"........मैं ईंट गारे वाले घर का तलबगार नहीं,
तू मेरे नाम मुहब्बत का एक घर कर दे !.................."
कन्हैया लाल नंदन ने यह शेर जिस भी परिस्थिति में लिखा हो....मगर "सिंह सदन" के लिए यह मुकम्मल शेर है. रिश्ते सिर्फ संबोधन के लिए ही नहीं होते.....वे दरअसल जीने के लिए होते है......हर आदमी कभी किसी देहलीज़ पर भाई है तो किसी दर पर पति....हर औरत कहीं बहन है तो कहीं माँ......इन्ही रिश्तों में रची बसी कायनात को एक छत के अन्दर जिए जाने की कवायद ही है घर......."सिंह सदन" भी इसी कवायद का एक हिस्सा है........."सिंह सदन " से जुड़े हर एक शख्स और हर एक गतिविधि से परिचय करने के लिए ही ब्लॉग का सहारा लिया गया है ताकि जो भी लिखा जाए वो दिल से लिखा जाये.....और दिल से ही पढ़ा भी जाए.......!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं! तुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ, तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन! तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन, आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।
गाँधी जी का दर्शन और उनके सिद्धांत एक औरत की तरह है जो हर किसी को कुछ न कुछ देते ही रहते है....लेते कुछ नहीं....इस लिए ये दोनों ही इज्ज़त...सम्मान और आदर्श के काबिल है...
6 comments:
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ,
तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।
कोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
बहुत बहुत बधाई हो आपको.............
वैसे गाँधी जी कितने महान थे ये उनके चिंतन और उनकी आजादी में भूमिका से ही पता चल पता है ...........
श्याम kant
गाँधी जी का दर्शन और उनके सिद्धांत एक औरत की तरह है जो हर किसी को कुछ न कुछ देते ही रहते है....लेते कुछ नहीं....इस लिए ये दोनों ही इज्ज़त...सम्मान और आदर्श के काबिल है...
bitiya
rashtra pita ka sundar chitra banaya apne
badhai........
pic is good.
dear bitiya,
only because of your art and artistic thoughts you are very close to my heart. well done.. keep it up.
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