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Saturday, May 1, 2010

अजीमो शान शहंशाह ................सलामत रहें ......



.........एक और '' सिकंदर '' ................

यह सुन कर आपको तज्जुब जरुर होगा कि दूसरा '' सिकंदर '' कौन है |

इस '' सिकंदर '' का जन्म मैनपुरी के '' सिंह सदन '' परिवार में हुआ है|जरा सोचिये कौन है वो .................सही समझा आपने में बात कर रहा हूँ ......... '' सिंह सदन '' के '' आइकोन '' और अपने बड़े भइया मिस्टर पंकज सिंह की ........

.................भैया बचपन से ही '' तीव्र बुद्धि '' के .... बहुत महत्वाकांक्षी व्यक्ति रहे है |बचपन से ही ......... बे कुछ '' अलग '' थे ....... उनकी विचार धारा .... '' अलग '' थी ! ..... एक तरफ जहाँ हमारे बड़े भइया ..... महात्मा इस्टाइल में रहते थे ...........वहीँ पंकज भइया को लोगों पर .......... रोब झाड़ने का शौक था | ........ वे हमेशा '' लीडर शिप '' किया करते थे | ..........बे हमेशा इन्सान को झुकाने में यकीन रखते थे |


........पढने में इतने तेज थे ......... की हर एक क्लास में '' अब्बल '' रहे | वे गणित के सवाल '' मौखिक '' हल किया करते थे | .......... तब हम लोग इस को '' जादू '' समझते थे .......... टीचर को वे ..... टीचर नहीं बल्कि '' दोस्त '' समझते थे |

.......मुझे आज भी याद है ..... जब वे ६ कक्षा में थे तो टीचर उनसे मिलाने घर आया करते थे | ..... मै उनका वो '' जादू '' आज तक नहीं समझ पाया हूँ ............... भइया जब छुट्टियों में ...... गाँव आया करते थे तो ....हम जोनी श्यामूऔर बड़े भइया ....... '' आवादी '' में बहुत मजे किया करते थे..............उस समय '' शहंशाह '' फिल्म रिलीज हुई थी .....हम लो फिल्म की .... शूटिंग किया करते थे जिसमे ..... . पंकज भैया ............... हमेशा शहंशाह बनते थे ..........और हम लोग ....... दालमोठ ,बिस्किट,लईया , चने, टॉफी बहुत खाया करते थे |

भइया के गाँव आने का इंतजार ..... हम से .......ज्यादा गाँव के '' कप्तान '' दुकानदार को रहता था ....क्योंकि उसी बिक्री जोरों पर होती थी .................

...............कब खेलते - खेलते '' बड़े '' हो गए पता ही नहीं चला..............

भैया को '' साईकिल रेसिंग '' का बहुत शौक था ................और क्रिकेट के मंडल स्तर के '' फास्ट बोलर ''रह चुके है .......... क्योंकि हमारे घर में ..... पढाई पर ज्यादा जोर दिया जाता है............इस लिए क्रिकेट छोड़ना पड़ा ......... इमरान खान ..... आपका फेवरेट खिलाडी है............

भैया ..ग्रेजुएशन के साथ साथ '' पत्रकारिता '' से भी जुड़ गए ..... और मैनपुरी की '' पत्रकारिता '' को नया आयाम दिया ........और पत्रकारिता के ..... '' नए स्तम्भ '' बन कर उभरे .................


भैया ने जीवन में कभी ........पीछे मुड़ कर नहीं देखा ...... कदम बढे ..... तो रुके नहीं .........हजारों मुश्किलों को पार कर मंजिल प्राप्त की |

..... '' I I M C '' से डिप्लोमा करने के बाद उनहोने '' स्टार न्यूज ''........ में कुछ दिन काम किया ..........मगर उनकी मजिल .......कुछ और ही थी ......... इसके बाद भैया ने '' सिविल सर्विसिज '' की परीक्षा पास कर के ..... सेल टेक्स कमिश्नर बन के ....... देश की सेवा कर रहे है | उनके जैसा लगन शील ....... इन्सान मैंने नहीं देखा ......... जो चाहा ........ वो पाया ......... बेहद मेहनती इन्सान है |

भइया बहुत ही महत्वाकांक्षी इन्सान है ........'' संतुष्टि '' जैसा शब्द उनकी '' डिक्सनरी '' में है ही नहीं |.........हमारे .....'' परम पूज्य ''...... बड़े भईया भी कहते है ........ की " पंकज '' जैसा ....... लगनशील ...... और मेहनती इन्सान .......मैंने नहीं देखा".....!

वे एक अछे इन्सान होने के साथ - साथ ....... एक आदर्श बेटे और ..... सभी भाइयों के प्यारे भईया है ..........वे हर साल '' मकर संक्रांति '' पर गरीबों में कम्बल वितरण करते है ..........और कोई भी '' जरुरत मंद '' ........ मदत के लिए उनके पास पहुचता है ......... तो खली हाथ नहीं आता | वे हर एक आगे बढ़ने वाले की ......... तन - मन - धन से मदत करते है ..........

एसे महान इन्सान को ......... में बारम्बार प्रणाम करता हूँ ..............अभिनन्दन करता हूँ |

पुष्पेन्द्र सिंह

5 comments:

मनोज कुमार said...

अभिनन्दन करता हूँ |

my blog said...

पी.सिंह साहब
आप का नाम देखा तो ब्लॉग पर रुक गया
बहुत ही सुन्दर लिखा आपने गजब की पर्स्नालिती से
तारुफ़ कराया आपने
इसे महान इन्सान को मै भी प्रणाम करता हूँ ................

SINGHSADAN said...

प्रिय पुष्पेन्द्र ,

आकांक्षाएं ... तो हमारे पूज्य बड़े भैया ... और आप सभी अनुजों ने पूरी कर दी हैं .... अब तो एक ही इच्छा शेष है ....... कि '' सिंह सदन '' की गरिमा , प्रतिष्ठा सर्वोच्च स्तर को प्राप्त करे ..... इसके हर छोटे - बड़े सदस्य का जीवन .... शांत , निर्मल , लोकोपयोगी , संस्कारवान हो !

अभी सार्वजानिक जीवन में '' सिंह सदन '' को एक लम्बी दुरी तय करनी है ... वास्तव में अब हमारे कोई निजी ... व्यक्तिगत सपने शेष नहीं रह गए हैं .... अब हमे सिर्फ और सिर्फ अपने क्षेत्र ... और अपने लोगों के लिए काम करना है .... गरीब , निर्बल , असहाय , दलित - शोषित लोगों के लिए '' सिंह सदन '' ... एक आशा ..... और एक विश्वास बन सके ..... यही हम सबके ख्वाब हैं ....और ऐसे ही हमारे प्रयास हैं .. होने भी चाहिए .... !

सुन्दर आलेख लिखने ....... और मुझे मान देने के लिए आभार एवं शुभाशीष

सप्रेम ,
पंकज के. सिंह

Anonymous said...

meet with a great personality , thanks to pushpendra singh

VOICE OF MAINPURI said...

जिल्ले शुहानी की शान में वज़ा फ़रमाया. पिंटू भाई क्या गज़ब लिखा...ब्लॉग में चार चाँद लगा दिए.