एक आधुनिक एलेक्जेंडर ....इमरान ख़ान
पिछले अंक में देव आनंद साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद आज मैं अपने जीवन के दूसरे आदर्श और अपनी सर्वकालिक प्रिय शख्सियत इमरान ख़ान पर अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहा हूँ !
एक हैरत अंगेज बहु आयामी शख्सियत...
पठान वंश, लाहौर, ऑक्सफोर्ड, क्रिकेट, प्ले बॉय, ग्लैमर. राजनीति, फ़ार्म-हाउस ,चिन्तक और लेखक, धर्मार्थ और सामाजिक क्षेत्र और न जाने क्या क्या !घोर आश्चर्य किन्तु सत्य की ये तमाम टाइटल एक ही बहु आयामी शख्सियत इमरान ख़ान से सम्बंधित हैं ! लाखों कामयाब इंसानों के बराबर विस्तार क्षेत्र और तजुर्बे का नाम है इमरान ख़ान !
जिंदगी कुछ यूँ चली ..
इमरान ख़ान शौकत ख़ानम और इकरमुल्लाह खान नियाज़ी की संतान हैं,एक मध्यम वर्गीय परिवार में अपनी चार बहनों के साथ पले-बढे !इमरान ख़ान के परिवार में जावेद बुर्की और माजिद ख़ान जैसे सफल क्रिकेटर शामिल रहे हैं. इनसे प्रभावित होकर इमरान ख़ान ने लाहौर में ऐचीसन कॉलेज, कैथेड्रल स्कूल, और इंग्लैंड में रॉयल ग्रामर स्कूल वर्सेस्टर में शिक्षा ग्रहण करते हुए क्रिकेट खेलना शुरू किया ! 1972 में, उन्होंने ऑक्सफोर्ड में अध्ययन के लिए दाखिला लिया, जहां उन्होंने राजनीति और अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
दिल ढुंदता है फुर्सत के रात दिन....
ताउम्र बेहद व्यस्त रहे इमरान ख़ान, अब बनी गाला, इस्लामाबाद में रहते हैं जहां उन्होंने अपने लंदन फ्लैट की बिक्री से प्राप्त धन से एक फ़ार्म-हाउस का निर्माण किया है. छुट्टियों के दौरान उनके पास आने वाले दोनों बेटों के लिए एक क्रिकेट मैदान का रख-रखाव करने के साथ-साथ, वे फलों के वृक्ष और गेहूं का उत्पादन भी करते हैं और गायों को पालते हैं.
क्रिकेट का शुभारंभ ....
1971 में, ख़ान ने बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ़ अपने टेस्ट क्रिकेट का शुभारंभ किया.तीन साल बाद, उन्होंने एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (ODI) मैच का श्री गणेश एक बार फिर नॉटिंघम में प्रूडेंशियल ट्राफ़ी के लिए इंग्लैंड के खिलाफ़ खेल कर किया.ऑक्सफोर्ड से स्नातक बनने और वोर्सेस्टरशायर में अपना कार्यकाल खत्म करने के बाद, वे 1976 में पाकिस्तान लौटे और राष्ट्रीय टीम में 1976-77 सत्र के आरंभ में ही उन्होंने एक स्थायी स्थान सुरक्षित कर लिया, जिसके दौरान उनको न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का सामना करना पड़ा. ऑस्ट्रेलियाई सीरीज़ के बाद, वे वेस्ट इंडीज के दौरे पर गए, जहां उनको केरी पैकर के 'वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट' के लिए साईन किया गया ! .उनकी पहचान विश्व के एक तेज़ गेंदबाज़ के रूप में तब बननी शुरू हुई जब ७० के दशक में उन्होंने 140 km/h की रफ्तार से गेंद फेंकते हुए, जेफ़ थॉमप्सन और माइकल होल्डिंग की बराबरी की ,रफ्तार के मामले में वे डेनिस लिली, और एंडी रॉबर्ट्स से आगे निकल गए .
खुदी को कर बुलंद इतना ....
1983 में इमरान ख़ान ने टेस्ट क्रिकेट बॉलिंग रेटिंग में विश्व में सर्वोच्च दर्जा हासिल किया. icc ऑल टाइम टेस्ट बॉलिंग रेटिंग में वे तीसरे स्थान पर है.
इमरान ख़ान ने 75 टेस्ट में (3000 रन और 300 विकेट हासिल करते हुए) आल-राउंडर्स ट्रिपल प्राप्त किया, जो इयान बॉथम के 72 के बाद दूसरा सबसे तेज़ रिकार्ड है.बल्लेबाजी क्रम में छठे स्थान पर खेलते हुए वे 61.86 के साथ द्वितीय सर्वोच्च सार्वकालिक टेस्ट बल्लेबाजी औसत वाले टेस्ट बल्लेबाज के रूप में स्थापित हैं.उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच, जनवरी 1992 में पाकिस्तान के लिए श्रीलंका के खिलाफ़ फ़ैसलाबाद में खेला.ख़ान ने इंग्लैंड के खिलाफ़ मेलबोर्नऑस्ट्रेलिया में खेले गए अपने अंतिम ODI, 1992 विश्व कप के ऐतिहासिक फ़ाइनल के छह महीने बाद क्रिकेट से संन्यास ले लिया ! उन्होंने अपने कॅरियर का अंत 88 टेस्ट मैचों, 126 पारियों और 37.69 की औसत से 3,807 रन बना कर किया, जिसमे छह शतक और 18 अर्द्धशतक शामिल हैं. उनका सर्वोच्च स्कोर 136 रन था !
रिकार्ड बुक से कहीं ऊंचा कद .....
एक गेंदबाज के रूप में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 362 विकेट लिए, ऐसा करने वाले वे पाकिस्तान के पहले और दुनिया के चौथे गेंदबाज हैं ODI में उन्होंने 175 मैच खेले और 33.41 की औसत से 3,709 रन बनाए. उनका सर्वोच्च स्कोर 102 नाबाद है. उनकी सर्वश्रेष्ठ ODI गेंदबाजी, 14 रन पर 6 विकेट पर दर्ज है.
एक गेंदबाज के रूप में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 362 विकेट लिए, ऐसा करने वाले वे पाकिस्तान के पहले और दुनिया के चौथे गेंदबाज हैं ODI में उन्होंने 175 मैच खेले और 33.41 की औसत से 3,709 रन बनाए. उनका सर्वोच्च स्कोर 102 नाबाद है. उनकी सर्वश्रेष्ठ ODI गेंदबाजी, 14 रन पर 6 विकेट पर दर्ज है.
उन्होंने अपने कॅरियर की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट गेंदबाजी लाहौर में श्रीलंका के खिलाफ़ 1981-82 में 58 रनों में 8 विकेट लेकर दर्ज की !1982 में इंग्लैंड के खिलाफ़ तीन टेस्ट श्रृंखला में 21 विकेट लेकर और बल्ले से औसत 56 बना कर गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी दोनों में सर्वश्रेष्ठ रहे.बाद में उसी वर्ष, एक बेहद मज़बूत भारतीय टीम के खिलाफ़ घरेलू सीरीज़ में छह टेस्ट मैचों में 13.95 की औसत से 40 विकेट लेकर एक ज़बरदस्त अभिस्वीकृत प्रदर्शन किया. 1982-83 में इस श्रृंखला के अंत तक, ख़ान ने कप्तान के रूप में एक वर्ष की अवधि में 13 टेस्ट मैचों में 88 विकेट लिए.
एक उसूल परस्त जांबाज़ ....
इमरान कभी कमजोर देशों के खिलाफ नहीं खेले ये काम उन्होंने जावेद मियाँदाद के कन्धों पर डाल दिया यही कारण है की अपने २१ वर्ष लम्बे टेस्ट क्रिकेट कैरियर में उन्होंने मात्र ८८ टेस्ट खेले जबकि कमजोर देशों के खिलाफ ५९ टेस्ट उन्होंने छोड़ दिए जरा सोचिये ये ५९ टेस्ट भी उन्होंने खेले होते तो उनका रिकार्ड कहाँ होता !
एक उसूल परस्त जांबाज़ ....
इमरान कभी कमजोर देशों के खिलाफ नहीं खेले ये काम उन्होंने जावेद मियाँदाद के कन्धों पर डाल दिया यही कारण है की अपने २१ वर्ष लम्बे टेस्ट क्रिकेट कैरियर में उन्होंने मात्र ८८ टेस्ट खेले जबकि कमजोर देशों के खिलाफ ५९ टेस्ट उन्होंने छोड़ दिए जरा सोचिये ये ५९ टेस्ट भी उन्होंने खेले होते तो उनका रिकार्ड कहाँ होता !
राष्ट्र और समाज के गौरव .......
इमरान ख़ान ने 1987 विश्व कप के अंत में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. 1988 में,पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने उन्हें दुबारा कप्तानी संभालने को कहा एक कप्तान और एक क्रिकेटर के रूप में ख़ान के कॅरियर का उच्चतम स्तर तब आया, जब उन्होंने 1992 क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान की जीत का नेतृत्व किया.
इमरान ख़ान ने 1987 विश्व कप के अंत में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. 1988 में,पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने उन्हें दुबारा कप्तानी संभालने को कहा एक कप्तान और एक क्रिकेटर के रूप में ख़ान के कॅरियर का उच्चतम स्तर तब आया, जब उन्होंने 1992 क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान की जीत का नेतृत्व किया.
बेजोड़ चिन्तक और लेखक ....
इमरान ख़ान ने विभिन्न ब्रिटिश और एशियाई समाचार पत्रों के लिए क्रिकेट पर विचारात्मक लेख लिखें हैं, उन्हें ब्रिटिश मीडिया ने आज तक का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट चिन्तक और लेखक माना है !अब उनके चिंतन और लेखन के दायरे में राजनीति, प्रशासन,लोकतंत्र ,आर्थिक उदारीकरण, संस्कृति और सभ्यता ,युवा पीढ़ी और उसके सरोकार जैसे गंभीर विषय भी आ गए हैं !
असाधारण वक्ता ....
इमरान ख़ान जब बोलते हैं तो उनके विरोधी भी उनका विरोध करना भूल जाते हैं ऐसा प्रभाव ,विषयों पर दुर्लभ पकड़ और इमानदार द्रष्टिकोण कुदरत विरलों को ही प्रदान करती है !
धर्मार्थ और सामाजिक क्षेत्र में अतुलनीय कार्य....
असाधारण वक्ता ....
इमरान ख़ान जब बोलते हैं तो उनके विरोधी भी उनका विरोध करना भूल जाते हैं ऐसा प्रभाव ,विषयों पर दुर्लभ पकड़ और इमानदार द्रष्टिकोण कुदरत विरलों को ही प्रदान करती है !
धर्मार्थ और सामाजिक क्षेत्र में अतुलनीय कार्य....
1992 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, चार से अधिक वर्षों तक, ख़ान ने अपने प्रयासों को केवल सामाजिक कार्य पर केंद्रित किया. 1991 तक, वे अपनी मां, श्रीमती शौकत ख़ानम के नाम पर गठित एक धर्मार्थ संगठन, शौकत ख़ानम मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना कर चुके थे.ट्रस्ट के प्रथम प्रयास के रूप में, ख़ान ने पाकिस्तान के पहले और एकमात्र कैंसर अस्पताल की स्थापना की, जिसका निर्माण ख़ान द्वारा दुनिया भर से जुटाए गए $25 मीलियन से अधिक के दान और फंड के प्रयोग से किया गया उन्होंने अपनी मां की स्मृति से प्रेरित होकर, जिनकी मृत्यु कैंसर से हुई थी, 29 दिसंबर 1994 को लाहौर में शौकत ख़ानम मेमोरियल कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, 75 प्रतिशत मुफ्त देखभाल वाला एक धर्मार्थ कैंसर अस्पताल खोला. सम्प्रति ख़ान अस्पताल के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं और धर्मार्थ और सार्वजनिक दान के माध्यम से धन जुटाते रहते हैं 1990 के दशक के दौरान, ख़ान ने UNICEF के लिए, विशेष प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड में स्वास्थ्य और टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ावा दिया
2008 में इमरान ख़ान के ब्रेन चाइल्ड नमल कॉलेज नामक एक तकनीकी महाविद्यालय मियांवाली जिले में उद्घाटित किया गया., और बाद में इसे ब्रैडफ़ोर्ड विश्वविद्यालय का एक सहयोगी कॉलेज बना दिया गया. इस समय, ख़ान कराची में एक और कैंसर अस्पताल का निर्माण करवा रहे हैं!लंदन में वे एक क्रिकेट धर्मार्थ संस्था, लॉर्ड्स टेवरनर्स के साथ काम करते हैं!
एक फकीर ने जीवन बदला ....
इमरान ख़ान ने राजनीति में अपने प्रवेश के फ़ैसले का श्रेय एक आध्यात्मिक जागरण को दिया है, जो उनके क्रिकेट कॅरियर के अंतिम वर्षों में शुरू हुए इस्लाम के सूफ़ी संप्रदाय के एक फ़कीर के साथ उनकी बातचीत से जागृत हुआ.
वास्तविक लोकतंत्र के पुनःजागरण के आधुनिक पुरोधा ...
सैन्य हस्तक्षेप से आजिज पकिस्तान के लिए इमरान का कहना है "मैं चाहता हूं पाकिस्तान एक कल्याणकारी राज्य और क़ानून के शासन और एक स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ एक वास्तविक लोकतंत्र बने." उनके द्वारा घोषित एजेंडा में शामिल है- सभी छात्रों द्वारा स्नातक स्तर की शिक्षा के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण करते हुए एक साल बिताना और नौकरशाही को छोटा करना! क्षेत्रीय स्तर पर लोगों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए विकेंद्रीकरण की ज़रूरत पर इमरान ख़ान ने जोर दिया है !
सैन्य हस्तक्षेप से आजिज पकिस्तान के लिए इमरान का कहना है "मैं चाहता हूं पाकिस्तान एक कल्याणकारी राज्य और क़ानून के शासन और एक स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ एक वास्तविक लोकतंत्र बने." उनके द्वारा घोषित एजेंडा में शामिल है- सभी छात्रों द्वारा स्नातक स्तर की शिक्षा के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण करते हुए एक साल बिताना और नौकरशाही को छोटा करना! क्षेत्रीय स्तर पर लोगों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए विकेंद्रीकरण की ज़रूरत पर इमरान ख़ान ने जोर दिया है !
राह बनी खुद मंजिल .....
25 अप्रैल, 1996 को ख़ान ने "न्याय, मानवता और आत्म-सम्मान" के प्रस्तावित नारे के साथ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) नामक अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी की स्थापना की.15 वर्षों की अगाध मेहनत और निष्ठां के बाद आखिर वे करोड़ों जन मानस के लिए आज आशा की किरण बने हुए हैं !
इमरान क्यों हैं मेरे आदर्श ....
इमरान ख़ान पर कुदरत ने मानो खज़ाना लुटा दिया है !इस कदर आकर्षक व्यक्तित्व की लगता है पृथ्वी पर स्वयं ईश्वर उतर आये हैं !आवाज़ और अंदाज़ ऐसा की यूनान के देवता भी रश्क करें !उनके आकर्षक व्यक्तित्व,आवाज़ और अंदाज़ के अलावा उनका अदम्य साहस ,अद्भुत आत्मविश्वास , दृढ इच्छा शक्ति ,निर्णय लेने की क्षमता ,समाज .मानवता और राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठां और त्याग पूर्ण भावना ने मेरे दिल पर कितनी छाप छोड़ी है यह मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता !उनकी उसूल परस्ती और बिना समझौते किये सही बात को पूरे दम- ख़म से रखने की बेजोड़ सलाहियत का मैं हमेशा से कायल रहा हूँ! काश उनके व्यक्तित्व का १ प्रतिशत भी मुझे मिल जाये ...तो मैं जीवन धन्य समझूं !
चलते- चलते ....
देव आनंद साहब और इमरान ख़ान के परस्पर संबंधों के बारे में .....
देव आनंद साहब और इमरान ख़ान के परस्पर संबंधों के बारे में .....
प्रिय श्याम कान्त ने पिछले अंक में देव आनंद साहब और इमरान ख़ान के परस्पर संबंधों के बारे में जिज्ञासा व्यक्त की थी !वास्तव में देव साहब क्रिकेट के शौक़ीन थे और इमरान ख़ान से खासे मुतास्सिर थे! वे क्रिकेट के मुद्दे पर फिल्म '' अव्वल नंबर "बना रहे थे और चाहते थे की इमरान ख़ान इस फिल्म के हीरो बने ! इसके लिए देव साहब ने इमरान को मनाने के लिए बड़े जतन किये ! वे कई बार इमरान ख़ान से मिलने पाकिस्तान और इंग्लेंड गए.... पर इमरान माने नहीं !
***** PANKAJ K. SINGH
5 comments:
sach main mazedar or shandaar lekh hai...
hirdesh
लाजबाब लिखा है भैया
आपकी इस लेखनी का में
बचपन से कायल रहा हूँ
बधाइयाँ...........
पाकिस्तान में एक ही तो इंसान है जो वहाँ की स्थिति को सुधार सकता है
इमरान खान ........ |
bahut achha likha aapne mamaji, sach me cricket ke itihas me imran khan sarvshresth saksiiyaton me se ek hai,inke baare me itnii jaankaari dene ke liye dhanybad........
******* dilip
बहुत ही उम्दा लिखा है चाचा जी
इमरान खान एक अच्छे क्रिकेटर ही नहीं
बल्कि एक अच्छे राजनेता के रूप में भी
उभरे है जो की पाकिस्तान के लिए अच्छा है ...........
सिद्धांत सिंह
क्रिकेट जगत की सबसे बड़ी हस्ती का विवरण आप के
द्वारा ही संभव था मेरी नज़र में इमरान खान
महान क्रिकेटर हैं
हाल के दिनों में पकिस्तान की स्थिति खराब है
ऐसे में पकिस्तान को इमरान खान की जरूरत है
श्यामकांत
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