A LETTER TO LOVING ..SHAMMI
....आशा है कि तुम स्वस्थ और प्रसन्न होगे ... इस होली पर तुम्हारे और हमारी नई डार्लिंग डॉल "लकी" के साथ समय गुजारना बेहद अच्छा लगा .. मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी इस बात से हुई कि अब तुम काफी समय बाद मौलिक शम्मी के रूप में वापस दिखे ..तुम से हमारी काफी खुशियाँ और आशाएं जुडी हैं ... इसलिए भी क्योंकि तुम सबसे छोटे और हम सभी के अति प्रिय हो ... और शायद इसलिए भी ...क्योंकि तुम संभवतः हमारी मौजूदा पीढी के आखिरी सबसे बड़े होनहार हो !
.. बीते दिनों ... दिन शायद उतने अच्छे न थे ...कई मोड़ों पर तुम्हारा कड़ा इम्तिहान नियति ने लिया .. पर जीत अंततः सदैव निर्दोष और निर्विकार लोगों के हाथ लगी है !
.. भौतिक सफलताएं इस संसार और कर्मक्षेत्र के लिए अपरिहार्य हैं ... पर तुम मुझे इस पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रिय हो ... तो मात्र इसलिए क्योंकि मैंने इस पृथ्वी पर तुमसे अधिक प्रिय .. साफ़ ..और नेक -दिल ...परोपकारी ...सच्चाई पसंद.... निर्दोष और पापरहित बच्चा कभी कोई नहीं देखा .. तुम प्राय: सहज मानवीय गलतियां करते हो और समय आने पर उन गलतियों को स्वीकारने में हिचकते नहीं .. यह इतना ताकतवर गुण है जो एक इंसान को जीते जी असाधारण बना देता है !
....हारना कोई बड़ी बात नहीं होती .. बुरा वक्त ही भविष्य में हमारा सबसे अच्छा गुरु और मित्र सिद्ध होता है ..ईश्वर करे तुम और सफलताएं प्राप्त करो और समाज के लिए एक मिसाल बन जाओ ... पर मुझे इस सबसे भी ज्यादा ख़ुशी तभी होगी ....जब मैं यह यकीन कर पाऊंगा कि तुमने एक प्रसन्न ,आत्म पुरुषार्थ संपन्न ,गौरव शाली ,परोपकारी, त्यागपरक जीवन चुन लिया है !
...मैं तुम्हे उन साधारण... तुच्छ ...अधिसंख्य अधिकारीयों की फ़ौज का हिस्सा बनते कदापि नहीं देखना चाहता जिनके लिए जीवन का अर्थ मात्र कमाना ,तफरीह करना, औरतों की नाजायज़ ख्वाहिशें पूरी करना है.... यह वो लोग हैं जिन्होंने अपनी जड़ों को भुला दिया... और समाज को कुछ भी वापस नहीं किया ! ऐसे ही लोगों को बाबा साहेब आंबेडकर ने कलंक और मान्यवर कांशीराम ने ढोंगी करार दिया था ! ऐसे ही ढोंगी अफसर केवल अपने ही घर ,समाज और परिवार को लूटते हैं.... और अपने ही कमजोर भाइयों का शोषण करते हैं ! ''सिंह सदन'' ऐसी घटिया सोच का बहिष्कार करता है !
.... सिंह सदन ऊँचे आदर्शों वाली विरासत की थाती को आगे ले जाने के लिए संकल्पबद्ध है ... भैया के नेतृत्व में मैं, जोनी और तुम्हे इस संकल्प को आगे बढ़ाना है ...आमीन ... !
*****PANKAJ K. SINGH