समस्त पाठकों एवं प्रियजनों ...
इधर ब्लॉग की सक्रियता ने मानो नया इतिहास रच दिया है...जून २०१० के बाद पहली बार ब्लॉग पर ऐसी कमाल की सक्रियता दिखी है ! इससे स्ट्राइक रेट और ब्लॉग का मान दोनों बढ़ा है! एक से बढ़कर एक रचनाएँ .. जबरदस्त जज्बात और इमानदारी से लिखी गयी रचनाओं ने सभी का दिल जीत लिया !बीते एक पाक्षिक की सफलता के लिए नए युवा लेखक विशेष सराहना के पात्र हैं !
भैया , हृदेश ,श्यामकांत ,पुष्पेन्द्र , दिलीप , नेहा ,सचिन ने अपनी चंद बेहतरीन रचनाएँ पेश कर ब्लॉग के कलेवर को जमा दिया है !
सभी का काम सुन्दर रहा है ! हाँ कुछ कमियों की और अभी भी ध्यान देना शेष है ...मसलन कई बार टिप्पणियों के बाद भी कुछ लेखक अपनी भाषाई निर्दोषता पर ध्यान नहीं दे रहे हैं ! यधपि संपादक मंडल भाषाई कमियों को दूर कर देता है परन्तु क्या यह पर्याप्त है ? कदापि नहीं....!
एक लेखक का यह परम कर्त्तव्य है की उसका लेख भाषाई निर्दोषता को प्राप्त हो !बारम्बार त्रुटियों और अपने काम को दूसरों पर डाल देने की प्रवृति से लेखक और भाषा दोनों का ही अपमान होता है ! ब्लॉग के स्तर को और ऊँचा करने के लिए हम सभी को और मेहनत करनी होगी!
एक बात और.... एक लेखक का यह परम कर्त्तव्य है की उसका लेख उसके दिल की आवाज़ हो ! लेखकों की कोई ग्रेडिंग नहीं होती की कोई ऊपर है और कोई नीचे !
लिखा स्वांत: सुखाय के लिए जाता है ! प्रसिद्धि और प्रशंसा की चाहत में लिखने वाला सच्चा लेखक नहीं हो सकता! लेखक को अहंकार रहित होना चाहिए और आलोचनाओं को सकारात्मक रूप में लेने की सलाहियत कम से कम उसमे अवश्य ही होनी चाहिए !
बाकी बातें अगली मुलाक़ात में ....तब तक मस्ती में मस्त रहो सिंह सदन ..!
.....और हाँ क्या कोई मुझे बताएगा की ब्लॉग लेखन के मामले में वर्ल्ड रिकार्ड क्या हैं ..जवाबों की प्रतीक्षा में ... ***** PANKAJ K. SINGH
4 comments:
gmbhirta jaruri hai...hamen crisis of faith jaisi bimari se daur rehna chahiye...agr kisi main jindadili ki kami hai to use sabr karne ki adadt dalni chahiye...
hirdesh
बिलकुल सच कहा भैया
एक निर्मल हृदय, निष्कपट मन और
सहनशीलता एक अच्छे लेखक की पहचान है|
बधाई
ब्लॉग के स्तर को और ऊँचा करने के लिए हम सभी को और मेहनत करनी होगी!
लिखा स्वांत: सुखाय के लिए जाता है !
प्रसिद्धि और प्रशंसा की चाहत में लिखने वाला सच्चा लेखक नहीं हो सकता! लेखक को अहंकार रहित होना चाहिए और आलोचनाओं को सकारात्मक रूप में लेने की सलाहियत कम से कम उसमे अवश्य ही होनी चाहिए !
Bilkul sacchi baate kahi Aapne....!!
thanks for ur love..
SACHIN SINGH
एक लेखक का यह परम कर्त्तव्य है की उसका लेख भाषाई निर्दोषता को प्राप्त हो !बारम्बार त्रुटियों और अपने काम को दूसरों पर डाल देने की प्रवृति से लेखक और भाषा दोनों का ही अपमान होता है....sacchi baat !!
POOJYA CHACHA JI MAIN APNI GALTI SWEEKAR KARTA HOON AUR AAGE SE INKO NA DOHRANE KI SHAPATH LETA HOON....!!
Thanks for your encouragement...!!
Sachin Singh
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