कोई दौलत .. कोई जरिया काफी नहीं , तुम्हारा ऋण चुकाने को ...!
चंद आँसू है मेरे प्रेम के .... तुम्हारे चरणों में अर्पित हैं .. ! !
" मदर्स डे " के शुभ अवसर पर " सिंह सदन " की सभी पूज्य माताओं को सादर नमन ....
..... आप ही ने इस " सिंह सदन " को बनाया ... सजाया ... सवांरा है ! हम सभी ऋणी हैं .. आपके स्नेह के .... प्रेम के .... अपनत्व के .... ममता के ...!
आप ही " सिंह सदन " की शील हैं ... उषा हैं ... गीत हैं ...ममता हैं ... !
आप सभी को बारम्बार प्रणाम .. ! !
* * * * * PANKAJ K. SINGH
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