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Sunday, July 11, 2010

सिंह सदन कोन्क्लेव - 2010


.... राह बनी खुद मंजिल !!

'' सिंह सदन कोन्क्लेव - 2010 '' का आयोजन सार्थक सिद्ध हुआ है ! कोन्क्लेव में रचनात्मक चर्चा और बहस के लिए जो विषय रखे गए थे उन पर विद्वान लेखकों ने काफी गंभीर चिंतन प्रस्तुत किया !

भैया श्री पवन कुमार... तथा प्रिय अनुज श्री ह्रदेश कुमार सिंह जोनी व श्री पुष्पेन्द्र पिंटू ने अपने अनुभवों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है... तथा कुछ बड़े ही दूरगामी सुझाव रखे हैं ! अन्य सिंह सदन सदस्यों और पाठकों की टिप्पणियां भी कोन्क्लेव में चर्चा का विषय बनी !

इन तमाम विचारों और चर्चाओं से कतिपय निष्कर्ष निकल कर सामने आये हैं -

1. सभी ने एकमत से स्वीकार किया है कि होम ब्लॉग ने रिश्तों को एक नयी ताजगी दे दी है !

2. सदस्यों की व्यस्तताओं के बीच ब्लॉग ने एक ब्रिज का काम किया है और दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है !

3. कोन्क्लेव में कतिपय वक्ताओं ने वरिष्ठ लेखकों की सुस्त गति पर चिंता व्यक्त कर डाली.... और नए लेखकों की वैविध्य पूर्ण लेखन शैली की मुक्त कंठ से सर्वत्र प्रशंसा की गयी !

4. कोन्क्लेव में ''सब पढ़ें .. सब लिखें'' का नारा बुलंद करते हुए इस बात पर जोर दिया गया कि सभी सदस्यों की प्रतिभा और क्रियेटिविटी को हर हाल में सामने लाया जाये !

5. नए लेखकों के पदार्पण और तकनीक पर उनकी बेहतर पकड़ से साबित हो गया है कि ''सिंह सदन'' ने तकनीकी साक्षरता के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है ...और इसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं !

6. ब्लॉग को तकनीकी रूप से और बेहतर व प्रभावी बनाने की मुहिम अभी जारी रहेगी !

कर्मयोगियों के लिए जीवन सदैव बहुत छोटा होता है ... और करने योग्य कार्य बहुत अधिक होते हैं ! ...तो प्रियजनों ... हर पल को जीना है... और हर पल कुछ करना है ! वास्तव में भौतिक रूप से जिसे हम ''अचीवमेंट '' कहते हैं ... वह इतिहास में एक नुक्ते और कोंमा की भी हैसियत नहीं रखती !

बिना जीवन मूल्यों के कोई भौतिक उपलब्धि कोई मायने नहीं रखती ! अगर किसी चीज के कोई मायने हैं तो वह है ... जीवन मूल्य ... आदर्श ... श्रेष्ठ परम्पराएँ ... समर्पण ... कर्त्तव्य बोध .... त्याग ... और बलिदान ! होम ब्लॉग भी कदाचित हमारे लिए इन्ही मूल्यों की तलाश का एक जरिया है ! विश्वास के साथ उठे कदम मंजिल तक अवश्य पहुँचते हैं ! हम भी इसी मंजिल की तलाश में हैं ...और ईश्वर भी हमारे साथ है !

* * * * * PANKAJ K. SINGH

2 comments:

Pushpendra Singh "Pushp" said...

bahut khub bhaiya
bahut hi sundar chintan
magar bhaiya ap ne sab ko badhi di
magar asli badhai ke hakdar ap hai
is blog ko uncjiyon pa pahunchane me ap ka sabse bada yogdan hai .
ap ko bahut.........bahut badhai
prnam swikaren

VOICE OF MAINPURI said...

खूब लिखा बड़े भैया