Total Pageviews

Sunday, May 26, 2013


मै तुम्हारी किताब ले जा रही हूँ ...



खे कर सीधे घर पहुंचा। जूते उतर कर उठा ही था कि  अम्मा का चेहरा समाने गया।क्या है ... अम्मा,   मैंने अम्मा से पूछा। अम्मा ने  दाहिने हाथ को आगे किया और एक किताब मेरे हाथों में  थमा दी ....ये तो मेरी ओलम की किताब है अम्मा। अम्मा ने कहा जानती हूँ ... अम्मा ने इधर उधर देखा। मेने कहा क्या देख रही हो अम्मा। अम्मा बोली मुझे पढना है ... मैंने उनकी और देखा।।क्यों क्या करोगी पढ़ कर ... अम्मा ने कहा अपना नाम लिखना सीखना है .....अम्मा ने मेरा हाथ पकड़ा और जीने की सीढियों पर बैठने को कहा ....अम्मा ने किताब का पहला पन्ना खोला,,,पढ़ना शुरू किया। इस तरह से अम्मा के पढने का सिलसिला शुरू हुआ ....दोपहर मे जब सब लोग सो जाते अम्मा मेरी किताब लेकर मेरे पास आजाती ....मैं उन्हें पढाता। अम्मा का हाथ पकड़कर लिखना सिखाता  ....अम्मा बड़ी तेजी से लिखना   पढ़ना सीख रहीं थी।

सुबह अख़बार आता तो अम्मा अखबार की मोटी हैडिंग को पड़ने की कोशिश करती ... मुझे भी अम्मा को पढ़ते देख ख़ुशी होती। एक दिन रात को पापा ने मम्मी से कहा छुट्टी मिल गयी है ...कल सुबह अम्मा को गाँव छोड़ आऊंगा। जब ये बात मुझे पता चली की अम्मा जा रही है तो मुझे दुःख हुआ ...रात मैं अम्मा के पास ही सोया ....अम्मा से पूछा तुम जा रही हो ...अम्मा ने कहा हां जाना पड़ेगा ... मेने कहा तुम जाओ अम्मा ... मम्मी  मारेगी तो कौन बचाएगा ...मम्मी मुझे जब भी शैतानी करने पर मारती तो अम्मा दीवार बनकर मेरे सामने आजाती। अम्मा के गाँव जाने का मुझे अफ़सोस था ...लेकिन अम्मा को जाना ही था .. उन्हें काफी दिन जो हो गए थे,,,सुबह हुयी अम्मा ने अपना सामान एक बैग मैं रखे फिर मेरे पास आयीं और धीरे से मेरे कान के पास कर कहा ....मै तुम्हारी किताब ले जा रही हूँ ...मैंने कहा ले जाओ अम्मा ...अम्मा ने मेरे हाथ चूमे और कहा जल्दी ही वापस आउंगी ...अम्मा ने कुछ सिक्के मुझे चलते समय दिए कहा तुम दूसरी किताब ले लेना ...अम्मा पापा के साथ चल दी ....अम्मा अब सड़क पर थी मै छत के मुंडेर से उन्हें जाते हुए देखा रहा था। उस दिन मैं अम्मा के ही बारे मे सोचता रहा।

मई आगयी। स्कूल की छुट्टी हो गयीं।।मेने घर मैं जिद की ...मुझे अम्मा के पास जाना है ...एक दिन मम्मी ने कहा पापा को छुट्टी मिल गयी है ... तुम गाँव चले जाओ। पापा के साथ गाँव पहुंचा ...अम्मा दरवाजे पर ही थी मेने अम्मा के पैर छुए  अम्मा हाथ पकड़ कर अन्दर ले गयीं।।अम्मा ने बहुत प्यार किया खूब सारा खाना खिलाया ...अम्मा ने कहा मेने लिखना  भी सिख लिया है ... अम्मा ने चूल्हे से कोयले का एक टुकड़ा निकला और गेहूं से भरे मिटटी के कुठले पर लिखना शुरू किया ...अम्मा ने कहा देखो मैंने अपना नाम लिखना सीख लिया है .....उस पर लिखा था चमेली देवी ,,,मैंने अम्मा से पूछा ये तुम्हारा नाम है .....अम्मा ने कहा हाँ ...उस दिन पहली बार मालूम हुआ की अम्मा का नाम चमेली देवी है ...उस नाम की खुशबु आज भी मेरे जेहन मैं महक रही है .....सत्तर की अम्मा ने करिश्मा कर दिया था ...अब वो दस्तखत करना सीख गयीं थी ....मेरी अम्मा अनपढ़ नहीं थी ....ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी ....शायद अम्मा की भी।

हृदेश सिंह  

6 comments:

शिवम् मिश्रा said...

वाह ... सच मे उस दिन अम्मा का नाम महक रहा होगा ... :)

निवेदिता श्रीवास्तव said...

आपने शिक्षा का सही अर्थों में सदुपयोग किया ......

HARSHVARDHAN said...

bhavpurn kissa aankhon ke samne kaundh raha hai. aabhar

HARSHVARDHAN said...
This comment has been removed by the author.
Pushpendra Singh "Pushp" said...

dear jony
bahut khub likha purani yaden taza kar di

Anonymous said...

waah waah Amma u r great...


Siddhant singh