"........मैं ईंट गारे वाले घर का तलबगार नहीं,
तू मेरे नाम मुहब्बत का एक घर कर दे !.................."
कन्हैया लाल नंदन ने यह शेर जिस भी परिस्थिति में लिखा हो....मगर "सिंह सदन" के लिए यह मुकम्मल शेर है. रिश्ते सिर्फ संबोधन के लिए ही नहीं होते.....वे दरअसल जीने के लिए होते है......हर आदमी कभी किसी देहलीज़ पर भाई है तो किसी दर पर पति....हर औरत कहीं बहन है तो कहीं माँ......इन्ही रिश्तों में रची बसी कायनात को एक छत के अन्दर जिए जाने की कवायद ही है घर......."सिंह सदन" भी इसी कवायद का एक हिस्सा है........."सिंह सदन " से जुड़े हर एक शख्स और हर एक गतिविधि से परिचय करने के लिए ही ब्लॉग का सहारा लिया गया है ताकि जो भी लिखा जाए वो दिल से लिखा जाये.....और दिल से ही पढ़ा भी जाए.......!
शुभकामनाएं..... मेरे बच्चे.... लिखने का क्रम निरंतर चलता रहे. बहुत मार्मिक और भावनात्मक पोस्ट है.....!!!! फोटो अच्छा है... ( मगर असलम यहाँ क्यों हँस रहे हैं????????? )
6 comments:
शुभकामनाएं..... मेरे बच्चे.... लिखने का क्रम निरंतर चलता रहे. बहुत मार्मिक और भावनात्मक पोस्ट है.....!!!!
फोटो अच्छा है... ( मगर असलम यहाँ क्यों हँस रहे हैं????????? )
PK
बहुत खूब श्याम कान्त जी
फोटो और लिखावट भी दुरुस्त है
और निसंदेह प्रिया उत्तम पत्नी साबित हुई है ......|
बधाईयाँ
जहां खड़ी हो जाती हैं बस जमती हैं....सिंह सदन के सदस्य का ध्यान रखती हैं....!!
SACCHI BAAT KAHI HAI AAPNE
PRIYA CHACHI JI KE BAARE MEIN !!
BEHAD SACCHE JAJBAAT...BAHUT UMDA.
aap sabhi ka pyaar or sneh paakar behd khushi hui..shukriya
shera.priya.hirdesh
BIKUL SAHI BAAT HAI CHACHA JI
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