बाउंसर.... !
VOLUME--1
VOLUME--1
सभी लोगों को मेरा नमस्कार ,
आज का दिन यानि शुक्रवार मेरे लिए निर्धारित किया गया है ,
कि मै अपनी हैरतअंगेज बाउंसर से आपका ध्यान आकर्षित कर सकूं .
तो फिर शुरू हो जाइये कुछ नया झेलने या जानने के लिए
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मोनालिसा! मोनालिसा! मोनालिसा !
हाँ मै आज कल मोनालिसा कि पेंटिंग पर काफी वर्क कर रहा हूँ
ऐसे में ये मेरा नैतिक दायित्व है कि मै आपको इस पेंटिंग कि कुछ हैरतंगेज चीजों की जानकारी दूं
बात 1503-1506 कि है जब लिओनार्दो डा विन्ची ने इस पेंटिंग का निर्माण किया था
ये पेंटिंग 21 इंच लम्बी और 30 इंच चौड़ी है ये तस्वीर कई मायनो के चलते आज भी रहस्यमयी बनी हुई है
सभी लोगों ने अपने अपने तरीकों से इसके बारे में बताया लेकिन अंतिम निष्कर्ष तक कोई नहीं पहुँच पाया
ऐसा क्यों ?
शायद इसलिए कि विन्ची ऐसा नहीं चाहते थे
इस विचारमग्न स्त्री को उन्होंने मुस्कराहट दे कर रहस्य के उन्माद को बड़ा दिया
तो लेंडस्केप की बेक ग्राउंड ने तो मामला और खराब कर दिया
इस पेंटिंग में आयल कलर्स का प्रयोग हुआ है
फेसशेप लाइट इफेक्ट धुंधला प्रकाश छाया ये सब इस पेंटिंग की जान हैं
इस विचारमग्न स्त्री को उन्होंने मुस्कराहट दे कर रहस्य के उन्माद को बड़ा दिया
तो लेंडस्केप की बेक ग्राउंड ने तो मामला और खराब कर दिया
इस पेंटिंग में आयल कलर्स का प्रयोग हुआ है
फेसशेप लाइट इफेक्ट धुंधला प्रकाश छाया ये सब इस पेंटिंग की जान हैं
मेरे विचार से-------
(1)इस पेंटिंग में खास बात ये है की पेंटिंग अर्ध-नारीश्वर कांसेप्ट पर आधारित है
जिसके तहत विन्ची ने जबरदस्त रचनात्मकता का प्रयोग कर अपने आपको आधे पुरुष और आधे
स्त्री के रूप में स्थापित किया उनकी आँख के पास का मस्सा चित्र में मौजूद है चित्र में भोंये जानबूझ
कर नहीं बनाई गयी अन्यथा पुरुष स्त्री का भेद जल्दी खुल जाता
पर एक बात बताना जरूरी है की भोंय में एक बाल मौजूद है
फिर उन्होंने पारदर्शी घूँघट का प्रयोग भी किया है
ताकि स्त्री पुरुष गरिमा साथ साथ चलती रहे
जिसके तहत विन्ची ने जबरदस्त रचनात्मकता का प्रयोग कर अपने आपको आधे पुरुष और आधे
स्त्री के रूप में स्थापित किया उनकी आँख के पास का मस्सा चित्र में मौजूद है चित्र में भोंये जानबूझ
कर नहीं बनाई गयी अन्यथा पुरुष स्त्री का भेद जल्दी खुल जाता
पर एक बात बताना जरूरी है की भोंय में एक बाल मौजूद है
फिर उन्होंने पारदर्शी घूँघट का प्रयोग भी किया है
ताकि स्त्री पुरुष गरिमा साथ साथ चलती रहे
(2)चेहरा अलग अलग भाव देता है मात्र आँखों को देखने से(बाकि को ढक लें )पता चलता है
की तीव्र हंसी मोनिलिसा के चेहरे पर होगी पर पूरा चेहरा देखने पर मात्र मुस्कराहट
दिखती है यानि होंठों की शेप जान-बूझ कर ऐसी बनाई गयी यानि हंसी आप आँखों से महसूस करें
ना कि होंठों से !क्योंकि हंसती आँखे बताती हैं की प्रकति ने संगीत पैदा कर दिया है
और ये संगीत नयी नयी खोजों से और सुखनुमा होगा
की तीव्र हंसी मोनिलिसा के चेहरे पर होगी पर पूरा चेहरा देखने पर मात्र मुस्कराहट
दिखती है यानि होंठों की शेप जान-बूझ कर ऐसी बनाई गयी यानि हंसी आप आँखों से महसूस करें
ना कि होंठों से !क्योंकि हंसती आँखे बताती हैं की प्रकति ने संगीत पैदा कर दिया है
और ये संगीत नयी नयी खोजों से और सुखनुमा होगा
फिर आप मात्र नाक को देखिये तो पाएंगे की चेहरा शांत है यानि जब हम हँसते हैं तो हमारी नाक
होंठ के साथ फेलती है पर पेंटिंग में ऐसा नहीं है क्यों?
फिर नाक की शांति बताती है की क्या पुनर्जागरण लोगों की नाक के माध्यम से सांस द्वारा अन्दर प्रवेश हो पायेगा
अर्थात सभी की मंजूरी क्या इस बावत मिल सकेगी ?
फिर मंजूरी मिल भी जाये तो नयी खोजें उतनी आसान नहीं, जान का ख़तरा होगा इस बावत ,
अर्थात खतरों को पूर्व में जानलेने की जरूरत है
तब अच्छी नस्ल के पुरुष पैदा हों इस बावत जरूरी है की महिलाओं की भूमिका को महत्पूर्ण माना जाये
इसलिए इन होंठों की मुस्कान महिला नेत्रत्व करती नजर आ रही है
(3)दांया हाँथ पेट पर है जो इस बात का सबूत है की अब मानव संसाधन जरूरी है ऐसी प्रगति के लिए
(4)बांया हाँथ मन में आने वाले तीव्र परिवर्तनों की ओर संकेत कर रहा है
(5)फिर चेहरा पूरी पेंटिंग में सब से ज्यादा चमक रहा है
यानि ज्ञान, जानकारी न रुकने वाली प्रक्रिया है इसे हमेशा प्रज्वलित रहना चाहिए
हालाँकि मै ये नहीं कहता कि मेरे विचार ही विन्ची के विचार हैं पर कोशिश तो की जानी चाहिए ना
धन्यवाद
कैसा लगा जल्दी बताइए
श्यामकांत
कैसा लगा जल्दी बताइए
श्यामकांत
7 comments:
एक बात जो आलेख में नहीं है
वो ये कि पीछे जो लेंड स्केप बना हुआ है
वो दो भागो में बना है चेहरे के बाएँ तथा दांयें
दोनों लेंड स्केप अलग अलग जगह का नेतृत्व करते हैं
यानि दोनों कि दूरियां अलग अलग दिख रही हैं
आप एक साइड को बंद कर दूसरी साइड देखें ,
फिर ऐसा ही आप दूसरी तरफ से करें
श्यामकांत
DEAR SHYAMU,
THIS IS REALLY A REMARKABLE RESEARCH REPORT. IT 'S A GREAT START OF YOUR OWN COLUMN " BOUNSER".
EVERY BODY... SPECIALLY ALL THE COLUMN WRITERS... JUST SEE THE QUALITY OF THIS ARTICLE & YOU WILL KNOW WHAT KIND OF STUFF WE REALLY WANT FROM YOUR SIDE .GOOD LUCK...
***** PANKAJ K. SINGH (EDITOR)
वाह............श्यामू
बाउंसर तो वास्तव में बाउंसर है
जबरदस्त खोज यार कमल करदिया तुमने
क्या दिमाग की धर दिखाई है ........जीनियस
पहली बोल वो भी बाउंस...........||
बधाई इस बेहतरी जानकारी भरी पोस्ट के लिए |
Really.......Very informaive post.
Great start....VINCHI OF SINGH SADAN.
CONGRATS....CHACHA JI
kya khub likha or kya jam ke likha...sundar
hirdesh singh
अच्छी खोजपूर्ण और तथ्य परक पोस्ट है यह.... क्रम बनाये रखिये........!!!!
PK
चरण स्पर्श चाचा जी
मोनालीशा के बारे में जो भी लिखा है काबिले-ऐ-तारीफ है
बहुत अच्छा लगा आप की पोस्ट पढ़ कर
बहुत बहुत शुक्रिया चाचा जी
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