Sunday, October 17, 2010
हम कुछ बताना चाहती .............................
जिसे देखो बस यही किये जा रहा है ..............................
दीवाली से पहले ये नया स्टाइल सिंह सदन में जोरों पर है .....................
आखिर ये स्टाइल क्या है और ये अचानक कहाँ से आ गयी .........................
लोग बोले जा रहे हैं और फिर बोले जा रहे हैं ...........................
अब तो सिंह सदन वासी इस स्टाइल को लगभग हर जगह प्रयोग कर रहे हैं ..............
...............................................................................................................................
....................................................................................................................
.....................................................................................................................................
अब मै बताती आपको ये स्टाइल क्या है उफ़ फ फ फ फ फ फ फ फ..............................
मै ये क्या बोल पड़ा अब भी नहीं समझे जनाब ...............................
अरे यही तो स्टाइल है ......................................................................
बोले तो सिंह सदन का नया स्टाइल............................................................
वैसे आप सभी को बता दूं की ये पठानी स्टाइल है ...................
अभी तक हमारे होनहार पिंटू जी ही पठानों से रु-ब-रु हुए थे पर वे इनकी भाषा उच्चारण से परिचित न थे..........
पठानी स्टाइल को सिंह सदन में लॉन्च किया है .........................
संदीप और अमित ने......................
दोनों गजब की पठानी बोलते हैं .............................
उनको ये चस्का अभी हाल में लगा ................
अब वे दोनों इस स्टाइल को मान्यता दिलाने का जबरदस्त प्रयास कर रहे हैं .................
आशा है सिंह सदन का बोर्ड उनकी ये बात मान लेगा.............
इस स्टाइल के कुछ जबरदस्त अंश जरूर पेश करना होगा ...................
यथा.....
मै बोलती की पैसा मैई भारेगी .............
मेरी घबराहट में फुडुक-फुडुक होती ...........
मै सोने जाती अब सीधा सुभे उठेगी ............
ये स्त्रीलिंग में बोलने का पठानी स्टाइल चर्चा मे है ...................
अगर यकीं नहीं आता तो इन दोनों को फोन करके देखिये ..............
तो चलूं ओके मे चलती अब मे फिर आएगी ब्लॉग पे जल्दी...........
अगर भाषा मई गलती महसूस हो तो समझे की ये उसी का असर हाई...
श्यामकांत ........
Friday, October 15, 2010
पहेली क्रमांक २१५१०
पहेली क्रमांक ११४१०
रहते पास बेगाने लगते
अपने से मतलब है रखते
इन दो लाइनों में जो बात लिखी गयी है यह परिवर्तन चाँद महीनों सिंह सदन वासियों ने इस व्यक्ति में देखा गया है
जबकि पहली दो पंक्तियों में लिखी बात उनका पैदाइशी गुण है |
अबतो औ जानही गए होंगे
सभी लोग पुनः उत्तर दे सकते है
Thursday, October 14, 2010
पहेली क्रमांक 11410

सिंह सदन के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि इस ब्लॉग पर अब एक पहेली प्रतियोगिता शुरू होने जा रही है जिसमे सप्ताह में तीन पहेली पूछी जाएगी बुधवार ,शुक्रवार और महीने के लास्ट में परिणाम घोषित होगा यूँ तो साप्ताहिक परिणाम भी घोषित होगा पर पूरे महीने में पहेली किसी व्यक्ति विशेष पर आधारित होगी जिसके सबसे ज्याद पॉइंट होंगे उसे मिलेगा एक गिफ्ट हेम्पर तो फिर लगाइए दिमाग |
और जीतिए.............................................!
तो ये लो ........
"सबको एक तराजू तौलें |
जो भी मन में आये बोलें
रहते पास बेगाने लगते
अपने से मतलब है रखते" |
Wednesday, October 6, 2010
मेरा गाँव ................
में अपने पहले लेख के साथ आपके बीच उपस्थित हो रहा हूँ ..............
अब में आपको एक ऐसे गाँव की ओर ले चलता हूँ जिसका प्राकृतिक सौंदर्य . लुभावना
मेदेपुर , मैनपुरी जिले का विख्यात गाँव है , क्योंकि इस गाँव में जन्मे हमारे आदरणीय
हमारे बड़े भैय्या ने जिले का सर्वोच्च पद प्राप्त कर इस गाँव का नाम रोशन कर दिया है|
के ज्ञाता है | चच्चू रामलीला कमिटी के डारेक्टर भी है राजनीती के क्षेत्र में पिताजी (श्री कृष्ण ) जोकि नेता जी के उपनाम से प्रसिद्द है इसी के साथ साथ इन्होने राशन डीलर का कार्यभार भी संभाला |यहाँ का प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में अनोखा है |
बड़े भैय्या एवं भाभी जब भी यहाँ आते है तो भैय्या पानी की रोटी एवं भाभी हडिया की खुच्चन जरूर खाते है|.............................
यहाँ की गृह दामिनी अलग अलग पकवानों के लिए प्रसिद्द है | किन्तु अत्यंत प्रसिद्द है " अम्मा द्वारा दी गयी बहुऔ को डांट "
मै अपना अगला लेख जल्द ही लिखूंगा .....................................................................
धन्यवाद.
Monday, October 4, 2010
अपने लिए जिए तो क्या जिए..........
उनके चिंतन की कुछ मूल विशेषताएं थीं.... ...
जैसे सत्य ,अहिंसा, अध्यात्मवाद ,मानव गरिमा,साधन साध्य की पवित्रता और सत्याग्रह ..........
निश्चय ही उन्होंने अपने जीवन में इन विशेषताओं को लागू किया .............
वे बड़े प्रयोगधर्मी थे सो उन्होंने अपने चिंतन को आजादी का अस्त्र बना लिया ..........
हालाँकि वे दक्षिण अफ्रीका में इनका सफल प्रयोग करके ही भारत आये थे ........
भारत में आने के बाद उन्होंने जनता के बीच खूब काम किया इस बावत चमनलाल एवं चिमनलाल ने उनका खूब साथ दिया ........
१९२० से पूर्व ही वे जनता के बीच खासे लोकप्रिय हो चुके थे यथा चंपारण,खेडा,अहमदावाद.............में ............
१९२० में खिलाफत के साथ असहयोग का प्रयास ख़ासा सफल रहा .................
हालाँकि इस आन्दोलन से देश को तत्काल आज़ादी नहीं मिली पर एक बात स्पस्ट हो गयी
की आज़ादी की अभिलाषा अब एक-एक भारतीय की दिल में है ..........
गाँधी जी हार न मानने वाले लोगो में से थे............................
१९३० के सविनय आन्दोलन को शुरू करके उन्होंने ये साबित कर दिया...
इस बार भी जनता ही उनका मुख्य अस्त्र थी ................
गांधीजी के जनांदोलन में एक ख़ास बात थी वे सभी की भागेदारी को आवश्यक मानते थे .......
यथा पूंजीपति,किसान, श्रमिक,महिलाऐं निम्न जातियां और जन जातियां ...................
उन्होंने मुसलमानों को भी साथ लिया था ...............
पर उस समय बह रही साम्प्रदायिकता की बयार को वे रोक नहीं सके कारण स्पस्ट था........
जनता उनकी ताकत थी पर अब वो ही साम्प्रदायिक हो चली थी .............
पर गाँधी जी अपने प्रयास में लगे रहे.............
और अंग्रेजों को बाहर निकालने के लिए १९४२ में पूरी तरह तैयार हो गए .........
इस बार का नज़ारा बदला हुआ था इस बार रियासतों की जनता भी गाँधी जी के साथ थी ..........
इस बात पर खूब चर्चा होती रही की १९४२ का आन्दोलन स्वतः-स्फूर्त था या नहीं............
पर ये भी तो सोचिये यदि ये स्वतः-स्फूर्त है तो गांधी का कितना बड़ा हाथ इसमें था .........
१९४८ तक वे कभी अपने लिए नहीं जिए वे जिए तो देश के लिए .................
आज वे हमारे दिलों में जी रहें हैं अब जरूरत है उनके मार्गदर्शन पर चलने की ............
धन्यवाद............
shyamkant