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Monday, April 30, 2012

SINGH SADAN HALL OF FAME ....

VOLUME-- 21


LIFE IN CHANDAULI.....


अब कुछ बागबानी भी हो जाए...

भगवान् तुम्हारे चरणों में...

इधर तो हरियाली है 

अधिकारी हैं तो क्या हुआ... किसनई   तो करनी होगी 

....... अमले के साथ बिहार बोर्डर पर 

जिलाधिकारी बंगले पर 

अच्छा तो अब जरा दौरे  पर निकलता हूँ....

व्यवस्था चौकस बा .......

भैया ... हमार दर्खास्तिया पे तनिक गौर लेक बा ..

राउया जिला माँ आप का हम फौजिन की तरफ से स्वागत बा .. 

हर काम दुरुस्त और जनता खुश 

एक बंगला बना न्यारा .....

राउया गाड़िया माँ बैठल बानी ...

चंद लम्हे फुर्सत के ...

क्लीन एंड ग्रीन हाउस ..

देखो ... हर जगह हर कोना चमकना चाहिए .. समझे .. जी मालिक 

दो शेरों का जोड़ा मिल गया रे.. 

कुछ पेट पूजा भी हो जाये .....

डी ऍम साहब व्यस्त है ...

मौसम तो ठीक लग रहा है ...

जरा पानी वानी पी लिया जाये ......

Saturday, April 28, 2012

तेरी याद आयेगी आती रहेगी ........!!!!!!!!!

shyamkant

ज हाज़िर है महफ़िल की नई कड़ी....... आज हाज़िर हैं हम , अपने ब्लॉग के उप सम्पादक और उदीयमान गीतकार/ शायर पुष्पेन्द्र पुष्प के प्रिय गीत को लेकर.  पुष्पेन्द्र  सिंह उन गीतों को पसंद करते हैं जिनमे संवेदनशीलता हो...... शायद इसीलिए  जगजीत सिंह की गयी ग़ज़लों को वे बेहद पसंद करते हैं. लता जी के पुराने गीत वे गुनगुनाते रहते हैं. कुमार शानू और हरिहरन उनके प्रिय गायक हैं. गीतकारों में गुलज़ार साहब और जावेद अख्तर को पढना सुनना उनका शगल है.


आज उनके संगीत प्रेम की चर्चा में उनके  प्रिय गीत पर नज़र डालते हैं. उन्हें यूँ तो कई गाने-ग़ज़लें पसंद हैं मसलन...... चिट्ठी न कोई सन्देश, जगजीत सिंह की ग़ज़ल कोई फ़रियाद दिल में उठी हो जैसे..... इत्यादि . मगर उनके सर्वाधिक प्रिय गीत की बात करें तो वो है.......निर्देशक जे पी दत्ता  की फिल्म 'रिफ्यूजी' (2000) का. गाने के बोल हैं "पंछी  नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद  न इन्हें रोके........" . इस गीत को सोनू निगम और अलका याग्निक ने गाया था. लिखा था जावेद अख्तर साहब ने और संगीत था अनु मालिक का. इस गीत के बोल वाकई बहुत खूबसूरत हैं..... गीतकार ने प्रकृति के प्रतीकों  के माध्यम से दो भौगोलिक सीमाओं के बीच के रिश्तों को समझाने का प्रयास किया है. यह गीत बहुत ही मार्मिक- भावनात्मक- और सन्देश प्रद है. इस गीत  को बहुत प्रसिद्धि मिली........  श्रेष्ठ संगीतकार और गीतकार का राष्ट्रीय पुरूस्कार मिला. इस गीत को 2001 का बेस्ट मेल और फीमेल सिंगर का फिल्मफेयर का अवार्ड मिला. जावेद अख्तर को इस गीत के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला. 

आइये गुनगुनाते हैं इस गीत  को.......

"यह गीत अपने कर्णप्रिय संगीत....मधुर  गायकी और अर्थपूर्ण बोलों के लिए हमेशा सुना जाता रहेगा"------- पुष्पेन्द्र पुष्प 


***** PK

राग दरबार – vol-8


भोले भाले लोग यहाँ के
भोली इनकी भाषा है
सात समंदर पी लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |

हाथों में है चार किताबें
क़दमों में दुनियादारी
पत्थर से टकरा जाने की
छोटी सी अभिलाषा है |

चले जा रहे अपनी धुन में
आँखों में तूफान लिए
चाँद सितारे छू लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |

सीने है फौलाद हमारे
बातों में दीवानापन
नील गगन में उड़ जाने की
छोटी सी अभिलाषा है |


*Pushpendra  “Pushp”
 

Monday, April 23, 2012

महफ़िल .....!


महफ़िल की इस श्रृंखला में आज हाज़िर हैं सिंह सदन की सर्वप्रिय बड़ी बहन उषा 'दी के प्रिय गीत को लेकर. वैसे भी  उषा 'दी एक संवेदनशील व्यक्तित्व के रूप में पहचानी जाती रही हैं..... CTPR में  उनके 56.41 अंक इस बात के गवाह हैं  कि  वे कितनी संवेदनशील हैं. जाहिर है यह संवेदनशीलता उनके संगीत प्रेम का भी हिस्सा होगी. सो आते हैं उनके प्रिय गीतों पर. 
ओ पालन हारे.....!!!!
उन्हें जगजीत सिंह की गयी सेमी क्लासिकल ग़ज़ल "होठों से छू लो तुम '' (प्रेम गीत) काफी पसंद है..... मगर उनके सर्वाधिक प्रिय गीत की बात करें तो वो हैरान कर देने वाला है. यह गीत है बेहतरीन फिल्म लगान (2001) का वो गीत जिसे लता जी ने गया है और उनका साथ दिया है उदित नारायण और साधना सरगम ने. इस गीत को लिखा है जावेद अख्तर ने  और संगीत है इन्डियन मोजार्ट ए. आर.रहमान का. 
आपको जानकार हैरानी होगी कि यह गीत  उषा 'दी ने सबसे पहले तब सुना जब यह फिल्म टीवी पर आ रही थी......  उषा 'दी  काम में मशगूल थीं, अचानक गाना शुरू हुआ..... लता जी की आवाज़ का जादू  उषा 'दी  को टीवी पर खींच लाया, जब तक गीत चला  उषा 'दी  स्तब्ध होकर वो गीत सुनती रहीं..... अन्दर से कोई टीस उन्हें स्पंदित करती रही.....!  इस गीत से उनके लगाव का यह आलम हुआ कि  उन्होंने दिलीप को तत्काल सौ रुपये देकर कहा कि बाज़ार जाओ और  इस गाने की सीडी लेकर आओ और दुबारा सुनवाओ. बहरहाल इस गीत का मज़ा लीजिये..... वैसे जब आपका मन कभी विचलित हो तो चुपचाप इस गीत को सुनिए..... बहुत संबल मिलता इस गीत को सुनकर. इस गीत का मैं भी दीवाना हूँ..... आइये सुनते हैं अब इस गीत को. 


" यह गीत उदास मन को तसल्ली देता है और जीने के लिए नयी शक्ति प्रदान करता है"---------- उषा 'दी


*****  दिलीप कुमार 'पंचम' के साथ  PK

SINGH SADAN --- HALL OF FAME...



VOLUME--- 19

LUCKNOW VISIT ......












PRESENTED BY SINGH SADAN PHOTO FEATURE DIVISION

Sunday, April 22, 2012

महफ़िल......!


सुरों से सजी इस महफ़िल में आपका स्वागत है. इस श्रृंखला में हम आपको सुनवायेंगे सिंह सदन के सदस्यों के प्रिय गीत और उनके बारे में जुडी जानकारियां.  

पहली कड़ी में हाज़िर है गुरुदेव प्रमोद रत्न का प्रिय गीत . यह गीत उन्हें इसलिए उन्हें पसंद है क्योंकि यह गीत उनके प्रिय कलाकार ऋषि कपूर पर फिल्माया गया है.....! बेहतरीन लोकेशन और शानदार संगीत, असरदार शब्दों में सजे इस गीत के गायक हैं लताजी और सुरेश वाडेकर. फिल्म प्रेम रोग को 1983 में बहुत से फिल्मफेयर अवार्ड मिले. राजकपूर को बेहतरीन निर्देशक और एडिटर के लिए, पद्मिनी को अभिनेत्री और संतोषानंद को गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड मिला. रमा और  देव यानि की ऋषि और पद्मिनी पर फिल्माए इस गीत को सुनिए और आनन्द उठाइए एक आल टाइम ग्रेट गीत का.......!  

"यह गीत मुझे इसलिए पसंद है क्योंकि इस गीत में श्रृंगार  और वियोग का बड़ा ही सुन्दर मिश्रण है....."---- गुरुदेव प्रमोद  रत्न 

***** PK