलीप संदीप जोनी का काम सभी आने वाले गेस्ट का स्वागत कर उन्हें गेस्ट हाउस तक पहुँचना था इन सभी को कमांड

सिंह सदन के दुलारे श्याम कान्त जी स्वेंम कर रहे थे तो त्रुटी होने की तो बात ही पैदा नहीं होती |

ऊपर से बड़े भैया की देख रेख भी थी |

दूसरी तरफ मोर्चा हृदेश सिंह जी सम्हाले हुए थे पुरे मंच की साज सज्जा से लेकर हर चीज को बारीकी से देख रहे थे ताकि कहीं कोई कमी रह जाये |

खाने पीने का इंतजाम बड़े भइया और भाभी स्वेंम ही देख रहे थे हर पकवान को बनने के बाद भाभी द्वारा टेस्ट किया गया था क्यों की वे पाक कला में निपुण है |

सतीश कुमार गेस्ट हॉउस की व्यवस्था देख रहे थे और उन्हों ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया | सारी तैयारियां हो चुकी थी बस मेहमानों के आने का इंतजार बेसब्री से था उधर श्री देवी मेला के पंडाल में भीड़ उमड़ रही थी

सब से पहले गेस्ट हॉउस में आगमन हुआ जनाब मनीष शुक्ला जी का उसके बाद सभी लोग एक एक कर के आने लगे |

और फिर आए जनाब वसीम बरेलबी साहब जिनका बेसब्री से इंतजार हो राह था जब वे गाड़ी से उतरे तो मैंने उनका स्वागत किया उनका तो अंदाज ही निराला था इतने महान शायर में इतनी शालीनता और तहजीब देख कर में गद गद हो गया मेने उनके पैर छू कर अपने अप को धन्य समझा वाकई वसीम साहब जितने अछे शायर है उससे कहीं ज्यादा अच्छे इन्सान है मै उन्हें फिर से एक बार प्रणाम करता हूँ |अपने इतने व्यस्त कार्यक्रमों के दौरान भी बे नमाज पढना करना नहीं भूलते | चाय कोफ़ी के बाद सभी लोग तैयार होने लगे उधर पंडाल खाचा खच भर गया था लोग मुशायरा शुरू करने की मांग कर रहे थे क्यों की मंच की व्यवस्था संभाल रहे हरदेश जी और श्री पंकज जी बार बार फोन कर रहे थे | मै बार बार एक महानुभाव को देख रहा था और पहचान ने की कोशिश कर रहा था फिर मेने हिम्मत जुटा कर बोला और सर्वत साहब कैसे है ये में खुश किश्मती थी की बे सर्वत साहब ही निकले मेने जब उन्हें बताया की मै पी सिंह हूँ तो उन्हों ने मुझे गले लगा लिया वाकई सर्वत साहब एक अच्छे शायर और नेक दिल इन्सान है उनसे काफी गुफ्तगू हुई बहुत मजा आया | सर्वत साहब ने मुझे एक इसे शख्स से मिलाया जिनका नाम है हादी जावेद जो आप में निराले व्यक्ति है वे हर मुशायरे को सुनते है और और उसको यू टूयूब पर पब्लिश करते है उन्हों ने एक शायर क्लब भी बना रखा है जिसमे सभी उभरते शायर जुड़े है | नए शयरों को मंच देने का उनका ये प्रयाश निश्चित ही सराहनीय है | इधर सभी लोग खाना खा रहे थे उधर भइया के पास हरदेश जी का बार बार फोन आ रहा था की पब्लिक हंगामा काट रही है कृपया आप सभी शायर को लेकर जल्दी आजाइए भैया बार बार फोन मुझे दे दे रहे थे क्योंकि वे कभी झूठ नहीं बोलते | खैर सभी लोग लगभग १०बजे मंच पर पहुँच गए |

इसके आगे की पोस्ट बड़े भैया माननीय श्री पवन कुमार जी लिखेंगे आप को निश्चित ही एसा महसूस होगा कि आप लाइव मुशायरा देख रहे है तो फिर तैयार रहिये मुशयरा पढने के लिए |

dhnyavad

psingh

2 comments:

Hadi Javed said...

जनाब पुष्पेन्द्र साहब
आदाब
मैनपुरी मुशायरे का सचित्र वर्णन दिल को छू गया आपने मुझे भी अपने वर्णन में शामिल किया है उसके लिए मैं आजीवन आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा इस ऐतहासिक मुशायरे का वर्णन मैंने अपने ब्लॉग hadijaved2006.blogspot.com पर भी शेयर किया है आपको और आपके परिवार को बधाई

Pawan Kumar said...

बहुत ही प्यारा वर्णन..... हादी साहब ने सही फ़रमाया. खुदा कसम उस दिन तो आप क्या खूब क़यामत ध रहे थे मंच पर बैठे हुए .

PK