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Tuesday, January 31, 2012

आंगनबाड़ी



Vol--2
व्याकुल अधीर चितवन 
कब आयेंगे प्रियतम !



थी रैन अकुलाई सी 
थोड़ी थी मैं घबरायी सी 
कब होगा अपना मिलन 
व्याकुल अधीर चितवन l


सागर की वो गहराई थी 
भीतर मेरे जो समायी थी 
विचलित सपने टूटी नींदें  
गुमसुम ह्रदय भीगे नयन 
कब आयेंगे प्रियतम !


चिंतित सी मैं रोती रही
बस वक़्त को टोहती रही 
क्यों प्रेम में गहरी निशा 
कब उगेगा इसमें अरुण 
व्याकुल अधीर चितवन ll 


         ........ नेहा सिंह

स्ट्रेट ड्राइव....

एक दिव्यात्मा :हेमंत कुमार 
 VOLUME---4                                                        

न  ये चाँद होगा न तारे रहेंगे ...  

                                            आज मैं अपनी एक और प्रिय शख्सियत... हेमंत कुमार से आपका परिचय कराते हुए अपने श्रद्धा सुमन उस महान आत्मा को प्रस्तुत कर रहा हूँ !

एक जोगी आया....                                             
                                                                         हेमंत कुमार(16 June 1920 – 26 September 1989) का पूरा नाम हेमंत कुमार मुखोपाध्याय था !उनका जन्म वाराणसी में हुआ था... यद्यपि उनके पूर्वज पश्चिम बंगाल से थे जो कलकत्ता में बस गए थे !हेमंत कुमार के पुत्र जयंत का विवाह मौसमी चटर्जी से हुआ है !


संगीत के सहयात्री...... 
                                                        परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने ENGINEERING  की  पढाई छोड़कर संगीत में कैरिअर बनाने का निश्चय किया !हेमंत कुमार ने अपना पहला गीत All India Radio  के लिए १९३३ में रिकार्ड किया पहला फ़िल्मी  गीत बंगाली फिल्म Nimai Sanyas (१९४१) के लिए गाया !हेमंत कुमार ने पहला हिंदी फ़िल्मी  गीत फिल्म इरादा (१९४४) में  पंडित अमरनाथ के संगीत निर्देशन में गाया !


रविन्द्र संगीत को दी नई ऊँचाइयाँ ....  
                                                     हेमंत कुमार को  रविन्द्र संगीत को  नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए भी याद किया जाता है !बतौर संगीत निर्देशक उनकी पहली बंगाली फिल्म Abhiyatri (१९४७) थी!


वन्दे मातरम् ......
                                                  40 के दशक के मध्य में मुंबई आये  और सलिल चौधरी के साथ काम शुरू किया आनंद  मठ (1952)  ने उन्हें व्यापक पहचान दी ....विशेष कर इस के वन्दे मातरम् गीत ने ! वन्दे मातरम् गीत बाद के वर्षों में कई अलगअलग  धुनों में गाया गया..... पर आनंद  मठ (1952) के स्तर तक कोई ना पहुँच सका !


राह बनी खुद मंजिल ....
                                                ५० के दशक में प्ले बैक सिंगर के रूप में वे बहुत प्रसिद्ध हुए विशेष कर देव आनंद के लिए ! देव आनंद के लिए उन्होंने जाल सोलहवां साल हाउस नंबर 44 के लिए प्ले बैक सिंगर के रूप में गाया!  ये   गीत आज भी संगीत प्रेमियों के लिए धरोहर हैं !१९५४ में उन्होंने नागिन का संगीत दिया जो आज तक का सबसे मकबूल संगीत माना जाता है !


निशाना चूक ना जाए .....
                                                  ''जाग्रति'' और ''एक ही रास्ता'' ने भी सफलता के कीर्तिमान बनाये !६०  के दशक में बीस  साल  बाद , कोहरा , बीवी  और  मकान , फरार , राहगीर , ख़ामोशी ने उन्हें बहुत ऊँचा कद दिया ! हेमंत कुमार अपने स्तर और क्वालिटी के लिए जाने जाते हैं ! उन्होंने बहुत इत्मीनान से कम लेकिन बहुत उत्कृष्ट कार्य किया! उनकी एक-  एक रचनाएँ आज भी संगीत प्रेमियों के लिए धरोहर हैं !

जिंदगी कितनी खूबसूरत है ...
                                           हेमंत कुमार द्वारा संगीत बद्ध  अनजान , अनुपमा , अरब  का  सौदागर  बहु , बंधन , बंदी , बंदिश ,  बिन  बदल  बरसात , बीवी  और  मकान  डाकू  की  लड़की    , दो   दिल , दो  दूनी  चार , देवी  चौधुरानी एक   झलक फैशन गर्ल  फ्रेंड हमारा  वतन , हिल  स्टेशन , हम  भी  इंसान  है  इंस्पेक्टर कोहरा , कितना  बदल  गया  इंसान, मिस  मेरी ,साहिब  बीबी  और  ग़ुलाम, सम्राट , सन्नाटा , शर्त  ताज जैसी फिल्मों के गीत हिंदी फिल्म  संगीत की अमूल्य निधियां हैं !

...या दिल की सुनो दुनिया वालों ...
                                                 हिंदी फिल्म  संगीत प्रेमी और शोध कर्ता के तौर पर मैंने  १९३० से लेकर   आज तक के गीत संगीत को हर नज़रिए से जांचा परखा है ! अपने स्तर और क्वालिटी के लिए ही नहीं एक लाजवाब कशिश और मधुरता के लिए मैं हेमंत दा को सबसे ऊपर रखता हूँ ! उनके गीत आज भी मुझे सबसे बेहतरीन स्ट्रेस बस्टर लगते हैं ! ६० के दशक के बाद हेमंत दा ने काम बंद कर दिया ! इसके बाद उन्होंने पूरा समय रविन्द्र संगीत और  बंगला संगीत को ही दिया !



हमने  तो बस कलियाँ चाहीं ....                                             
                                                   हेमंत दा को  भारत सरकार और  पश्चिम बंगाल सरकार ने कई सम्मानों से नवाज़ा.... पर उनका सबसे बड़ा सम्मान संगीत प्रेमियों  द्वारा उनकी एक-  एक रचनाओं से किया गया प्रेम है .....जो आज भी अनवरत जारी है! दूरदर्शन  को बधाई की उन्होंने  हेमंत दा की कई रिकार्डिंग्स संजो कर रखी हैं... और उन्हें अक्सर ब्रोडकास्ट भी किया जाता है ...  पर  क्या नयी पीढ़ी उनके योगदान और  हेमंत दा होने का अहसास समझ पा रही है ! 

मेरी पसंद के नजराने ख़ास आपके लिए...
                                                        यहाँ मैं पेश कर रहा हूँ हेमत दा के १४ ऐसे अमर गीत जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं !मौका निकाल कर आप भी उन्हें इत्मिनान से सुनेंगे तो आप भी  हेमत दा  की लाजवाब पुर  कशिश आवाज़ और उनके संगीत की  मधुरता में डूब जायेंगे !
                     आपकी सुविधा के लिए पेश है इन अनमोल गीतों का पूरा विवरण (गीत ,फिल्म ,वर्ष ,साथी गायक /गायिका , संगीतकार ,गीतकार के क्रम में पढ़ें ) ---

1-Aa gupchup gupchup pyaar karen Sazaa 1951 Sandhya Mukherjee S.D. Burman Sahir


2-Vande mataram Anandmath 1952 with Chorus Hemant Kumar Bankim Ch. Chatterjee


3-Ye raat ye chaandni Jaal 1952 S.D. Burman Sahir


4-Jaag dard-e-ishq jaag Anarkali 1953 Lata Mangeshkar C. Ramchandra Rajinder Krishan


5-Yaad kiya dil ne Patita 1953 Lata Mangeshkar Shankar Jaikishen Hasrat


6-Aa nile gagan tale Badshah 1954 Lata Mangeshkar Shankar Jaikishen Hasrat Jaipuri


7-O zindagi ke denewale Nagin 1954 with Chorus Hemant Kumar Rajinder Krishan


8-Dekho won chand Shart 1954 Lata Mangeshkar Hemant Kumar S H Bihari


9-Teri duniya me jeene se House no. 44 1955 S.D. Burman Sahir


10-Chup hai dharti House no. 44 1955 S.D. Burman Sahir


11-Nain so nain Jhanak Jhanak Payal Baje 1955 Lata Mangeshkar Vasant Deasi Hasrat


12-Dil ki umangen hai jawaan Munimji 1955 Geeta Dutt S.D. Burman Sahir


13-Ye hansta hua kaarwaan zindagi Ek Jhalak 1957 Asha Bhosle Hemant Kumar S H Bihari

14-Yaad aa gayi wo nashili nigahen (happy/sad versions) Manzil 1960 S.D. Burman Majrooh

***** PANKAJ K. SINGH



Sunday, January 29, 2012

FROM SINGH SADAN ADMINISTRATIVE BLOCK....


श्याम कान्त नैतिक एवं अनुशासनात्मक  आयोग का गठन 

                                                  ब्लॉग पर अनुशासन और आचार संहिता का कठोरता से पालन सुनिश्चित करने - कराने के लिए सिंह सदन प्रशासन ने आज एक एतिहासिक निर्णय लेते हुए नैतिक एवं अनुशासनात्मक आयोग का गठन कर दिया है ! इस आयोग के अध्यक्ष जाने माने विधि वेत्ता और ख्याति प्राप्त सुपर कॉप श्याम कान्त होंगे ! सिंह सदन प्रशासन ने इस बावत आदेश जारी कर दिया है !
                                                  अंतर राष्ट्रिय  स्तर पर यह पहली बार होगा जब ब्लॉग पर अनुशासन और आचार संहिता का कठोरता से पालन सुनिश्चित करने - कराने के लिए एक प्रशासनिक आयोग गठित किया गया है !

 सभी प्रकार की सामग्री पर नज़र रखेगा .....
                                                   श्याम कान्त   नैतिक एवं अनुशासनात्मक आयोग को समस्त प्रशासनिक शक्तियां प्राप्त होंगी !यह नैतिक एवं अनुशासनात्मक आयोग ब्लॉग पर प्रकाशित एवं प्रसारित सभी प्रकार की सामग्री पर नज़र रखेगा और इस सन्दर्भ में ब्लॉग पर अनुशासन और आचार संहिता का कठोरता से पालन सुनिश्चित करने - कराने के लिए सभी आवश्यक कदम   उठाएगा !
                                                    किसी भी प्रकार की अनुशासन हीनता और  आचार संहिता का  उल्लंघन पाए जाने पर यह आयोग को अधिकार होगा की सम्यक जांचोपरांत वो दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है ! आयोग किसी व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर तीन से छ : माह तक के लिए प्रतिबंधित कर सकेगा !  
  आयोग का कार्यकाल...                                                 
                                                 श्याम कान्त   नैतिक एवं अनुशासनात्मक आयोग  का कार्यकाल फिलहाल  ३१ दिसंबर २०१२ तक रहेगा और यह प्रति माह अपनी रिपोर्ट सिंह सदन प्रशासन  को पेश करेगा और सदन के पटल पर चर्चा हेतु रखेगा !
  चांसलर के प्रति उत्तरदायी ....                                           
                                                   श्याम कान्त   नैतिक एवं अनुशासनात्मक आयोग  सिंह सदन  चांसलर के प्रति उत्तरदायी होगा और इसके काम काज पर निगरानी और परामर्श के लिए ३ सदस्यी उच्च स्तरीय बोर्ड( जिसमे सिंह सदन  चांसलर के साथ एडिटर और एसोसिएट एडिटर भी होंगे) उपलब्ध रहेगा ! 

***** PANKAJ K. SINGH 
  

Saturday, January 28, 2012

FROM EDITOR'S DESK.....


समस्त पाठकों एवं प्रियजनों ...

                                              इधर ब्लॉग की सक्रियता ने मानो नया इतिहास रच दिया है...जून २०१० के बाद पहली बार ब्लॉग पर ऐसी कमाल की   सक्रियता दिखी  है ! इससे स्ट्राइक रेट और ब्लॉग का मान दोनों बढ़ा है!   एक से बढ़कर एक रचनाएँ .. जबरदस्त जज्बात और इमानदारी से लिखी गयी रचनाओं ने सभी का दिल जीत लिया !बीते  एक पाक्षिक की सफलता के लिए नए युवा  लेखक विशेष सराहना के पात्र हैं !
                                                भैया , हृदेश ,श्यामकांत ,पुष्पेन्द्र , दिलीप , नेहा ,सचिन ने अपनी चंद बेहतरीन रचनाएँ पेश कर ब्लॉग के कलेवर को जमा दिया है !
                                              सभी का काम सुन्दर रहा है ! हाँ कुछ कमियों की और अभी भी ध्यान देना  शेष है ...मसलन कई बार टिप्पणियों के बाद भी कुछ  लेखक अपनी भाषाई निर्दोषता पर ध्यान नहीं दे रहे हैं ! यधपि संपादक  मंडल  भाषाई कमियों को दूर कर देता है परन्तु क्या यह पर्याप्त है ?  कदापि  नहीं....!
                                         एक लेखक का यह परम कर्त्तव्य है की उसका लेख  भाषाई निर्दोषता को प्राप्त हो !बारम्बार  त्रुटियों और अपने काम को दूसरों पर डाल देने    की प्रवृति  से लेखक और भाषा दोनों   का ही अपमान होता है ! ब्लॉग के स्तर को और ऊँचा करने   के लिए हम  सभी को और मेहनत करनी होगी!
                                          एक बात और.... एक लेखक का यह परम कर्त्तव्य है की उसका लेख उसके दिल की आवाज़  हो  ! लेखकों की कोई ग्रेडिंग नहीं  होती  की कोई ऊपर है और कोई नीचे !
                                         लिखा स्वांत: सुखाय के लिए जाता है ! प्रसिद्धि और प्रशंसा की चाहत में लिखने वाला सच्चा लेखक नहीं हो सकता! लेखक को अहंकार रहित  होना चाहिए और आलोचनाओं को सकारात्मक रूप में लेने की सलाहियत कम से कम उसमे अवश्य ही होनी चाहिए ! 
                                      बाकी बातें अगली मुलाक़ात में ....तब  तक   मस्ती में मस्त रहो सिंह सदन ..!
                                      .....और हाँ क्या कोई मुझे बताएगा की ब्लॉग लेखन के मामले में वर्ल्ड रिकार्ड क्या हैं ..जवाबों की प्रतीक्षा में ... 

***** PANKAJ K. SINGH   

सावधान !सावधान !सावधान !

बड़े भैया के शब्दों पर पूरी तरह तामील हो
और इस बात का भी ख्याल रखा जाये
की रचना मौलिक हो
आप जो भी लिखें जो भी प्रस्तुत करें
वो पूरी तरह से मौलिक हो
सस्ती लोकप्रियता से कुछ हांसिल न होगा
आप ब्लॉग ,या फेसबुक पर जो भी लिखें
मात्र अपना ही लिखे क्योंकि आप कभी भी
सायबर क्राइम या कॉपीराईट के शिकार हो सकते हैं
अगर आप को नहीं पता तो सायबर क्राइम या कॉपीराईट अधिनियम देख लें
हाँ अध्यन सामिग्री में उसे आप प्रयोग कर सकते हैं
कुछ अंशों को आप ले भी सकते हैं
कुछ में फेरबदल भी कर सकते हैं
पर गजल नज़्म शायरी या अन्य पध जैसे चीज आपको
क्रिमिनल सिद्ध कर सकती है
ध्यान दें
आपका शुभचिंतक


प्रिय पाठकों ..आज के इस कॉलम ''राग दरबार'' में देश के जाने माने गीतकार पुष्पेन्द्र सिंह पेश कर रहे हैं एक हसीन नज़्म ! इस नज़्म में गीतकार पुष्पेन्द्र सिंह ने रूमानियत की सारी हदों को पार कर दिया है .. आप स्वयं पढ़ें और उन जज्बातों का एहसास करें .... संपादक

राग दरबार – vol-1
प्रिय पाठकों
यह मेरी ताज़ा तरीन रचना है इस रचना के बारे में मै आपको एक खास बात बताना चाहूँगा जब मैंने ये गज़ल लिखी तो मात्र ३० मिनट में मैंने ऊपर के तीन शेर लिख लिए किन्तु आगे
मुझे इस बहर और वजन के शब्द नहीं मिल रहे थे ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ मैंने बहुत कोशिश  की किन्तु कामयाब नहीं हुआ फिर मैने आदर्णीय गुरुदेव पवन भैया से विचर विमर्श किया और उन्हें ये गजल सुनाई तो उन्हों ने इस गज़ल को पूरा करने में पूरा सहयोग किया मै उनका आभारी हूँ |
और ये पूरी गज़ल मै श्रद्धेय गुरुदेव के श्री चरणों में समर्पित करता हूँ |

प्यार बफा की बातें झूठी लगती है |
खुशियों की सौगातें झूठी लगती है ||

जब से तुमको देखा है इन आँखों ने |
सारी   सारी रातें   झूठी लगती  है ||

कहते है जब जुदा हुए तो तुम रोये  |
वे  मौसम  बरसातें  झूठी लगती है ||

बिन तेरे ऐ चंदा मामा सूरज को |
तारों की बारातें झूठी लगती है ||

इश्क की राहों से जो हंस कर गुजर गया |
चौसर की सब मातें झूठी लगती है ||

जो करना है आज ही कर लो |
कल की सब शुरुआतें झूठी लगती है ||

करबद्ध अपील- कृपया गरिमा बनाये रखें.....!!!

प्रिय बंधुओं,
कल ब्लॉग को देख रहा था...... हँसते और हांफते गणतंत्र के ६२ बर्ष ... ..पर कतिपय लोगों ने जिस तरह के भद्दे, अपठनीय और अशोभनीय कमेन्ट किये हैं वे दुर्भाग्यपूर्ण हैं......! आप लोग यह मत भूलें कि एक बार पोस्ट आने के बाद वो महज़ हमारी- आपकी नहीं रहती वो सार्वजनिक हो जाती है. बहुत से लोग इस ब्लॉग को पढ़ते हैं, इस तरह के कमेन्ट हमें अपने ऊपर शर्मिंदा होने की स्थिति  में लाते हैं.....! छोटे छोटे मजाक हमें भारी न पड़ें.... ब्लॉग की गरिमा बरकरार रहे यह ज़ुरूरी है......! भाषा संयत रहे... और किसी का दिल न दुखे यह हमारी प्राथमिकता है..... इसी से सिंह सदन बनता है..... यही हमारी पहचान है ! उम्मीद है आप सब सक्रिय और सकारात्मक सहयोग देंगे.....!

***** PK

Friday, January 27, 2012

upaam की कुछ तस्वीरें !

कुछ तस्वीरें २६ जनबरी की पोस्ट कर रहा हूँ
आशा करता हूँ आप को मज़ा आएगा
shyamkant.

हँसते और हांफते गणतंत्र के ६२ बर्ष ...!!

सिंघम क्षेत्रे ....
 VOLUME-2

                                               कल हम अपने गणतंत्र के ६३ वे बर्ष में प्रवेश कर गए ....मेरी राय  में जब हम भारतीय गणतंत्र के ६२ बर्षो का मूल्याकन शुरू  करते है तो हम पाते है कि यह एक ऐसी सामाजिक, राजनितीक, आर्थिक  और वैधानिक सत्ता है जो बारी-२  से उल्लास मना रही होती है तो कभी हांफ भी रही  होती है ...
                                         बहुत सारी उपलब्धिया है जिन पर हम नाज़ कर सकते है....... हम आज खाधान के मामले में आत्मनिर्भर है ....दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान  रखते है.....सबसे तेजी से बढती इकोनोमी में हमें शुमार किया जाता है ......अन्तरिक्ष से लेकर दूरसंचार के मामले में हमने बहुत उन्नत्ति की है , हम दुनिया में सबसे अच्छे तरीके से काम करने बाले सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाने जाते है..... बहुत कुछ आपके सामने है जिसकी सूची अंतहीन है....!! 
                                                        वही दूसरी और खुद प्रधानमंत्री जी स्वीकार करते है की देश में ४२ फीसदी बच्चे कुपोषण से जूझ रहे रहे है ....
                                                देश की शिक्षा व्यवस्था का बाजारीकरण होने के कारन होने के कारण महँगी होती गयी जिससे आज आम आदमी की पहुच से दूर से बहार होती गयी...और सरकारी स्कूलों का हाल किसी से छुपा नहीं है..
                                       सबसे बड़ा ह्रास नैतिक मूल्यों का है जिसकी वजह से हमारी दुनिया   में अलग ही पहचान है.....जो बेहद चिंताजनक है!एक दूसरा पहलु भी है जिस पर सर शर्म से झुक  भी जाता है .... ......लैंगिक ,जातिगत आधार पर उत्पीडन अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है ! 


                                      खून में डूबे यह इतिहास के पन्ने एक अमानत है
                                         जाओ इन पर नाज करो बलिदान कि इन पर छाया है
                                    आने वाली नस्ल के ख्वाबो लेकिन इतना याद रहे
                                    किसी ने तुम्हारे अच्छे कल की खातिर अपना आज गंवाया था .....


जय हिंद......जय भारत !! 
sachin singh

Thursday, January 26, 2012

स्ट्रेट ड्राइव !


VOLUME --3

     
 आप  जैसा कोई मेरी जिंदगी में आये ..... 

                                 फ़िरोज़ ख़ान का जन्म 25 सितंबर, १९३९को हुआ था  और २७ मई  २००९ को इस दुनिया  को छोड़ने तक  वे   हमें  सिखाते  रहे  की आखिर जिंदगी कहते किसे हैं... और इसे जिया किस तरह जाता है! उन्हें पूरब का क्लिंट ईस्ट वुड  यूँ ही नहीं कहा जाता है ! वे वाकई   हिन्दी फ़िल्मों के इतिहास के सबसे आकर्षक और प्रभावशाली  अभिनेता थे!

हारे न इंसान ..... 
                                         फिल्म इंडस्ट्री में   लगभग ४ दशक की उन्होंने लंबी फिल्मी पारी खेली. वे अपनी खास शैली ,अलग अंदाज और किरदारों के लिए जाने जाते रहे. अधिकांशतः उन्होंने अपने जोशीले अंदाज अपनी खास शैली  से मेल खाती फिल्मे ही की और इस मामले   में कोई समझौते नहीं किये !  फिल्मों में कहीं वो एक आकर्षक  हीरो की भूमिका में हैं तो कहीं रौबीले  विलेन के रोल में!अपनी बेहद  प्रभाव शाली body language से   दोनों हीं चरित्रों में फिरोज खान जान डाल देते थे.

जिंदगी इत्तफाक है.... 
                                   फिल्मकार फिरोज खान का जन्म 25 सितम्बर,1939 को बंगलौर में हुआ था. उनके पिता पठान थे जबकि माता ईरानी .उनके तीन और भाई भी फिल्मों से जुड़े रहे  . एक हैं संजय ख़ान दूसरे हैं अकबर खान और तीसरे हैं समीन खान !संजय ख़ान और  अकबर ने जहां अभिनय में हाथ आजमाए वहीं समीर ने फिल्म निर्माण का क्षेत्र चुना.फिरोज खान की भतीजी और संजय खान की बेटी सुजान की शादी ऋतिक रौशन से हुई है ! फिरोज खान ने सुंदरी के साथ जिन्दगी का सफर 1965 में शुरू किया. दोनो 20 साल तक साथ रहे. 1985 में उनके बीच तलाक हो गया.

जीवन में कभी डरना नहीं ....
                                         फिरोज खान ने वर्ष 1960 में फिल्म दीदी से अपनी फिल्मी सफर शुरू किया.६० और ७० के दशकों में उन्होंने सुहागन ,औरत,  ऊँचे लोग, तस्वीर, रात और दिन, प्यासी  शाम, सफ़र, एक पहेली ,गीता मेरा नाम, अनजान राहें, काला सोना ,नागिन, खोते सिक्के ,कच्चे हीरे सरीखी  दर्जनों फिल्मों में अभिनय किया.कई कामयाब  फिल्में फिरोज खान ने निर्देशित की.फिल्म निर्माण की और भी कई भूमिकाओं से वे लगातार जुड़े रहे.
                                         लगभग पांच दशक का फिल्मी सफर तय करते हुए फिरोज खान ने 2007 में आखिरी फिल्म दी-वेलकम,जिसमें वे खास अंदाज में पेश हुए !इसमें .उनका आरडीएक्स उपनाम खासा चर्चित रहा!

वक्त से आगे निकल गए .....
                                        .आदमी और इंसान फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड मिला! फिरोज खान ने ऊंचे लोग,मैं वहीं हूं, अपराध,उपासना,मेला,आग जैसी फिल्मों में शानदार काम कर प्रतिष्ठा अर्जित की ! वे कई फिल्मों में अपने समकक्ष अभिनेताओं पर अपने आकर्षक और प्रभावशाली  व्यक्तित्व तथा जबरदस्त डायलोग डिलीवरी की वज़ह से बहुत भारी पड़ते थे जिससे कई अभिनेता उनके साथ काम करने से घबराते थे !  फिल्म धर्मात्मा,जानबाज,कुर्बानी,दयावान जैसी फिल्मों ने उन्हें बहुत  शोहरत दिलाई!

 जिंदगी का सफ़र अंजाम तक पहुंचा ..... 
                                        काफी दिनों तक कैंसर से जूझने के बाद  फिरोज खान ने बंगलौर के अपने फार्म हाउस में 27 मई,2009 की रात आखिरी सांस ली! उन्होंने १९६२ से लेकर २००७ तक तक़रीबन ६० फिल्मों में काम किया और १९७२से लेकर २००३  तक  ८ फिल्मों का    निर्माण   और निर्देशन   किया !

जिंदगी कुछ इस अंदाज़ में जी ....
                               फिरोज खान को  बंगलौर शहर और यहाँ  के अपने फार्म हाउस से बेहद लगाव था ! वे घोड़ों और जानवरों के बेहद शौक़ीन थे! उनके फार्म हाउस में क्रिकेट ग्राउंड और घोड़ों और जानवरों के  लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं थीं !उनका एक  पालतू दुर्लभ प्रजाति का  चिम्पेंजी था ! फिरोज खान शानदार और हसीन जिंदगी जीने वाले थे !वे फिटनेस पर बहुत ध्यान देते थे और तैराकी और वर्क आउट के  बेहद शौक़ीन थे ! बचपन में वे वकील बनना चाहते   थे !

फैशन के जबरदस्त जानकार .... 
                                   फिरोज खान फैशन के जबरदस्त जानकार थे !उन्होंने ६० के दशक में भी वो कपडे पहने जो आज के भी ड्रेस डिजायनरों को मात देते नज़र आते हैं! यकीं न हो तो उनकी कोई भी फिल्म और उसका कोई भी शोट देख लें ...उनमे आप एक भी कमी नहीं निकाल पायेंगे ! उनकी रोमांचक  काउ बॉय स्टाइल , सिगार और घोड़ों ने करोड़ों नौजवानों को उनका दीवाना बना दिया !उनकी फैशन की समझ बहुत ऊँची थी !

संगीत और नयी तकनीक  का पारखी ....
                                      फिरोज खान को संगीत और नयी तकनीक की अच्छी समझ थी !उनकी फिल्मों में हमेशा बेहतरीन संगीत  सुनाई पड़ा ! कल्याण जी आनंद जी उनके प्रिय थे ....और नाजिया हसन , सपना मुखर्जी , चन्नी सिंह ,विजू शाह जैसे नए कलाकारों के वे गोड फादर थे !अपनी फिल्मों की एडिटिंग वे स्वयं करते थे ! कुर्बानी ने बेहतरीन एडिटिंग के लिए कई पुरस्कार जीते !

दिल की बातें दिल ही जाने ....
                                    धर्मेन्द्र, सुनील दत्त और विनोद खन्ना के साथ फ़िरोज़ का खास याराना रहा ! इन तीनों के साथ फिरोज खान ने एक दर्ज़न फिल्मे की ! मुमताज़ उनकी प्रिय हीरोइन थीं जिनके साथ उन्होंने दस फिल्मे की !तीन दशक के बाद में  मुमताज़ की बेटी से उन्होंने फरदीन की शादी कर दी !

श्रद्धांजलि..... 

                                       आज हमारे बीच फिरोज खान  नहीं हैं... पर उनका काम और अंदाज़ रहती दुनिया तक पूरी इज्ज़त के साथ याद रखा जायेगा !वाकई कोई जीना उनसे सीखे ! मेरी प्रिय शख्सियत और एक महानायक को  सिंह सदन का सलाम !

***** PANKAJ K. SINGH

Wednesday, January 25, 2012

For Smart India...



हम तैयार हैं



सिंह  सदन के सभी मतदाता सदस्यों ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर प्रत्येक मतदान दिवस पर मताधिकार का प्रयोग करने की शपथ ली.सदस्यों का कहना था कि मजबूत लोकतंत्र के मताधिकार का प्रयोग बेहद जरुरी है.सिंह सदन के वे सदस्य जो इस बार मतदाता बने हैं.उनका कहना था कि मतदान को लेकर बेहद उत्साहित है.दिलीप.सचिन.नेहा सिंह.प्रिया सिंह.संदीप.श्यामकांत.अमित.मनीष नए मतदाता हैं.सभी नए मतदाता को बधाई.

हृदेश 

स्ट्रेट ड्राइव !


इमरान खान : एक जांबाज़  शख्सियत  
VOLUME ---2


एक आधुनिक एलेक्जेंडर ....इमरान ख़ान 


 पिछले अंक में देव आनंद साहब  को श्रद्धांजलि अर्पित  करने के बाद आज मैं अपने जीवन के दूसरे आदर्श और अपनी सर्वकालिक  प्रिय शख्सियत   इमरान ख़ान पर अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहा हूँ !

एक हैरत अंगेज बहु आयामी शख्सियत...  
                                           पठान वंश, लाहौर, ऑक्सफोर्डक्रिकेट, प्ले बॉय, ग्लैमर. राजनीति,  फ़ार्म-हाउस ,चिन्तक और लेखक, धर्मार्थ और सामाजिक क्षेत्र और न जाने क्या क्या !घोर आश्चर्य किन्तु सत्य की ये तमाम टाइटल एक ही बहु आयामी शख्सियत इमरान ख़ान से सम्बंधित हैं !  लाखों  कामयाब इंसानों के बराबर  विस्तार  क्षेत्र और तजुर्बे का नाम है इमरान ख़ान !   

जिंदगी कुछ यूँ चली ..
                                           इमरान ख़ान शौकत ख़ानम और इकरमुल्लाह खान नियाज़ी की संतान हैं,एक मध्यम वर्गीय परिवार में अपनी चार बहनों के साथ पले-बढे !इमरान ख़ान के परिवार में जावेद बुर्की और माजिद ख़ान जैसे सफल क्रिकेटर शामिल रहे  हैं. इनसे प्रभावित होकर इमरान ख़ान ने लाहौर में ऐचीसन कॉलेज, कैथेड्रल स्कूल, और इंग्लैंड में रॉयल ग्रामर स्कूल वर्सेस्टर में शिक्षा ग्रहण करते हुए    क्रिकेट खेलना शुरू किया ! 1972 में, उन्होंने  ऑक्सफोर्ड में  अध्ययन के लिए दाखिला लिया, जहां उन्होंने राजनीति  और अर्थशास्त्र में  स्नातक की उपाधि प्राप्त की.


दिल ढुंदता है फुर्सत के रात दिन.... 
                                            ताउम्र बेहद व्यस्त रहे    इमरान ख़ान, अब बनी गाला, इस्लामाबाद में रहते हैं जहां उन्होंने अपने लंदन फ्लैट की बिक्री से प्राप्त धन से एक फ़ार्म-हाउस का निर्माण किया है. छुट्टियों के दौरान उनके पास आने वाले दोनों बेटों के लिए एक क्रिकेट मैदान का रख-रखाव करने के साथ-साथ, वे फलों के वृक्ष और गेहूं का उत्पादन भी करते हैं और गायों को पालते हैं. 
  
क्रिकेट का शुभारंभ ....
                                            1971 में, ख़ान ने बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ़ अपने टेस्ट क्रिकेट का शुभारंभ किया.तीन साल बाद, उन्होंने एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (ODI) मैच का श्री गणेश एक बार फिर नॉटिंघम में प्रूडेंशियल ट्राफ़ी के लिए इंग्लैंड के खिलाफ़ खेल कर किया.ऑक्सफोर्ड से स्नातक बनने और वोर्सेस्टरशायर में अपना कार्यकाल खत्म करने के बाद, वे 1976 में पाकिस्तान लौटे और  राष्ट्रीय टीम में 1976-77 सत्र के आरंभ में ही उन्होंने एक स्थायी स्थान सुरक्षित कर लिया, जिसके दौरान उनको न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का सामना करना पड़ा. ऑस्ट्रेलियाई सीरीज़ के बाद, वे वेस्ट इंडीज के दौरे पर गए, जहां  उनको केरी पैकर के 'वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट' के लिए साईन     किया गया ! .उनकी पहचान विश्व के एक तेज़ गेंदबाज़ के रूप में तब बननी शुरू हुई जब ७० के दशक  में  उन्होंने 140 km/h की रफ्तार से गेंद फेंकते हुए, जेफ़ थॉमप्सन और माइकल होल्डिंग   की  बराबरी  की ,रफ्तार के   मामले   में   वे       डेनिस लिली,  और एंडी रॉबर्ट्स से आगे निकल गए  . 


  खुदी को कर बुलंद इतना ....
                                             1983 में इमरान  ख़ान ने  टेस्ट क्रिकेट बॉलिंग रेटिंग में विश्व में सर्वोच्च    दर्जा हासिल किया. icc ऑल टाइम टेस्ट बॉलिंग रेटिंग में वे तीसरे स्थान पर है.
                                              इमरान ख़ान ने 75 टेस्ट में (3000 रन और 300 विकेट हासिल करते हुए) आल-राउंडर्स ट्रिपल प्राप्त किया, जो इयान बॉथम के 72 के बाद दूसरा सबसे तेज़ रिकार्ड है.बल्लेबाजी क्रम में छठे स्थान पर खेलते हुए वे 61.86 के साथ द्वितीय सर्वोच्च सार्वकालिक टेस्ट बल्लेबाजी औसत वाले टेस्ट बल्लेबाज के रूप में स्थापित हैं.उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच, जनवरी 1992 में पाकिस्तान के लिए श्रीलंका के खिलाफ़ फ़ैसलाबाद में खेला.ख़ान ने इंग्लैंड के खिलाफ़ मेलबोर्नऑस्ट्रेलिया में खेले गए अपने अंतिम ODI, 1992 विश्व कप के ऐतिहासिक फ़ाइनल के छह महीने बाद क्रिकेट से संन्यास ले लिया ! उन्होंने अपने कॅरियर का अंत 88 टेस्ट मैचों, 126 पारियों और 37.69 की औसत से 3,807 रन बना कर किया, जिसमे छह शतक और 18 अर्द्धशतक शामिल हैं. उनका सर्वोच्च स्कोर 136 रन था !
रिकार्ड बुक से कहीं ऊंचा कद .....
                                                        एक गेंदबाज के रूप में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 362 विकेट लिए, ऐसा करने वाले वे पाकिस्तान के पहले और दुनिया के चौथे गेंदबाज हैं ODI में उन्होंने 175 मैच खेले और 33.41 की औसत से 3,709 रन बनाए. उनका सर्वोच्च स्कोर 102 नाबाद है. उनकी सर्वश्रेष्ठ ODI गेंदबाजी, 14 रन पर 6 विकेट पर दर्ज है.
                                                         उन्होंने अपने कॅरियर की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट गेंदबाजी लाहौर में श्रीलंका के खिलाफ़ 1981-82 में 58 रनों में 8 विकेट लेकर दर्ज की !1982 में इंग्लैंड के खिलाफ़ तीन टेस्ट श्रृंखला में 21 विकेट लेकर और बल्ले से औसत 56 बना कर गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी दोनों में सर्वश्रेष्ठ रहे.बाद में उसी वर्ष, एक बेहद मज़बूत भारतीय टीम के खिलाफ़ घरेलू सीरीज़ में छह टेस्ट मैचों में 13.95 की औसत से 40 विकेट लेकर एक ज़बरदस्त अभिस्वीकृत प्रदर्शन किया. 1982-83 में इस श्रृंखला के अंत तक, ख़ान ने कप्तान के रूप में एक वर्ष की अवधि में 13 टेस्ट मैचों में 88 विकेट लिए.

एक उसूल परस्त जांबाज़ ....
                                                      इमरान कभी कमजोर देशों के खिलाफ नहीं खेले ये काम उन्होंने जावेद मियाँदाद के कन्धों पर डाल दिया यही कारण है की अपने २१ वर्ष लम्बे टेस्ट क्रिकेट कैरियर में उन्होंने मात्र ८८ टेस्ट खेले जबकि कमजोर देशों के खिलाफ  ५९ टेस्ट उन्होंने छोड़ दिए जरा सोचिये ये  ५९ टेस्ट भी उन्होंने खेले होते तो उनका रिकार्ड  कहाँ होता !
राष्ट्र और समाज के गौरव .......
                              इमरान ख़ान ने 1987  विश्व कप के अंत में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. 1988 में,पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने उन्हें दुबारा कप्तानी संभालने को कहा एक कप्तान और एक क्रिकेटर के रूप में ख़ान के कॅरियर का उच्चतम स्तर तब आया, जब उन्होंने 1992 क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान की जीत का नेतृत्व किया. 
बेजोड़ चिन्तक और लेखक ....
                                              इमरान ख़ान ने विभिन्न ब्रिटिश और एशियाई समाचार पत्रों के लिए क्रिकेट पर विचारात्मक लेख लिखें हैं, उन्हें ब्रिटिश मीडिया ने  आज तक का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट चिन्तक और लेखक माना है !अब उनके चिंतन और लेखन के दायरे में राजनीति, प्रशासन,लोकतंत्र ,आर्थिक  उदारीकरण, संस्कृति और सभ्यता ,युवा पीढ़ी और उसके सरोकार जैसे गंभीर विषय भी आ गए  हैं !   


असाधारण वक्ता ....
                                        इमरान ख़ान जब बोलते हैं तो उनके विरोधी भी उनका विरोध करना भूल जाते हैं ऐसा प्रभाव ,विषयों पर दुर्लभ पकड़ और इमानदार द्रष्टिकोण कुदरत विरलों को ही प्रदान करती है !


धर्मार्थ और सामाजिक क्षेत्र में अतुलनीय  कार्य....
                                          1992 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, चार से अधिक वर्षों तक, ख़ान ने अपने प्रयासों को केवल सामाजिक कार्य पर केंद्रित किया. 1991 तक, वे अपनी मां, श्रीमती शौकत ख़ानम के नाम पर गठित एक धर्मार्थ संगठन, शौकत ख़ानम मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना कर चुके थे.ट्रस्ट के प्रथम प्रयास के रूप में, ख़ान ने पाकिस्तान के पहले और एकमात्र कैंसर अस्पताल की स्थापना की, जिसका निर्माण ख़ान द्वारा दुनिया भर से जुटाए गए $25 मीलियन से अधिक के दान और फंड के प्रयोग से किया गया उन्होंने अपनी मां की स्मृति से प्रेरित होकर, जिनकी मृत्यु कैंसर से हुई थी, 29 दिसंबर 1994 को लाहौर में शौकत ख़ानम मेमोरियल कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, 75 प्रतिशत मुफ्त देखभाल वाला एक धर्मार्थ कैंसर अस्पताल खोला. सम्प्रति ख़ान अस्पताल के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं और धर्मार्थ और सार्वजनिक दान के माध्यम से धन जुटाते रहते हैं 1990 के दशक के दौरान, ख़ान ने UNICEF के लिए,  विशेष प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड में स्वास्थ्य और टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ावा दिया
                                             2008 में इमरान   ख़ान के ब्रेन चाइल्ड  नमल कॉलेज नामक एक तकनीकी महाविद्यालय मियांवाली जिले में उद्घाटित किया गया., और बाद  में इसे ब्रैडफ़ोर्ड विश्वविद्यालय का एक सहयोगी कॉलेज बना दिया गया. इस समय, ख़ान  कराची में एक और कैंसर अस्पताल का निर्माण करवा रहे हैं!लंदन में वे एक क्रिकेट धर्मार्थ संस्था, लॉर्ड्स टेवरनर्स के साथ काम करते हैं!
एक फकीर ने  जीवन बदला ....
                                                  इमरान ख़ान ने राजनीति में अपने प्रवेश के फ़ैसले का श्रेय एक आध्यात्मिक जागरण को दिया है, जो उनके क्रिकेट कॅरियर के अंतिम वर्षों में शुरू हुए इस्लाम के सूफ़ी संप्रदाय के एक फ़कीर के साथ उनकी बातचीत से जागृत हुआ. 
वास्तविक लोकतंत्र के पुनःजागरण  के आधुनिक पुरोधा ...
                                               सैन्य हस्तक्षेप से आजिज पकिस्तान के लिए  इमरान का कहना है  "मैं चाहता हूं पाकिस्तान एक कल्याणकारी राज्य और क़ानून के शासन और एक स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ एक वास्तविक लोकतंत्र बने."  उनके द्वारा घोषित  एजेंडा  में  शामिल है- सभी छात्रों द्वारा स्नातक स्तर की शिक्षा के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण करते हुए एक साल बिताना और नौकरशाही को छोटा करना!  क्षेत्रीय स्तर पर लोगों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए विकेंद्रीकरण की ज़रूरत पर इमरान ख़ान ने जोर दिया है !  
 राह बनी खुद मंजिल .....
                                           25 अप्रैल1996 को ख़ान ने "न्याय, मानवता और आत्म-सम्मान" के प्रस्तावित नारे के साथ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) नामक अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी की स्थापना की.15 वर्षों की अगाध मेहनत और निष्ठां के बाद आखिर वे करोड़ों  जन मानस के लिए आज आशा की किरण बने हुए हैं ! 
इमरान क्यों हैं मेरे आदर्श  ....
                                        इमरान ख़ान पर कुदरत ने मानो खज़ाना लुटा दिया है !इस कदर आकर्षक व्यक्तित्व की लगता है पृथ्वी पर स्वयं ईश्वर उतर आये हैं !आवाज़ और अंदाज़ ऐसा की यूनान के देवता भी  रश्क   करें !उनके आकर्षक व्यक्तित्व,आवाज़ और अंदाज़ के अलावा उनका अदम्य साहस ,अद्भुत आत्मविश्वास , दृढ इच्छा शक्ति ,निर्णय लेने की क्षमता ,समाज .मानवता और राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठां और त्याग पूर्ण भावना ने मेरे दिल पर कितनी छाप छोड़ी है यह मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता !उनकी उसूल परस्ती और बिना समझौते किये सही बात को पूरे दम- ख़म से रखने की बेजोड़ सलाहियत का मैं हमेशा से कायल रहा हूँ! काश उनके व्यक्तित्व का १ प्रतिशत भी मुझे मिल जाये ...तो मैं जीवन धन्य समझूं !
चलते- चलते ....
देव आनंद साहब और इमरान ख़ान के परस्पर संबंधों के बारे में .....
                                   प्रिय श्याम कान्त ने पिछले अंक में  देव आनंद साहब और इमरान ख़ान के परस्पर    संबंधों के बारे में जिज्ञासा व्यक्त की थी !वास्तव में देव साहब क्रिकेट के शौक़ीन थे और  इमरान ख़ान  से खासे मुतास्सिर थे! वे क्रिकेट के मुद्दे पर फिल्म '' अव्वल नंबर "बना रहे थे और चाहते थे की इमरान ख़ान इस फिल्म  के हीरो बने ! इसके लिए देव साहब ने इमरान को मनाने के लिए बड़े जतन किये ! वे कई   बार  इमरान ख़ान  से मिलने पाकिस्तान और इंग्लेंड गए.... पर इमरान माने नहीं !

***** PANKAJ K. SINGH