राग दरबार – vol-1
प्रिय पाठकों
यह मेरी ताज़ा तरीन रचना है इस रचना के बारे में मै आपको एक खास बात बताना चाहूँगा जब मैंने ये गज़ल लिखी तो मात्र ३० मिनट में मैंने ऊपर के तीन शेर लिख लिए किन्तु आगे
मुझे इस बहर और वजन के शब्द नहीं मिल रहे थे ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ मैंने बहुत कोशिश की किन्तु कामयाब नहीं हुआ फिर मैने आदर्णीय गुरुदेव पवन भैया से विचर विमर्श किया और उन्हें ये गजल सुनाई तो उन्हों ने इस गज़ल को पूरा करने में पूरा सहयोग किया मै उनका आभारी हूँ |
और ये पूरी गज़ल मै श्रद्धेय गुरुदेव के श्री चरणों में समर्पित करता हूँ |
प्यार बफा की बातें झूठी लगती है |
खुशियों की सौगातें झूठी लगती है ||
जब से तुमको देखा है इन आँखों ने |
सारी सारी रातें झूठी लगती है ||
कहते है जब जुदा हुए तो तुम रोये |
वे मौसम बरसातें झूठी लगती है ||
बिन तेरे ऐ चंदा मामा सूरज को |
तारों की बारातें झूठी लगती है ||
इश्क की राहों से जो हंस कर गुजर गया |
चौसर की सब मातें झूठी लगती है ||
जो करना है आज ही कर लो |
कल की सब शुरुआतें झूठी लगती है ||
4 comments:
इश्क की राहों से जो हंस कर गुजर गया |
चौसर की सब मातें झूठी लगती है ||
जो करना है आज ही कर लो |
कल की सब शुरुआतें झूठी लगती है ||
पिंटू भाई ये पंक्तियाँ इस गजल की जान हैं
अति सुंदर
श्यामकांत
प्रिय पिंटू......
दिली इच्छा पूरी हुयी.... तुम्हारी ग़ज़ल अच्छी है, लिखते रहो और यूँ ही लिखते रहो......!!
सारे शेर अच्छे बन पड़े हैं मगर ये शेर बहुत कशिश रखता है.....!-----
कहते है जब जुदा हुए तो तुम रोये |
वे मौसम बरसातें झूठी लगती है ||
और ये शेर क्या खूब कहा.....
इश्क की राहों से जो हंस कर गुजर गया |
चौसर की सब मातें झूठी लगती है ||
PK
umda..
h s
बिन तेरे ऐ चंदा मामा सूरज को |
तारों की बारातें झूठी लगती है ||
WAAH.....CHACHA JI KYA ROOHANIYAT BHARA SHER HAI.
जो करना है आज ही कर लो |
कल की सब शुरुआतें झूठी लगती है ||
EK SHER MEIN AAPNE POORA SATYA KAH DIYA .....BAHUT UMDA.
VERY GOOD GAZAL...WAITING FOR NEXT
Sachin singh
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