" सिंह सदन " की रौनक : ईशी
१६ अप्रैल 2003 की गर्मी को मैं कभी भुला नहीं सकता....ईशी लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती थी...उसकी हालत नाज़ुक थी....
बड़े भैया और भाभी भी परेशान थे....भाभी का रोते -रोते हल बुरा था.गर्मी से ईशी की हालत ख़राब हो गयी थी.उस वक़्त ईशी दो-ढाई साल की थी इतनी दिक्कत और दर्द को झेलने के बाद भी वो निडर नजर आ रही थी.ईशी की इस निडरता ने मुझे बेहद प्रभावित किया. उसका ये होसला हम सब को मजबूती दिए था.ईशी की हालत को देख कर बर्षों बाद मेरी भी आखें भर आयीं थी...
ईशी " सिंह सदन " की सबसे काबिल और होशियार बच्ची है.सिंह सदन की सारी खुशियाँ ईशी और लीची के इर्द -गिर्द ही घुमती हैं.ईशी बचपन से ही बेहद शार्प माइंड है....हर माहोल में चुटकी में ढल जाना उसकी सबसे बड़ी खूबी है...ईशी मुझे बचपन से ही ओर बच्चों से अलग नजर आई...वजह ईशी हर चीज़ को बहुत जल्दी समझ जाती है...फिर चाहें वो घर की बड़ी बातें ही क्यों ना हों.....ईशी को पढाई से ज्यादा " डांसिंग " का शौक है ''कजरारे'' वाले गाने पर ईशी शानदार डांस करती है वो भी ''विद एक्सप्रेशन'' घर में ईशी के हम उम्र एक दर्ज़न से अधिक बच्चे है...जिनकी लीडर ईशी ही हैं...घर के बच्चे की बीच इनका रुतबा " बड़ी दीदी " का हो जाता है...इस रुतबे को निभाते हुयें घर पर ईशी को अक्सर देखा जा सकता.
...एक बार मैंने ईशी से पूछा''बड़े हो कर तुम क्या बनाना चाहती हो? ईशी ने जबाव दिया चाचा में बड़े हो कर मेहमान बनाना चाहती हूँ...मैंने पूछा क्यूँ? ईशी बोली क्यूँ कि मेहमान को सब लोग पैसे देते हैं.इस तरह के कई मजेदार संस्मरण है... ईशी गावं मे गावं की हो जाती है.गावं उसे पसंद हैं.खाने में ईशी थोड़ी शैतान हैं...जंक फ़ूड की वो शोकिन है..ईशी की बस यही एक आदत है जो मुझे से काफी मेल खाती है.
ईशी को शाहरुख़ खान पसंद है ...बचपन मैं शाहरुख़ खान बन कर ईशी से अक्सर बातें किया करता था...बहुत मजा आता था. " सिंह सदन " के किसी भी फंक्शन की रौनक ईशी और उनकी पुरी टीम ही होती है.फलों में ईशी को अमरुद जिसे वो "सपड़ी" बोलती है इसी तरह "अडिया" यानि की भुना हुआ भुट्टा ईशी को पसंद है..शैतानी में वो सब की नानी है.काम बिगड़ जाने पर उसे "मेनेज" करना भी आता है. ईशी की सबसे बुरी आदत खाना न खाना है.भाभी को इस पर ध्यान देना होगा.गुस्सा उसके लिए खतरनाक है..जो कभी-कभी कर जाती है.
ईशी अब बड़ी हो रही है..पूरे घर को ईशी से बहुत उमीदें हैं...घर में सभी लोग एक से बढ़ कर एक ऊँचें और सर्वोच्च पदों पर हैं..इसलिए ईशी अगर आई. ए. एस. , कमिश्नर , चीफ एडिटर या पुलिस अफसर बन भी गयी तो उसके लिए ये कोई नया नही होगा...हाँ अगर वो ग्रेमी...नोबेल.मेगेसस या ओस्कर पाती है तो इस घर के लिए जरुर नया होगा...इसलिए ईशी तुम नई ज़मीन और नए सुबह-ओ शाम पैदा करो....खूब पढों और आगे बढ़ो ईशी.....
*****हृदेश सिंह
1 comment:
bahut acche......jony ! kya jabardast likh diya aapne ishika par. tumahre pyar aur ashirwad ki jaroorat hai use....aage badhne ke liye.
Post a Comment