"........मैं ईंट गारे वाले घर का तलबगार नहीं,
तू मेरे नाम मुहब्बत का एक घर कर दे !.................."
कन्हैया लाल नंदन ने यह शेर जिस भी परिस्थिति में लिखा हो....मगर "सिंह सदन" के लिए यह मुकम्मल शेर है. रिश्ते सिर्फ संबोधन के लिए ही नहीं होते.....वे दरअसल जीने के लिए होते है......हर आदमी कभी किसी देहलीज़ पर भाई है तो किसी दर पर पति....हर औरत कहीं बहन है तो कहीं माँ......इन्ही रिश्तों में रची बसी कायनात को एक छत के अन्दर जिए जाने की कवायद ही है घर......."सिंह सदन" भी इसी कवायद का एक हिस्सा है........."सिंह सदन " से जुड़े हर एक शख्स और हर एक गतिविधि से परिचय करने के लिए ही ब्लॉग का सहारा लिया गया है ताकि जो भी लिखा जाए वो दिल से लिखा जाये.....और दिल से ही पढ़ा भी जाए.......!
7 comments:
bahut sahi shyamuuuuuuuuuuuuuu !!!!
PK
बहुत खूब .........श्याम कान्त जी
कार्टून मजेदार है
बधाईयाँ.........जी
bhaiya bahut achche kartoon banaye hai agar naam bhi de dete to aur bhi maja aata dhanyabaad................
kya rang bhar rahen hai singh sadan ke blog main..bahut khub..
hirdesh
are waaaaaahhh kya cartoon hai , sach me aaj apne bata diiya ki singhsadan kisi bhii pratibha se achhoota nahii raha hai,,
maja aa gaya
***** dilip
Anonymous said...
are waaaaaahhh kya cartoon hai , sach me aaj apne bata diiya ki singhsadan kisi bhii pratibha se achhoota nahii raha hai,,
maja aa gaya mamaji
***** dilip
वाह............चाचा जी क्या मस्त कार्टून बनाये है
बहुत बहुत बधाई ...........
Post a Comment