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Tuesday, June 5, 2012

यह जीवन एक मधुशाला


यह जीवन एक मधुशाला
 हर एक क़िस्म का जाम यहाँ है
सुख का भी है दुख का भी
झूम रहा मद मस्त मयूरा
पीकर खुशियों का प्याला
यह जीवन एक मधुशाला |

धर्म कर्म का स्वाद है फीका
कोई नहीं अब इसको पीता
पाप के जाम पे टूट पड़े सब
राग द्वेष का पीकर प्याला
यह जीवन एक मधुशाला |

पंडित मुल्ला और चमार
सब पीने को है तैयार
डाले है कंठी तुलसी की
मन मंदिर में भ्रष्टाचार
छुपा रहे सब काले धंधे
डाल के पैसों की माला
यह जीवन एक मधुशाला |

रिश्तों का तो जाम ही टूटा
दिल का दिल से नाता छूटा
भाई बना भाई का दुश्मन
दूर किऐ दौलत ने तन मन
गुम है साकी अपनी धुन में
पीकर लालच का प्याला
यह जीवन एक मधुशाला |


सत्ता के गहरे प्याले में
डूबी गयी सब खुद्दारी
सच बेचा ईमान भी बेचा
मुल्क की है अब तैयारी
खेल रहे है खून की होली
पीकर मदहोशी का प्याला
यह जीवन एक मधुशाला |

बच्चे है हर लत के आदी
खुद ही मुंसिफ खुद ही बादी
युवा के हाथ में बोतल पूरी
पिता की सब ख्वाहिशें अधूरी
और लवों सिगरेट का काश
दूर है पुस्तक का प्याला
यह जीवन एक मधुशाला |

दुनियां है मतलब के पीछे
दौड रहे सब आँखें मीचे
न कोई अपना नहीं पराया
ये सब है दौलत की माया
नाच रहा मन पागल होकर
पीकर ममता का प्याला
यह जीवन एक मधुशाला |

सब अपनी अपनी है धुन में
होठों पर कुछ, कुछ है मन में
कोई किसी के काम न आता
अपने अपने भाग्य बिधाता
करते है सब मान बढ़ाई
पीकर के अभिमान का प्याला
यह जीवन एक मधुशाला |
                                पुष्पेन्द्र "पुष्प"

2 comments:

PANKAJ K. SINGH said...

beautifull song ..i have already made a dhun n rythem 4 this . i will sung it 4 u .

SINGHSADAN said...

सारे बंद बहुत शानदार हैं. मधुशाला पढ़ कर बच्चन जी के कुछ बंद बरबस याद आ गए......!
तुम्हारे सारे बंद अच्छे हैं और इस का तो क्या कहना______
बच्चे है हर लत के आदी
खुद ही मुंसिफ खुद ही बादी (यहाँ बादी को वादी लिखें)
युवा के हाथ में बोतल पूरी
पिता की सब ख्वाहिशें अधूरी
और लवों सिगरेट का काश
दूर है पुस्तक का प्याला
आज कल के युवाओं का बढ़िया कैरिकेचर खींचा है प्यारे.....!

PK