...और इस तरह ९ अप्रैल को शुरू हुआ छोटा सा सफ़र.... एक बड़े मुकाम तक पहुँच गया है ! मात्र ८५ दिनों में ... ब्लॉग के दस से अधिक लेखकों ने १०० रचनाओं का आंकडा छू लिया है ! निश्चय ही यह एक बड़ी उपलब्धि है ! इस उपलब्धि तक ''होम ब्लॉग'' की पहुँच हुयी .... तो इसके लिए लेखक गण और सुधी पाठक सभी बधाई के पात्र हैं !
'' सिंह सदन '' द्वारा इस अवसर पर एक ''विचार श्रंखला'' ... SINGH SADAN CONCLAVE - 2010 का आयोजन किया जा रहा है ! इस ''सिंह सदन कोंक्लेव'' में सभी सदस्य सादर आमंत्रित हैं !
SINGH SADAN CONCLAVE - 2010 में निम्न विषय चर्चा के लिए रखे गए हैं -
1. ब्लॉग का अब तक का सफ़र कैसा रहा है ?
2. आपको इस ब्लॉग से जुड़कर कैसा महसूस हुआ है ?
3. ब्लॉग ने आपके जीवन दर्शन को किस प्रकार प्रभावित किया है ?
4. ब्लॉग के किन लेखों और लेखकों को आप सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.. और क्यों ?
5. ब्लॉग में और क्या रचनात्मक सुधार आप चाहते हैं ?
6. ब्लॉग ने आपके आत्मीय संबंधों को किस प्रकार दृढ बनाया है ?
7. ब्लॉग की सक्रियता में आप की भूमिका कितनी सार्थक रही है ..और क्या आप इससे संतुष्ट हैं ?
8. ब्लॉग की संरचना में आप अपनी पसंद की क्या भूमिका निभाना चाहते हैं ?
....इन विषयों पर आपके विचार अनिवार्य रूप से आने चाहिए ! कोई शब्द सीमा नहीं.... कोई समय सीमा नहीं ! खुल कर लिखिए.... और रचनात्मकता के इस पावन प्रवाह को आगे बढाइये !
* * * * * PANKAJ K. SINGH
2 comments:
100 लेखों का यह सफ़र महज 85 दिन में....सहसा मुझे विश्वास नहीं हुआ मगर यह सच है.
सभी योगदानकर्ताओं का दिल से आभार.
यह रचनात्मक- आत्मीय आन्दोलन जिस लक्ष्य के साथ शुरू हुआ था उसे पाया तो गया ही , अब उसे सहेजने का प्रयास चल रहा है.....!
इस अवसर पर पंकज सिंह द्वारा प्रस्तावित ''विचार श्रंखला'' ... SINGH SADAN CONCLAVE - 2010 का आयोजन किया जाना उचित ही है.
इससे पहले कि इस कोनक्लेव में अन्य परिजन अपनी लेखनी के परचम फहराएँ......मैं अपनी बात सीधे सपाट अंदाज़ में लिख देता हूँ....!
1. ब्लॉग का अब तक का सफ़र कैसा रहा है ?
@मेरा सपना था सिंह सदन को और आप सबको ब्लॉग पर एक साथ लाने का....पूरा हुआ.
2. आपको इस ब्लॉग से जुड़कर कैसा महसूस हुआ है ?
@गूंगा हूँ मैं .........बस यूँ समझ लीजिये कि गुड़ कि डाली जुबां पर रख ली है....स्वाद ले रहा हूँ.....बता नहीं सकता !
3. ब्लॉग ने आपके जीवन दर्शन को किस प्रकार प्रभावित किया है ?
@दूरी ख़त्म हो गयीं.....सुबह उठकर पहला काम ब्लॉग को देखना ही होता है......अख़बार की आदत पीछे छूट गयी है......ब्लॉग न पढो तो सब कुछ अटपटा सा लगता है.
4. ब्लॉग के किन लेखों और लेखकों को आप सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.. और क्यों ?
@किसी एक को कहना मुश्किल है....पंकज की आत्मीय समीक्षाएं- लेख- बुलेटिन , पिंटू के व्यक्तित्व विश्लेषण, जोनी के घटनापरक आलेख, श्यामू के चुटीले बाण, मम्मी के आशीर्वादी लेख, अंजू और बिटिया की रचना धर्मिता, चिंटू-प्रिया-संदीप-दिलीप की मासूम लेखनी दिल चुरा ले जाती है.
5. ब्लॉग में और क्या रचनात्मक सुधार आप चाहते हैं ?
@इधर ब्लॉग पर वरिष्ठ लोगों की सक्रियता घटी है.....बढ़ने की आवश्यकता है.
6. ब्लॉग ने आपके आत्मीय संबंधों को किस प्रकार दृढ बनाया है ?
@इसका जवाब पहले ही दे चुका हूँ.....( बिंदु 3)
7. ब्लॉग की सक्रियता में आप की भूमिका कितनी सार्थक रही है ..और क्या आप इससे संतुष्ट हैं ?
@अभी तो बहुत कुछ लिखना छूटा हुआ है.....
8. ब्लॉग की संरचना में आप अपनी पसंद की क्या भूमिका निभाना चाहते हैं ?
@सब पढ़ें.....सब लिखें. यही नारा होना चाहिए अब.
*****PK
1. ब्लॉग का अब तक का सफ़र कैसा रहा है ?
*शानदार......कल्पना ही नहीं की जा सकती है....किसी परिवार और इससे जुड़े हर शख्स के लिए अब तक का सफर दिल और ज़ेहन को तरोताजा रखने का जरिया बना है....सिंह सदन का ब्लॉग एक ऐसे सिलसिले को लेकर आगे बढ़ रहा है...जो आने वाले दिनों में नज़ीर बन कर उभरेगी.....सिंह सदन के ब्लॉग में लिखी हर बात..घटना और किस्से....लिखित दस्तावेज है जो आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाने का काम करेंगी...साथ ही सिंह सदन के गौरवशाली इतिहास पर फक्र करने पर मजबूर करेगीं....और इसको पढने वाले कहेगें काश...हम भी सिंह सदन का हिस्सा होते.
2. आपको इस ब्लॉग से जुड़कर कैसा महसूस हुआ है ?
*ब्लॉग से जुड़ कर ठीक वैसा ही महसूस हो रहा है जैसे....डोर को सुलझा रहा हूँ....और सिरा मिलता नहीं...
3. ब्लॉग ने आपके जीवन दर्शन को किस प्रकार प्रभावित किया है ?
*ब्लॉग ने प्रभावित ही नहीं किया बल्कि असर डाला है....अब लगता है इसके बगेर हम सब पास रह कर भी कितने दूर थे....ब्लॉग ने घर के सभी लोगों को एक दुसरे को समझने में मदद की है...नजरिया ही बदल के रख दिया है...लोगों में मोहब्बत बड़ी है...प्यार...सम्मान और स्नेह सभी में इजाफा हुआ है...शायद जीवन का दर्शन यही है....
4. ब्लॉग के किन लेखों और लेखकों को आप सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.. और क्यों ?
*पहले तो ब्लॉग पर लिखे सभी लेख दिल से लिखे गए हैं...सो सभी लेख उतने ही प्यारे हैं जितना की इनको लिखने वाले...संदीप का लेख/कविता दिल को छु गयी....दोनों भैया के लेख....स्नेह और आशीर्वाद से भरे नजर आये....पिंटू की लेखनी असर रखती है....श्यामू और उनकी पूरी प्लाटून का तो कहना ही क्या...मम्मी ने जहाज़ के कप्तान की तरह कमान सम्हाली...और दिल से लिखा....जो लिखा कमाल लिखा...बिटिया और प्रिया भी ब्लॉग पर तितलियों की तरह लगीं...अंटी अंकल के कमेन्ट भी खास लगे...
5. ब्लॉग में और क्या रचनात्मक सुधार आप चाहते हैं ?
*अभी सुधार की पूरी गुंजाईश है....ब्लॉग को सुंदर ही नहीं असरदार बनाये रखना है.....सबमिल कर नए विजन के साथ काम करें....घर में इसके प्रचार-प्रसार पर अधिक काम करना है...बच्चों के बीच इस ब्लॉग को ले जाने की जरुरत है...उनको ब्लॉग की पोस्टों के बारे में बताया जाये.
6. ब्लॉग ने आपके आत्मीय संबंधों को किस प्रकार दृढ बनाया है ?
*ब्लॉग भावनाओं का सागर बन कर उभरा है...दिल के जज़्बात को व्यक्त करने का साधन बना है....हर पोस्ट गारे की तरह है जो सम्बन्धों को मजबूती दे रही है.
7. ब्लॉग की सक्रियता में आप की भूमिका कितनी सार्थक रही है ..और क्या आप इससे संतुष्ट हैं ?
*कितनी सार्थक रही है ये तो नहीं जनता....हाँ इसको सक्रिय और गतिशील बनाये रखने को कोसिस पूरी है.
8. ब्लॉग की संरचना में आप अपनी पसंद की क्या भूमिका निभाना चाहते हैं ?
*जो भी घर के सदस्य तय करें...सबकी सेवा में हमेशा हाज़िर हूँ.
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